काकीजी’ के स्नेह के बगैर बीता साल!
आज ‘काकीजी’ यानी मेरी माताजी को इस दुनिया से गए पूरा एक साल हो गया! मेरे लिए बहुत दुख से भरा दिन है। वे नहीं हैं, फिर भी यही अहसास होता है कि वे साथ हैं! उनकी बातें कानों में गूंजती है। घर, परिवार और मेरे प्रति उनकी चिंता करने की आदत भुलाए नहीं भूलती! सिर पर उनके ममता भरे हाथ का स्पर्श मुझे आज भी होता है। वे पूरे परिवार के लिए ‘काकीजी’ थीं। यूँ कहा जाना ज्यादा ठीक होगा कि वे ‘जगत काकी’ थीं! जीवन पर्यंत उन्हें इसी संबोधन से पुकारा जाता रहा। उनके स्नेह और ममत्व से पूरा परिवार और सारे परिचित सराबोर रहते थे। मेरे प्रति उनका स्नेह अगाध था। जब मैं शहर में रहता तो कितनी भी व्यस्तता हो, उनसे आशीर्वाद लिए बिना घर से निकलना मेरे लिए संभव नहीं था! उनके साथ थोड़ी देर बैठे और बात किए बिना न तो मेरा दिन शुरू होता था और न ख़त्म! लेकिन, यदि शहर से बाहर रहूँ, तो भी सुबह और शाम उनसे फ़ोन पर बात होती थी! वे जब तक पूरे हालचाल नहीं जान लेती, उन्हें संतोष नहीं होता! बीते एक साल में उनकी कमी मुझे इस रूप में भी बहुत ज्यादा खली!
मुझे लगता है कि जीवन में माँ से बड़ी कोई नियामत नहीं हैं। जब तक ‘काकीजी’ का साथ रहा, उस अहमियत का इतना ज्यादा अहसास नहीं हुआ! लेकिन, अब जबकि उनका साथ छूट गया, लगता है जीवन में उनकी मौजूदगी कितनी अहम थी! उनकी कभी न खत्म होने वाली ममता और आशीर्वाद में उठे उनके दो हाथ आज भी आँखों में बसे हैं। उनका निश्छल स्नेह आंखों से, हाथों से और शब्दों के बिना भी झलकता था। उनको बिछुड़े सालभर हो गया पर घर के हर कोने में उनकी सौंधी सी महक महसूस होती है। जबकि, सच्चाई ये है अब मुझे और परिवार को अब उनके बगैर जीने की आदत डालना होगी! क्योंकि, वे जिस दुनिया में चली गईं हैं, वहाँ से कभी कोई लौटकर नहीं आता! … आती है तो उनकी याद, उनके साथ बिताए पलों के संस्मरण और उनकी ममता!
‘काकीजी’ आप जहाँ भी हों, हम सभी पर अपना आशीर्वाद बनाए रखना!
… आप साथ नहीं हैं, पर आपके दिए संस्कार, आपकी नसीहत और जीवन दर्शन हमेशा हमें रास्ता दिखाएगा!