Kailash Vijayvargiya blogs Looking Beyond Premier League: India's True Worth - Kailash Vijayvargiya
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Nadda ji

India is much Bigger than the Premier League!

……और भी गम हैं ज़माने में, क्रिकेट के सिवाय !

आज सड़क से लेकर संसद तक I P L छाया हुआ है! कैसा दुर्भाग्य है कि जिस देश की संसद में I P L यानि इंडियन पॉवर्टी लाइन पर चर्चा होनी चाहिए उस देश की संसद में इंडियन प्रीमियर लीग पर चर्चा हो रही है. किसी शायर के शब्दों में बस इतना ही कहा जा सकता है कि – और भी गम हैं ज़माने में, क्रिकेट के सिवाय !!</div>
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<div>यह सही है कि इस देश में क्रिकेट एक जुनून है ! एक जुस्तजू  है! लेकिन इसका यह मतलब भी नहीं है कि देश की संसद सारे ज़रूरी काम छोड़कर I P L पर बहस करने लगे !! क्या देश में महंगाई कम हो गई? क्या देश का रूपया डॉलर की तुलना में मजबूत हो गया? क्या चीनी ने अरुणाचल में हथियाई गई भारतीय ज़मीन को छोड़ दिया है? क्या गरीबी, भुखमरी और बेरोज़गारी जैसी समस्याएँ खत्म हो गई हैं? जो हमारे सांसद इन तमाम बड़े मुद्दों को छोड़कर I P L पर अपना सिर खपा रहे हैं !!

माना कि आई.पी.एल. में कुछ घटनाएं ऐसी हुई हैं जिन्होंने क्रिकेट को कलंकित किया है. स्पॉट फिक्सिंग का मामला हो या शाहरूख़ खान का विवाद, ल्यूक कि बदतमीजी हो या फिर प्रीती ज़िंटा की दादागिरी, इन सब मसलों ने भद्रलोक के खेल क्रिकेट को बदनाम किया है लेकिन ऐसा कहाँ नहीं होता? क्या हर जगह, हर संस्था में सब कुछ ठीक चल रहा है? क्या संसद और विधानसभाओं में सब कुछ ठीक है? क्या संवैधानिक संस्थाओं में हंगामे नहीं होते? क्या विधानसभाओं में कुर्सियां, माइक और जूते नहीं फेंके जाते? तो फिर आई.पी.एल. को लेकर इतना हंगामा क्यों? कहीं यह तमाम गंभीर समस्याओं से जन-मानस का ध्यान भटकाने का हथकंडा तो नहीं?