सत्य की एक बूंद, असत्य के पूरे सागर से ज्यादा शक्तिशाली होती है।
एक माली ने एक फलदार पौधा लगाया, उसे वह नियमित खाद पानी देने लगा। लेकिन एक बच्चा रोज़ मिटटी हटाकर देखता, पौधा बढ़ नहीं रहा, फल नहीं दे रहा।
माली ने कहा- इसे छेड़ो मत, धीरज से प्रतीक्षा करो, फल आएंगे।
बच्चा अहंकारी और जिद्दी था, बालहठ कर बीज को निकाल फेंकने लगा।
स्वार्थी, जिद्दी बच्चा माली के सद्कर्म क्या समझे! माली बीज की रक्षा के ज़रूरी उपाय में लग जाता है।
दो विरोधी बातें हैं:- बच्चे का नकारात्मक हठ, और माली का रचनात्मक सम्यक संकल्प। किसका साथ दिया जाए?
सम्यक संकल्प यानी जो करने योग्य है, वह करना। उसकी सफलता हेतु सब कुछ दांव पर लगाने का साहस रखना। हमारे प्रधानमंत्री जी का सम्यक संकल्प है, ‘काला धन पर प्रहार और आतंकी फंडिंग रोककर आतंक की जड़ को कुचलना’। अपना संकल्प पूरा करने के लिए उन्होंने नोटबंदी का पौधा लगाया है। हमारे विवेकशील देशवासी इससे फल प्राप्ति हेतु ज़रूरी धीरज, प्रतीक्षा और सहिष्णुता के साथ पसीना बहा रहे हैं क्योंकि उन्हें ज्ञात है कि-
“धीरे धीरे रेमना, धीरे सबकुछ होय,
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतू आये फल होय”
इधर दूसरी तरफ हमारी मंजिल की राह में प्रतिपक्षी अपने अहंकार, पूर्ण स्वार्थ और विवेकहीन, जिदवश कांटे बोने और गड्ढे खोदने जैसे नकारात्मक कर्म करते दिख रहे हैं। उन्हें स्मरण रहे, विगत सरकारें कालाधन और आतंकवाद के नियंत्रण संबंधी केवल विचार ही करती रही हैं अरसे तक। स्थिति ज्यों की त्यों बनाए रखते हुए, केवल लोगों को भरमाते रहे, किया कुछ नहीं। इससे जरुरी यह समझें कि हजारों मील चलने का विचार वर्षो करते रहने की अपेक्षा लक्ष्य की ओर सूझबूझ भरा एक कदम बढ़ा लेना ज्यादा मूल्यवान है। यह भी ख्याल रहे कि प्रकृति के आकर्षण का नियम और स्वयं ईश्वर भी सकारात्मक विचारों के साहसी कार्यों का ही संकल्प पूरा करते हैं, जैसे मोदीजी का संकल्प।
अपने लक्ष्य की राह में आ रही परेशानियों को दूर करते जा रहे मोदीजी के पीछे लोगों का कारवां बढ़ रहा है, क्योंकि देशवासी अप्रत्यक्ष लाभ के अलावा इन कुछ प्रत्यक्ष लाभों को भी स्पष्ट देख रहे हैं –
सी.आई.आई के मुताबिक १४ लाख करोड़ रु. के नोट बदले जाने हैं, पर २०– २५ फीसदी नोट दर से नही बदले जाएंगे। यानि लगभग ३.५ से ४ लाख करोड़ रु. सरकार को मिलेंगे।
इतनी बड़ी राशि का उपयोग इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार, लोन सस्ता करने आदि में होगा। इससे हम आमजन को ही सर्वाधिक लाभ होगा।
बाजार में आगे से काला धन घटेगा, नया नहीं बनेगा तब मकानों व अन्य उपयोगी वस्तुओं की कीमत जरुर घटेंगी।
नोटबंदी से सरकारी-गैरसरकारी स्तर पर डिजिटलाइजेशन बढेगा, इससे भ्रष्टाचार घटेगा। इससे कई सुविधए फलेंगी – फूलेंगी और कीमतें सिकुड़ने लगेंगी और टैक्स घटेंगे। आज लाइन में लगकर ईमानदार परेशान ज़रूर नज़र आ रहा है, पर यह पक्के से समझ लें कि 31 दिसम्बर के बाद ईमानदार हाइवे पर होगा और परेशानी के कांटे स्थायी रूप से बेईमानों की राह में होंगें।
ऐसे में आओ प्रधानमंत्री जी के साथ और हमारी राह में कांटे खड़े करने वाले और हम पर पत्थर फेकने वालें हताश प्रतिपक्षियों के नापाक मंसूबे नाकाम करें और उनके असली चेहरे सभी देशवासियों के सामने लाएं।