‘देश की सेहत’ अब आपके हाथ में है !!
कैंसर, डायबीटीज, एड्स, इन्फर्टिलिटी, मालन्यूट्रीशन, ओबेसिटी, हार्ट अटैक जैसी कई बीमारियाँ देश में बहुत तेज़ी से फैलती जा रही हैं. पिछले एक दशक में उनके आंकड़े चौका देने वाले स्तर तक पहुँच गए हैं. जिस तरह आम नागरिकों की ज़िन्दगी पर हर तरफ से दबाव पड़ रहा है उसका असर सेहत पर पड़ना तो स्वाभाविक है. देश वाकई भ्रष्टाचार और आर्थिक अव्यवस्था की बिमारी से बुरी तरह पीड़ित है, जो कि प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जन-जन की सेहत के लिए हानिकारक होता जा रहा है.
हर स्तर पर आगे बढ़ने की होड लगी है और डार्विन की थियोरी ‘सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट’ (Survival of the Fittest) जैसे हर पल सिद्ध होती दिखाई दे रही है, बस फर्क इतना है कि पहले चुनौती प्रकृति की दी हुई थी और अब इंसानों की. मानव द्वारा किए गए विकासों ने ज़िंदगी को आसान बनाने के साथ-साथ जटिल भी बना दिया है और अब लालसा एक महामारी की तरह फ़ैल गई है. अब इतने तनाव में शरीर स्वस्थ कैसे रह सकता है…?
जीवनशैली के साथ ही खान-पान और हवा-पानी भी पहले की तरह बिलकुल नहीं रहे, उन्हें भी इंसान ने प्रदूषित कर दिया है. आज किसान द्वारा फसल की ज्यादा पैदावार व कीमत पाने और उन्हें अच्छा दिखाने के लिए किए गए प्रयास यानी पेस्टीसाइड्स और फर्टिलाइज़र्स का अत्यधिक मात्रा में उपयोग हम सभी को स्वास्थ्य से दूर और बीमारियों के करीब ले जा रहा है. और इतना ही नहीं, इन सभी के फल स्वरूप इंसान के शरीर में विभिन्न प्रकार के नए विकार भी देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में बीमारियों से बचने के लिए सिर्फ चिकित्सा का ही सहारा है.
वैसे तो कहा जाता है कि ‘प्रीवेंशन इज़ बेटर देन क्योर’ (Prevention is better than cure) परन्तु इन हालातों से बचना तो असंभव सा लगता है इसलिए चिकित्सा ही एक मात्र उपाय बचा है जिस पर निर्भर हुआ जा सकता है. आज भारतीय चिकित्सा सेवाओं में तकनीकी क्रान्ति देखी जा सकती है और इसका श्रेय सभी वैज्ञानिकों और चिकित्सकों को जाता है. आज डॉक्टर्स डे के अवसर पर मैं आप सभी डॉक्टर्स से यह अनुरोध करना चाहूँगा कि अब सामाज में आए इन विपरीत परिवर्तनों को परास्त कर आप ही एक नवीन स्वस्थ समाज का निर्माण करें. लोगों में जागरूकता फैलाकर उन्हें तनाव से लड़ने के कुशल तरीके सिखाएं और संतुष्ट रहने की प्रवृत्ति को जन-जन की आदत बनाएँ.
डॉक्टर्स डे की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं !!