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With the protection of this Rakshabandhan sister, take the pledge of protecting India mother.

इस रक्षाबंधन बहन की रक्षा के साथ ही, प्रतिज्ञा लो भारत माँ की रक्षा की।

राखी बाँधना, सिर्फ भाई-बहन के बीच का कार्यकलाप नहीं रह गया है। राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए भी बाँधी जाने लगी है।

यूँ तो भारत में भाई-बहनों के बीच प्रेम और कर्तव्य की भूमिका किसी एक दिन की मोहताज नहीं है, पर रक्षाबंधन के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की वजह से ही यह दिन इतना महत्वपूर्ण बना है। बरसों से चला आ रहा यह त्यौहार आज भी बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

हिन्दू श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह त्योहार, भाई का बहन के प्रति प्यार का प्रतीक है। रक्षाबंधन पर बहनें भाइयों की दाहिनी कलाई में राखी बांधती हैं, उनका तिलक करती हैं और उनसे अपनी रक्षा का संकल्प लेती हैं। हालांकि रक्षाबंधन की व्यापकता इससे भी कहीं ज्यादा है।

महाभारत में भी रक्षाबंधन के पर्व का उल्लेख है। जब युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा, कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूं, तब कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिए राखी का त्योहार मनाने की सलाह दी थी।

शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण की तर्जनी में चोट आ गई, तो द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर चीर उनकी उंगली पर बांध दी थी। यह भी श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। कृष्ण ने चीरहरण के समय उनकी लाज बचाकर यह कर्ज चुकाया था। रक्षा बंधन के पर्व में परस्पर एक-दूसरे की रक्षा और सहयोग की भावना निहित है।

आज यह त्योहार हमारी संस्कृति की पहचान है और हर भारतवासी को इस त्योहार पर गर्व है। लेकिन भारत में जहां बहनों के लिए इस विशेष पर्व को मनाया जाता है वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भाई की बहनों को गर्भ में ही मार देते हैं।

आज कई भाइयों की कलाई पर राखी सिर्फ इसलिए नहीं बंध पाती क्योंकि उनकी बहनों को उनके माता-पिता ने इस दुनिया में आने ही नहीं दिया। बेटियों को बचाइए ताकि किसी भाई की राखी के दिन कलाई सुनी न रह पाए। और अगर आपकी बहन नहीं है, तो किसी भी जरुरत मंद बालिका या महिला से राखी बंधवा कर, उसकी रक्षा करने का वचन लीजिये। एक भाई होने की जो अनुभूति है, वो अपने आप में जीवन के सर्वश्रेष्ठ सुखों में से एक है। और कलाई पर राखी बंधवाने का जो आनंद है उसकी भी एक अलग ही बात है।

इस रक्षाबंधन, क्यों न हम एक रक्षा का प्रण और लें, एक राखी अपनी भारत माँ से बंधवाकर।
उसके दुखों को अपना दुःख बना ले, क्योंकि जब वो मुस्कुराती है तो साथ में हम सब स्वतः ही मुस्कुराते हैं। आखिर हमारे इस खुबसूरत चमन की रक्षा की सौगंध, हम नहीं लेंगे तो कौन लेगा?

शुभ रक्षाबंधन।