क्या ले जायेंगे अग्रिम नव वर्ष में? …सोचें
वर्ष 2016 विदाई बेला में है, वर्ष 2017 क्षितिज पर उदय होने को आतुर है। नव वर्ष को लेकर हम भरपूर उत्साहित हैं। आगामी वर्ष हमारे लिए आनंददायी रहे, इसके लिए कम से कम एक बार वर्ष 2016 का सिंहावलोकन जरूर कर लेना चाहिए, ताकि हम बीते वर्ष की अपनी ताकत और अपनी कमजोरियों को समझें, तदनुसार नव वर्ष के संकल्प तय करें।
यहाँ यह समझना जरूरी है कि हमारा जीवन प्रतिध्वनि जैसा है, जैसी ध्वनि करेंगे, वैसी ही वापस आयेगी, जैसे कर्म करेंगे वैसे ही फल पाएंगे, यही प्रकृति का, कर्म का अकाट्य सिद्धांत है। इसका कुल इतना ही अर्थ है कि जो हम पाते हैं वह हमारा ही किया हुआ है।
हम ही अपना जीवन अर्जित करते हैं, जो बीज हम बोते हैं उन्ही की फसल हम काटते हैं। जैसी करनी जो करे तैसो ही फल पाय, यानी हम जिस हैसियत का जीवन जी रहे हैं वह हमारे मुताबिक है या नहीं, वह हमारे कर्मों पर आश्रित है।
हम जीवन केवल व्यक्तिगत आकाक्षाओं के लिए ही जी रहे हैं या कर्मों का विस्तार अन्य के हितों के लिये भी करते हैं इसका बहुत महत्व है।
यदि हम कुछ आदर्श और सिद्धांत जेहन में, हमारे कर्मों में उतारते हैं तो श्रेष्ठ कर्मों का माद्दा हममे आएगा। हम मानवता के संवाहक होंगे, हममे आदमियत बनी रहेगी, अन्यथा मानवीय गरिमा हममे गलने लगेगी।
तब हममे बैठा भगवान धूमिल होता चला जायेगा और जीवन में अंधकार व्यापेगा और तब जीवन में दुःख का आगमन होगा।
नव वर्ष में ऐंसा कतई नहीं चाहेंगे इसीलिए मेरा मानना है कि एक बार 2016 के कर्मों पर चिंतन जरूर करें, अपने लक्ष्य पर टिके रहें पर इसके परे भी सोचें।
जैसे अगर कोई रेलगाड़ी का एक्सीडेंट हो जाये, लोग कराह रहे हों तो डॉक्टर का यह कहना मुनासिब नहीं होगा कि हम सो रहे हैं ,हमें समय नहीं है। उन घायलों के लिए उसे एक रात जागना चाहिए, उसे अपनी जिम्मेदारी समझाना चाहिए, आगे का जीवन कहीं युँहीं व्यर्थ न हो जाये, इसके लिए यह जरूरी है कि हम कुछ आदर्शों का पालन करें, बल्कि जीवन में आपसी सहयोग और भाईचारे का व्यवहार जरूर करें।
जैसे उदाहरंणस्वरूप आपने एक दृष्टिबाधित दिव्यांग और पैर-बाधित दिव्यांग की कहानी जरूर पढ़ी होगी। दृष्टिबाधित ने चलकर, पैर-बाधित ने देखकर सारा काम आपसी सहयोग से पूरा कर लिया। हम और आप भी मिल जुल कर अगर कर्म कर पाते हैं तो सार्थक फल अवश्य मिलता है।
यह नियम सब पर लागू होता है,चाहे सरकार, संगठन, समाज, परिवार, हम, आप या अन्य कोई इकाई हो। आपसी सहयोग और भाईचारे से सबके हितार्थ कार्य करने से सबका हित सधेगा,हम सबका भला होगा।
तो अब आप अपने लक्ष्य के सन्दर्भ में विदा हो रहे वर्ष में किये अपने कर्मों पर नए सिरे से एक निगाह डालें, अपनी कमजोरियों को पहचानें, नए वर्ष में इन्हें दूर करते हुए अपनी ताकत के बल पर अपना संकल्प पूरा करने हेतु तन्मयता से जुट जाएँ। अपना भाव इस तरह का रखें :-
“सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।”
और अंत में यह भी याद रखें कि भौतिक सुख व अन्य वस्तुएं कर्मों से भले मिल जाएँ, पर ज्यादा महत्वपूर्ण चीजें जैसे प्रेम, आराधना, आस्था, परमात्मा का सान्निध्य केवल कर्म से नहीं मिलता, ये सभी मिलते हैं भाव से, तो अपना भाव हरदम अच्छा रखें। शुद्ध रखना श्रेयस्कर होगा ।