नवरात्री के पर्व पर पूरे देश में रास उल्लास का माहौल है और सभी भक्त माँ दुर्गा की पूजा, आराधना में लगे हुए हैं। हर कोई अपनी पूरी श्रद्धा से माँ की भक्ति में डूबा हुआ है… और साथ ही आया है शारदीय नवरात्री की पहचान “गरबा”, जो स्वयं में भक्ति और सकारात्मकता की अभिव्यक्ति है।
नवरात्री के “गरबे” बच्चों, युवाओं, बड़ों.. सभी को छू जाते हैं।
गरबों में ऐसा आकर्षण है कि, विश्व भर के लोग गरबे के प्रति आकर्षित होते हैं। गरबा सिर्फ एक नृत्य नहीं है, एक भक्तिमय भावना है, यह हमारी एक सांस्कृतिक धरोहर है।
सर्वप्रथम, नवरात्री के इस अवसर पर, सभी लोग एक जगह एकत्रित होकर, माँ की आराधना करते हैं, जिससे तन, मन और चारों ओर का वातावरण भी पवित्र और उर्जावान हो जाता है। माँ का आशीर्वाद ले, खुद को भुलाकर सभी भक्त, माँ की भक्ति में मग्न हो, गरबे में लीन हो जाते हैं।
व्यस्तता के इस दौर में, आज हर किसी को अपने विभिन्न कार्यों के चलते, अपने प्रियजनों से मिलने का मौका भी बहुत कम मिल पाता है, ऐसे में गरबा आयोजन सभी को एक-दूसरे से जुड़ने का एक मौका देता है, जब हम जाने-अनजाने लोगों से मिल अपनी खुशियाँ और कुछ गम बाँट सकते हैं।
गरबे का वृत्त जिसमे माँ के भक्त “गरबा” करते हैं, वह भगवान की परिक्रमा के समान है, जो नृत्य करते समय माँ दुर्गा के अत्यंत समीप ले जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने भी कहा है कि, भगवान की आराधना में परिक्रमा लेना, आपको भगवान के और समीप ले जाता है और ईश्वर के सानिध्य में होने का एहसास दिलाता है।
गरबे की सबसे अच्छी और शक्तिशाली बात है “ताली”। यह वैज्ञानिकों द्वारा सिद्ध है, कि ताली बजाने से सकारात्मक शक्ति बढ़ती है, और गरबा करते समय आप निरंतर कई बार ताली बजाते हैं, इससे एक ऐसी अद्भुत सकारात्मक शक्ति उत्पन्न होती है, जो आपके शरीर को पूर्णरूप में ऊर्जा से भरकर, आपको तरोताज़ा कर देती है।
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रास उल्लास से भरा “गरबा” हर किसी को स्वयं ही अपनी ओर खींच लेता है, और इतने उल्लास से भरे होने के बाद भी, गरबे के लिए अनुशासन बहुत ज़रूरी है। एक चूक हुई और आप गिर भी सकते हो। इसलिए ‘गरबा’ हमें जोश के साथ होश बनाए रखने का सन्देश भी देता है। अर्थात, ऊर्जावान रहो, किन्तु सजग भी।
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हमारा व्यव्हार हमारी सबसे बड़ी खूबसूरती होता है, और ‘गरबा’ हमारी इसी खूबसूरती को कई गुना निखारता है। एक-दूसरे का साथ निभाना, कदम से कदम मिलाना, साथ वालों को आगे बढ़ाना, कोई डगमगाए तो उसे संभालना।
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और गरबे की एक खास बात होती है गरबे की सांस्कृतिक वेशभूषा। हमारी संस्कृति से हमें जोड़े रखना तो इसकी सबसे बड़ी विशेषता है ही, और साथ ही ये गरबे की वेशभूषा रंगों से सराबोर होती है, जिससे सब ओर कई तरह के रंग ही रंग दिखाई देते हैं, जो हमें ये महसूस कराते हैं, कि ज़िन्दगी कितनी खुशनुमा कितनी रंगों से भरी हुई है।
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गरबे का सबसे बड़ा लाभ यह है, कि जो लोग इसे मात्र मनोरंजन का साधन मानते हैं, गरबा उनके साथ भी कोई पक्षपात नहीं करता। वे माने न माने, अनजाने में ही सही, वे एक भक्ति करते हैं, और इसके सभी फायदे उन्हें मिलते ही हैं। हाँ! जो माँ का नाम मन में लेकर गरबे करते हैं, उन्हें जो सिद्धि प्राप्त होती है, उसकी तो बात ही कुछ और है।
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हमारे स्वास्थ्य और आंतरिक बल में सुधार लाने वाला ‘गरबा’, हमें हमारे परिवार, दोस्तों, प्रियजनों के और करीब कब ले जाता है, हमें पता ही नहीं चलता। हाँ, जब इसके परिणामस्वरूप हम साथ मिलकर कुछ मुस्कराहटें बाँट लेते हैं, तब अन्दर कहीं महसूस होता है, कि कुछ तो बदला है, कुछ है, जो फिर सही हो गया है। और ‘गरबे’ के माध्यम से रिश्तों में आई ये करीबी, लम्बे समय के लिए एक डोर से बंध सी जाती है।
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इस नवरात्री में आपने अभी तक गरबा नहीं खेला है,
तो मेरा निज़ी सुझाव है, कि बस कुछ ही दिन बचे हैं, गरबा ज़रूर खेलें और वो भी माता का नाम लेकर खेलें।
और हाँ!
नवरात्री के बाद भी व्यायाम ना छोड़े। कम से कम रोज़ दौड़ तो ज़रूर लगाएँ, चाहे गरबे को याद करके ही सही। आखिर, हमारी सेहत ही तो हमारा सबसे बहुमूल्य खज़ाना है।
जय माता दी।