आज़ादी, सम्मान और सुरक्षा के बीच कशमकश !!
नारी जाती को भारतीय संस्कृति में हमेशा से ही पूजा गया है और हर रिश्ते में उसकी एक अहम भूमिका रही है. नारी सम्मान की यह परिभाषा पीढ़ी दर पीढ़ी हमें परवरिश में मिली है. वैसे तो भारतीय समाज पुरुष प्रधान माना जाता है परन्तु अगर ध्यान से देखें तो यही पाएंगे कि घर की हर छोटी-बड़ी चीज़ हो या दूर-करीब का रिश्ता, उसे संभालने की ज़िम्मेदारी नारी ही निभाती है चाहे वो माँ के रूप में हो या पत्नी, बहन, दादी. यहाँ तक कि नई पीढ़ी की परवरिश की ज़िम्मेदारी भी नारी के हाथ में ही होती है तो वो अपने बेटे को कभी स्त्री जाती का अपमान करना तो नहीं सिखा सकती. हर घर में नारी के इस सम्मान को बरक़रार रखने के लिए हर धर्म में भी ऐसे उपदेश दिए गए हैं जो पुरुष को मानसिक रूप से नारी के सम्मान के लिए तैयार करते हैं. यहाँ तक कि हिंदू धर्म में नारी के विभिन्न रूपों को देवी की उपमा भी दी गई है और नौ दिन का सबसे बड़ा त्यौहार, नवरात्रि भी नारी की पूजा व सम्मान में मनाया जाता है. परन्तु मुझे वर्तमान परिवेश देखकर यह सोचने में आता है कि ऐसी क्या परिस्थियां होती होंगी कि पुरुष शारीरिक व मानसिक रूप से नारी के सम्मान का हनन एवं दुष्कृत्य करने पर उतर जाता है?
पिछले कुछ वर्षों में बलात्कार के मामले देश में कई गुना बढ़ गए हैं और हाल ही में गुवाहाटी में हुई सामूहिक बलात्कार की घटना ने मेरे अंतर्मन को झकझोर दिया. काफी सोचने पर मुझे पूरी अवस्था साफ़ दिखने लगी और सामाजिक संरचना में आए परिवर्तनों के विकार चिंतित करने लगे. युवा पीढ़ी का पश्चिमी सभ्यता की ओर झुकाव, बच्चियों का अव्यवस्थित वस्त्र पहनना, देर रात तक अकेले घूमना, पार्टीज़ में शराब पीना और लड़कों का शराब पीना, सेक्स के प्रति अधिक झुकाव व शराब पीकर बहक जाना, यह सभी इतना आम हो गया है कि आज किसी को भी इसमें कुछ गलत नज़र नहीं आता परन्तु इनके दुष्परिणामों का किसी ने सोचा ही नहीं. लड़कियों का असभ्य वस्त्र पहनना कहीं न कहीं लड़कों के लिए उत्तेजक होता है और खास तौर पर तब जब वो खुद शराब के नशे में हैं. ऐसे में लड़कों के बहकने और गलत कदम उठाने की संभावना बहुत बढ़ जाती है. स्वयं को सुरक्षित करने के लिए लड़कियों को भारतीय एवं सभ्य वस्त्र पहनना चाहिए ताकि ऐसी अमानवीय हरकत की सम्भावना कम से कम हो जाए और लड़कों की नज़र में उनका सम्मान बरक़रार रहे. लड़कियों को कोशिश कर रात से पहले घर आ जाना चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण उन्हें अपने साथ सरक्षा के लिए चिली स्प्रे या किसी प्रकार का कोई सुरक्षा हथियार ज़रूर रखना चाहिए ताकि आत्मरक्षा कर सकें..
हो सकता है मेरे विचार से कई युवा लडकियां सहमत न हों और उन्हें यह वस्त्र पहनने एवं घूमने-फिरने की आज़ादी का हनन लगे लेकिन यकीन मानिए दूसरों पर हमारा नियंत्रण नहीं होता इसलिए आत्मसुरक्षा के लिए हमें स्वयं की जीवनशैली में ही परिवर्तन लाना होगा…
आशा है आप सभी मेरे विचारों को समझेंगे और आत्मसुरक्षा की तैयारी कर घर से निकलेंगी…!!
नारी शक्ति को मेरा शत-शत नमन !!