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मिसाल बन गए हैं संघ के सेवा कार्य

बाल्यकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक बनने के बाद मैंने बहुत बार देखा है कि आपदा-विपत्ति के समय कैसे स्वयंसेवक चुपचाप राहत कार्य करते रहे हैं। संघ और अनुषांगिक संगठनों के बिना प्रचार कार्य करने का लंबा इतिहास है। सूचना मिलते ही स्वयंसेवक घरों से निकलते हैं और कार्यों में जुट जाते हैं। कोई भी कार्य हो, तुरंत योजना बनाकर संगठित तरीके से कार्य किया जाता है, इसका प्रभाव पर मेरे पर हमेशा रहा। कोरोना महामारी के प्रकोप में जिस तरह भारत ही नहीं पूरी दुनिया में संघ के स्वयंसेवक कार्य रहे हैं, प्रशंसनीय है और अनुकरणीय भी है। माननीय सर संघचालक डा.मोहन भागवत ने हाल ही में स्वयंसेवकों को कोरोना काल में जरूरतमंदों को बिना भेदभाव मदद करने के लिए प्रेरित भी किया। उन्होने कहा कि ये हमारा समाज है, ये हमारा देश है, इसलिए काम कर रहे हैं। कुछ बातें सभी के लिए स्पष्ट है। नई बीमारी है, इसलिए सबकुछ पता नहीं है। ऐसे में अनुमति लेकर, सावधानी बरतकर काम करें। थकना नहीं चाहिए, प्रयास करते रहना चाहिए। स्वयंसेवकों के लिए भागवतजी के संबोधन का सबसे बड़ा मंत्र रहा, हम कार्यक्रम के लिए कार्य नहीं करते हैं। कार्य के लिए कार्यक्रम करते हैं।

संघ के आलोचकों को कई बार हम कहते हैं कि संघ को पहचानना है तो अंदर आइये और देखिये। कोरोना के आपदाकाल में तो यह भी कहने की जरूरत नहीं है। किसी को संघ को पहचानना है, तो संघ के स्वयंसेवकों के कार्य देखने हैं या कहिये कि संघ का चरित्र देखना है कि आपदाकाल में गरीब बस्तियों, स्लम बस्तियों और अन्य स्थानों पर संघ स्वयंसेवकों द्वारा किए जा रहे कार्यों को देख लें। संघ के स्वयंसेवक अपनी-अपनी क्षमता अनुसार एक चिकित्सक के तौर पर, रक्त की कमी तो एक रक्तदाता के तौर पर, एक अनुशासित सिपाही की तरह भीड़ को लॉकडाउन के पालन के लिए पंक्तिबद्ध करता दिखाई देगा। कार्य भी उस तरह की किसी को कोई शिकायत न हो।

कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण संघ ने पूरे देश में कई कार्यक्रम स्थगित किए। नव संवत पर पूरे देश में एकत्रीकरण के कार्यक्रम स्थगित किए गए। विश्व हिन्दू परिषद ने श्रीराम नवमी उत्सव पर पूरे देश में बृहत स्तर पर होने वाली शोभायात्राओं का तो पूरी तैयारी होने के बावजूद स्थगित किया। इसी तरह अन्य संगठनों ने कार्यक्रम स्थगित किए। इन सबका एक ही उद्देश्य रहा कि लॉकडाउन के दौरान अनुशासन बना रहे। लॉकडाउन का पालन करते हुए संघ के तीन लाख से ज्यादा स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा संघ, संघ के अनुषांगिक संगठनों के कार्यकर्ता, संघ के स्वयंसेवक अपने-अपने माध्यम से जनसेवा में जुटे हैं। जरूरतमंदों को खाना खिलाया जा रहा है। बेघरों के लिए आवास के लिए व्यवस्था की गई है। बीमारों के लिए दवा और भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। पिछले सप्ताह तक देश के 55,725 स्थानों पर संघ द्वारा अब तक सवा दो करोड़ भोजन के पैकेट बांटे गए। सबसे अधिक सेवा कार्य उत्तर प्रदेश में 7013 स्थानों पर , मध्यप्रदेश में 5781, गुजरात में 4,561, महाराष्ट्र व गोवा में 4,460 स्थानों पर किया जा रहा है। 35 लाख से ज्यादा लोगों को राशन किट दिए गए। पौने चार लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को सहायता दी गई। यह कार्य अभी निरंतर चल रहा है।

कुछ दिन पहले जनधन योजना के तहत जगह-जगह बैंकों से धनराशि निकालने के लिए लोगों की भीड़ लग गई थी। शारीरिक दूरी का नियम टूटने लगे थे। इससे संक्रमण फैलने का खतरा पैदा हो गया था। ऐसे में यह खबर आते ही ग्रामीण इलाकों समेत तमाम स्थानों पर संघ स्वयंसेवकों ने लोगों को शारीरिक दूरी बनाते हुए पंक्तियां बनाने में सहयोग दिया। बैंक के स्टाफ को ऐसे में अपनी ड्यूटी निभाने में बहुत सहयोग मिला। कोरोना के कारण बैंकों में कम स्टॉफ रहने के बावजूद सभी लोगों को धनराशि देने में सुविधा हुई। इस कार्य के लिए संघ स्वयंसेवकों की प्रशंसा भी की गई। दूरस्थ ग्रामीण इलाके, जनजातीय और वन क्षेत्रों में सामान न पहुंचने पर स्वयंसेवकों ने राशन किट पहुंचाई। कई स्थानों पर इस कार्य में सरकारी कर्मचारियों का सहयोग दिया। ग्रामीण क्षेत्र में किसानों के उत्पाद फल और सब्जी शहरों और मंडियों में पहुंचाने की व्यवस्था की गई। सब्जियों की उचित बिक्री हो, इसके लिए भी सहयोग दिया गया।

महामारी के कारण अनेक स्थानों पर अस्पतालों में रक्त की कमी हो गई। ब्लड बैंक खाली हो गए। इस सूचना पर स्वयंसेवकों द्वारा दूसरों की जान बचाने के लिए 13, 562 यूनिट रक्तदान किया गया है। यह पिछले सप्ताह के आंकड़े हैं। अभी कई स्थानों पर स्वयंसेवक रक्त की कमी न हो, इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही लॉकडाउन के पालन और लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए 30 लाख से ज्यादा मॉस्क बांटे । मजदूरों और बेघरों के रहने के लिए दस हजार से ज्यादा आवास की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई। इस आपदा में काल घूमंतू लोगों के सामने बड़ा संकट उत्पन्न हो गया। 77,545 घुमंतू लोगों को स्वयंसेवकों ने सहायता उपलब्ध कराई। देश में अनुषांगिक संगठनों के चल रहे सेवा प्रकल्पों से माध्यम से भी जरूरतमंदों की सहायता की जा रही है।

देश के साथ ही विदेशों में कई स्थानों पर अनुषांगिक संगठन सेवा इंटरनेशनल कार्य कर रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, केन्या व मलेशिया के साथ ही नेपाल, श्रीलंका व म्यांमार आदि देशों में संघ स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं। कई स्थानों पर हेल्पलाइन बनाकर सहायता दी जा रही है। कई स्थानों पर फंसे भारतीय छात्रों की सहायता की गई।