ॐ नमः शिवाय
आदिदेव भोलेनाथ शिव संग, आदि शक्ति माँ पार्वती के पवित्र मिलनपर्व महाशिवरात्रि पर सभी को हार्दिक बधाई।
शिव पुराण की विधेश्वर संहिता अनुसार यह पर्व साधकों को इच्छित फल देने वाला है।
पुराणों के अनुसार यह भी बताया गया है कि फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी की इसी पावंन महारात्रि में भगवान भोलेनाथ निराकार से पहली बार ज्योति स्वरूप प्रतीक लिंगरूप में प्रकट हुए।
जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि इनका पूजन सर्वप्रथम भगवान ब्रम्हा और भगवान विष्णु ने किया।
इस कारण यह तिथि महाशिवरात्रि के नाम से जानी जाती है।
इस रात्रि में भगवान शिव का रूप उनके भक्तों के लिये कल्याणकारी और फल प्रदायक है।
इस रात्रि में जिस किसी की जिव्हा पर ॐ नमः शिवाय का जाप विद्यमान होता है उसे मनवांछित फल की प्राप्ति अवश्य होती है।
तो आइए ‘ॐ नमः शिवाय’ के जाप का हमारे जीवन पर होने वाले चमत्कारी प्रभाव को समझें एवं जाप द्वारा जीवन सफल बनावें।
यह जरूर ध्यान में रखें कि आदि षडाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का प्रतिपादन भगवान शिव ने स्वयं किया है और ब्रम्ह्स्वरूपधारी भगवान शिव ही इसमें प्रतिष्ठित हैं, अतः ॐ नमः शिवाय के जाप से हम देहधारियों के सारे मनोरथ सिद्ध होते हैं।
यह जाप हमें ध्यान अवस्था में लाने में मदद करता है।
इस ध्यान अवस्था से हमारे मन एवं शरीर का शुद्धिकरण होता है और तदनुसार हमारे कर्म शुद्ध होते हैं।
इस मंत्र के सुप्रभाव को वैज्ञानिक और सरल तरीके से समझें।
“ॐ नमः शिवाय में सर्वप्रथम प्रणव ॐ है”
ॐ में साक्षात ब्रम्ह समाए हैं। इन ब्रम्ह को महसूस करने अपनी नाभि की गहराई से ॐ का नाद प्रारंभ करें, धीरे धीरे तालू और कपाल तक लाकर इसे बाहर निसृत करें। इससे शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है, इसे आप स्वयं ऊर्जा एवं शांति महसूस करेंगे।
“मंत्र का दूसरा भाग नमः शिवाय है”
ये पंचाक्षर प्रकृति में मौजूद पंच तत्वों के प्रतीक हैं। इन पंचाक्षरों से हमारे शरीर के ज्ञान केन्द्रों को जागृत किया जा सकता है। इस तरह ये पंचाक्षर पूरे शरीर तंत्र के शुद्धिकरण का बहुत शक्तिशाली माध्यम हैं, इनके जाप से हमारी कुण्डलिनी जाग्रत होती हैं।
जब तक कुण्डलिनी सुप्त हो इसकी ऊर्जा भी सुप्त ही रहती है। ॐ नमः शिवाय के जाप से इसमें हलचल होती है, फलतः इसकी ऊर्जा का प्रवाह संपूर्ण शरीर में तेजी से होता है और शरीर ऊर्जावान लेकिन शांत एवं शुद्ध होता है।
आइए हम सब मिलकर इस शिवरात्रि पर मन से जपें “ॐ नमः शिवाय”
शीश पे गंगा चन्द्र बिराजे ,शिव आराधन पाप से तारे
शिव में ही प्रभु-सार हैं सारे ,आओ मन से नाम उचारें
ॐ नमः शिवाय ,ॐ नमः शिवाय…
ॐ नमः शिवाय ,ॐ नमः शिवाय…