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Nadda ji

Why Negativity?

नकारात्मकता क्यों ?

कितना आसान है किसी भी व्यक्ति के जीवनभर के त्याग,तपस्या ,कर्मठता को नजर अंदाज़ कर, उसकी आलोचना कर देना। खासकर राजनीति में, मात्र अपने स्वार्थी नजरिये से देखकर निराधार, अनर्गल छर्रे छोड़ देना कतई उपयुक्त नहीं कहा जा सकता।

राजनीति थर्मामीटर है देश और समाज की पूरी जिंदगी की असलियत दिखाने का। वहाँ जो होता है वह सब तरफ लोगों की जिंदगी में शुरू हो जाता है। वहां यदि बुरा, बेईमान या ग़ैर ज़िम्मेदार आदमी है, तो जीवन के सभी क्षेत्रों में बुरा आदमी सफल होने लगेगा। वहाँ ईमानदार है तो देश का बेईमान अवश्य भय खायेगा।

हमारे प्रधानमंत्री मोदीजी अगर देश को भ्रष्टाचार के मार्ग से हटाकर, इसे ईमानदारी के मार्ग पर लाने का प्रयास कर रहे हैं तो इस परिश्रम की प्रशंसा होना चाहिए। इस सुकर्म में दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर सबके सहयोग की अपेक्षा की जानी चाहिए, बजाय हर कदम पर नकारात्मक प्रतिक्रिया देने के।
उदाहरणस्वरूप मोदीजी यदि नोटबंदी करें, कालाधन रोकने हेतु सख्ती करें, अन्य देशों के साथ आपसी सहयोग से विकास करें, नोट बंदी के मार्ग में व्यवधान बने लोगों पर छापामारी करें या डिजिटलाइजेशन को अपनाएं।

वह कुछ भी करें, हमारे प्रतिपक्षी कहेंगे ये सब मत करो। विडम्बना यह है कि इन सद्कर्मों में भी उन्हें मोदीजी रिश्वत लेते दिखते हैं। स्वप्न में भी देश का आम आदमी ऐसा नहीं सोच सकता, पर हमारे धुरंधर प्रतिपक्षी ऐसा स्वप्न, दिन में भी देखने के आदि हैं। वे नकार ही से नकारात्मकता कायम रखना चाहते हैं।

नकारात्मकता सदा अकर्मण्यता लाती है जो देश के लिए घातक ही होती है। पलायनवाद एवं अकर्मण्यता ने ही हमारे देश में भ्रष्टाचार और अपराधवृत्ति को बढ़ाया है, फलस्वरूप देश का राष्ट्रीय चरित्र दागदार हुआ है, इसमें गिरावट देखी जा रही है।

मोदीजी इस गिरावट को थामने का प्रक्रम कर रहे हैं। भ्रष्टाचार और चरित्र संबंधी छिद्रों को सख्त कानून से बंद करने के लिए जूझ रहे हैं। इस तरह वे मौजूदा पीढ़ी के राष्ट्रीय चरित्र को सुधार सकें तो आने वाली पीढ़ी इन्हें देखकर ही राष्ट्रीय अनुशासन का अनुसरण स्वभावतः, सहज रूप से करेगी। बीस वर्ष में पीढ़ी बदल जाती है।

अतः हम पुराने विषाक्त वातावरण को विदा करें, नई उर्जा का स्वागत करें। नई पीढ़ी को सत्यम, शिवम्, सुन्दरम् की ओर गतिमान करें। मोदी जी की नज़र देशवासियों के खून में रचे-बसे ऐसे ही उज्ज्वल अनुशासन और राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण पर है, जो किसी भी राष्ट्र के विकास की पहली जरूरत है।