सरकार की मनमानी और हमारे संघर्षों का ‘बंद’
सरकार की मनमानी और हमारे संघर्षों का ‘बंद’ बंद- एक प्रतिक्रिया है जो हर आम आदमी के अन्दर छुपे क्रोध और सहनशक्ति को दर्शाती है. आज बात सिर्फ पेट्रोल की नहीं है, केन्द्रीय सरकार द्वारा की जा रही ज़्यादती की है जो आम ज़िन्दगी को हर तरफ से दूभर बना रही है. बात सिर्फ उन लोगों की नहीं जिनके पास गाड़ियाँ है उन लोगों की भी है जिनके पास गाड़ियाँ नहीं है. पेट्रोल के भाव सीधे Rs.7.5 बढ़ाकर क्या केन्द्रीय सरकार अप्रत्यक्ष रूप से सभी चीज़ों के भाव नहीं बढ़ा रही? क्या यह केन्द्रीय सरकार की साजिश है अन्य अहम् मुद्दों से आम जनता का ध्यान भटकाने की?