Kailash Vijayvargiya blogs Hindi divas kyoon manaaya jaata hai? - Kailash Vijayvargiya Blog
kailash vijayvargiya kailash vijayvargiya
Nadda ji

Hindi divas kyoon manaaya jaata hai?

हिन्दी दिवस क्यूँ मनाया जाता है?

हिन्दी दिवस के दिन पिछले कुछ सालों से सभी इस बात पर बात नहीं कर रहे हैं कि हम इसे क्यूँ मनाते हैं बल्कि इस विषय को उठाया जा रहा है कि हिन्दी का ‘अस्तित्व’ लुप्त होता जा रहा है. क्या एक हिन्दुस्तानी की ज़िन्दगी में कभी भी ‘हिन्दी का अस्तित्व’ लुप्त हो सकता है?

आज मैंने फेसबुक पर हिन्दी दिवस मनाने का कारण जब पूछा तो जाना कि अधिकाँश लोगों को तो हिन्दी दिवस मनाने का कारण ‘हिन्दी का अस्तित्व’ बचाना लगता है. मीडिया और समाज की प्रसिद्ध शख्सियतों ने ‘हिन्दी के अस्तित्व’ को बचाने के मुद्दे को इस दिन से इस कदर जोड़ दिया है कि लोग वाकई ‘हिन्दी दिवस के महत्व’ को भूल गए हैं.

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी (देवनागरी लिपि में लिखी हुई) ही भारत की राजभाषा होगी और इस ख़ुशी को प्रति वर्ष मनाने के लिए ‘हिन्दी दिवस’ मनाया जाता है.” यह बात आज बहुत कम लोगों को याद है और अगर इस ही तरह हिन्दी के अस्तित्व पर शक करते रहेंगे तो शायद आने वाली पीढ़ियों को यह दिन वास्तव में ‘हिन्दी के अस्तित्व’ को बचाने के लिए ही मनाना पड़ेगा.

वर्तमान में वैश्वीकरण के चलते अंग्रेजी का उपयोग अधिक बढ़ गया है और सभी जगहों पर औपचारिक रूप से अंग्रेजी ही प्रचलन में है परन्तु इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि हिन्दी अपना अस्तित्व खो रही है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि युवा पीढ़ी में अंग्रेजी का प्रयोग ज़्यादा किया जाता है और वे हिन्दी में वार्तालाप करना तुच्छ समझते हैं लेकिन क्या SMS पर OMG, Please, Sorry, Thank you लिखने से हम उनकी भाषा को अंग्रेजी मान सकते हैं? उम्र जो भी हो, क्या किसी भी व्यक्ति को आपने भगवान सेमात्रभाषा को छोड़कर किसी और भाषा में बात करते देखा है…? नहीं ना…तो फिर हिन्दी कभी लुप्त नहीं हो सकती और उसके अस्तित्व पर सवाल उठाना यानी उसका अपमान करने के बराबर है.

मैं यह मानता हूँ कि इंसान स्वयं से, भगवान से और अपनों से हमेशा अपनी भाषा में ही बात करता है और हिन्दी का अस्तित्व न आज खतरे में है न कल होगा. आज भी दूर देश में अगर हमें कोई हिन्दीभाषी मिल जाए तो अनजान होने के बाद भी अपना सा लगता है और उससे एक अलग ही अपनत्व का रिश्ता बन जाता है. हिन्दी भाषा वो डोर है जो हम हिन्दुस्तानियों को अनेकता में भी बांधे रखने का काम कर रही है.

मैं आज के दिन सिर्फ इनता कहना चाहूँगा कि ‘हिन्दी के अस्तित्व’ को बचाने के लिए नहीं बल्कि हिन्दी के अस्तित्व को मनाने के लिए ‘हिन्दी दिवस’ मनाइए और हम अगर वाकई हिन्दी को सम्मान देना चाहते हैं तो सभी अपने घर में सिर्फ हिन्दी का ही प्रयोग करें!