स्थानीय उत्पादकों के लिए ‘लोकल फॉर दिवाली’ मनाएं 

इस बार का पूरा साल कोरोना संक्रमण भेंट चढ़ गया। यही कारण है कि त्यौहारों का रंग भी फीका है। अब स्थिति में थोड़ा सुधार तो आया है, पर पूरी तरह निश्चिंतता अभी भी नहीं है। फिर भी दिवाली ऐसा त्यौहार है, जिससे छोटे से बड़े तक हर कारोबारी उम्मीद लगी रहती है। कोरोनाकाल में छोटे से बड़े कारोबारियों तक पर असर पड़ा है। बड़े कारोबारी तो संभल जाएंगे, पर हमें छोटे-छोटे काम करके अपना काम चलाने वाले कारोबारियों का ध्यान रखना है। खासकर उनका जो त्यौहार पर आपकी जरुरत के मुताबिक अपना हुनर बेचना चाहते हैं। इस बार केंद्र सरकार की सजगता से चीन से आने वाली सामग्री पर अंकुश लगा है! दोनों देशों के बीच हुए तनाव का सबसे ज्यादा असर यही पड़ा कि कई सालों से जो बाजार चीनी उत्पादों से सजा था, वो अब स्थानीय उत्पादों से सज गया। ऐसे में हमें दिये, झालर, सजावट के फूल, कागज के कंदील और ऐसे दूसरे सजावटी सामान उन हुनरमंदों से खरीदना चाहिए जो आपके के साथ खुद भी दिवाली मनाना चाहते हैं।

दिवाली का बाजार सजावटी सामान, झालर, लाइटों सहित कई तरह के उत्पादों से सज गया है। ये सामान फुटपाथ किनारे भी सजा है और दुकानों में भी, दुकानों से खरीददारी के साथ आप फुटपाथ पर उम्मीद के साथ बैठे लोगों  ध्यान रखें! क्योंकि, ये उत्पाद स्वदेशी ही नहीं, स्थानीय भी हैं! प्रधानमंत्री ने भी अपील की है कि हमें ‘लोकल के लिए वोकल’ बनना है। अच्छी बात ये है कि इस बार जनता को बाजार में अधिकांश स्वदेशी उत्पाद ही मिल रहे हैं। चीन से चल रहे तनाव के चलते लम्बे समय से बाजार से चीन के उत्पाद गायब हैं। दिवाली पर भी चीन के उत्पाद बाजार में नहीं आए। लेकिन, हमें इस बात का ध्यान रखना है कि इसका लाभ छोटे कारोबारियों को मिले और स्वदेशी उत्पादकों भी अपनी अच्छी दिवाली मनाएं। भारत-चीन तनाव का सबसे सकारात्मक पहलु यह है कि केंद्र सरकार ने चीनी उत्पादों का आयात रोक दिया। जिससे बाजार से चीनी उत्पाद गायब हो गए। अब हमारे स्वदेशी उत्पादकों को इसका लाभ तभी मिलेगा, जब हम उनका साथ देंगे। इन स्वदेशी उत्पादों का स्तर चीन के उत्पादों से कहीं ज्यादा बेहतर है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी त्यौहारों पर देशवासियों के नाम स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की अपील की है। उन्होंने ‘लोकल फॉर दिवाली’ का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि इससे देश की अर्थव्यवस्था में नई चेतना आएगी। स्थानीय उत्पादकों को बढ़ावा देने से उनका हौसला बुलंद होगा और देश को नई ऊँचाइयों पर ले जाने में मदद मिलेगी। ‘लोकल के लिए वोकल’ के साथ ही ‘लोकल फॉर दिवाली’ के मंत्र की चारों तरफ गूंज है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम गर्व के साथ स्थानीय सामान खरीदेंगे और नए लोगों तक उसकी प्रशंसा करेंगे, तब लोकल की पहचान बनेगी। इससे जो लोग ये सामान को बनाते हैं, उनकी दिवाली भी रोशन होगी। मोदीजी ने कहा कि मैं पूरे देश से आग्रह करता हूं कि ‘लोकल के लिए वोकल बनें!’ सभी ‘लोकल’ के साथ दिवाली का त्यौहार मनाएं। ‘लोकल के लिए वोकल’ बनने का अर्थ सिर्फ दीये खरीदना नहीं है, बल्कि ऐसा हर सामान खरीदा जाए, जो स्थानीय उत्पादकों बनाया है।

मैं देश के प्रधानमंत्रीजी की इस बात का पूरी तरह समर्थन करता हूँ कि ऐसी चीजें जो देश में बनना संभव नहीं है, उसे बाहर से लेना ही पड़ेगा! लेकिन, जो सामान हमारे देश के उत्पादक बना रहे हैं, उसे हमें खरीदना ही चाहिए। मोदीजी ने यह भी कहा कि देश के नौजवान अपनी बुद्धि, शक्ति और सामर्थ्य से कुछ नया करने की कोशिश कर रहे हैं, उनकी उंगली पकड़ना, उनका हाथ पकड़ना हम सबका दायित्व है। हम उनकी बनाई चीजें लेते हैं, तो उनका हौसला भी बुलंद होता है। यदि पूरा देश यह पहल करेगा तो एक बड़ा वर्ग तैयार होगा, जो देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। आप सभी से आग्रह है कि  दिवाली स्थानीय उत्पादकों से खरीददारी करके मनाएं और अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दें।