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Nadda ji

Raavan Mukti

श्रीरामजी की रावण पर विजय के दिवस दशहरे के पावन अवसर पर सभी विश्वबंधुओं को शुभकामनाएं।

रावण युद्ध भूमि में उतरता है , राम से घोर संघर्ष करता है। बहुत परिश्रम के बाद भी जब रावण वध नहीं हो पा रहा था तब रामजी ने विभीषण की तरफ देखा। विभीषण ने रावण की नाभि में अमृत होना बताया। बस,रामजी ने एक साथ 31बाणों का संधान किया,इन्हें छोडा़। बीस बाणों से हाथ,दस से सिर कटे व एक से नाभि भेदन हुआ। रावण धराशायी हुआ। शिव ब्रह्मा भी प्रसन्न हुए। पर यह देख सभी अचांभित हुए कि रावण की आत्मा का तेज प्रभु रामजी में समा गया। कुंभकर्ण की मृत्यु पर भी ऐसा ही हुआ था। इसका रहस्य जानने की जिज्ञासा सबको थी। इस रहस्य को समझें तो श्रीराम कृपा उनकी करुणा,सरलता के दर्शन कर कृतार्थ हो जाएंगे।

रावण,कुम्भकर्ण की आत्मा का तेजस रामजी में समाया,यानी उनकी मुक्ति,उनका मोक्ष हुआ। जन्म मरण से मुक्त हुए। इसका अर्थ हुआ वे अन्याय अत्याचार का नया अध्याय शुरु नहीं कर पाएंगे। रामजी ने ऋषियों के सामने भुजा उठाकर राक्षसों के विनाश का जो प्रण किया था, धर्म की स्थापना और अन्याय अत्याचार के खात्मे के लिये जन्म लेने की प्रभु ने जो घोषणा की थी,उसकी पूर्ति उन्होंने की। राक्षस दुबारा पृथ्वी का बोझ बनने मानवता को दुःख देने न आवें,इसकी व्यवस्था प्रभु ने उन्हें मुक्ति देकर की। मानव और जीव मात्र के प्रति रामजी का ऐसा चिंता-भाव ही उन्हें जन-जन के मन प्राण में बैठाता है।

अगर इस घटना को अधिक गहराई से समझें तो इसके मूल में हमें रामजी की करुणा,दया के साथ “गए शरण प्रभु राखिहें ” वाला विलक्षण,कोमल प्रेम भाव नजर आएगा। रावण कुम्भकर्ण की मृत्यु के वक्त उनके हृदय में रामजी ही रामजी थे। भले ही शत्रुभाव से ही सही। ऐसी मृत्यु मोक्ष दिलाएगी ही। रामजी का स्मरण करने वाले को वे अपनाते ही हैं, उसका दुःख दर्द दूर करते ही हैं। सच ही कहा है :– भांय कुभांय,अनेख अलसहुं , नामजपत मंगल दिसी दसहुं।

तुलसी दासजी ने भाी कहा है :-
तुलसी अपने रामको,रिझ भजो या खीझ !!
उलटो सीधो उगहे, खेत पडे़ को बीज।
भाव से कुभाव से,प्रसन्नता से या क्रोध से,कैसे भी रामजी को भजेंगे,मंगल ही होगा। जैसे खेत में बीज उलटा सीधा कैसे भी पडे़ उगता ही है।
रामजी को सुख धाम कहा जाता हैं। अपने अवतार काल में उन्होंने तीव्र दुःख झेले,अतः हमारी पीडा़ उन्हें द्रवित करती है। इसी कारण कैसा भी दुराचारी,क्रोधी हो,उनकी शरण लेगा तो वह शुद्ध तो हो ही जाएगा,प्रभु उसे अवश्य अपनाएंगे। पीडा़ दूर करेंगे।
आओ ! शुद्ध भाव से हम भी इस पावन अवसर पर श्रीरामजी की शरण होवें,शांति आंनद हेतु प्रार्थना करें।

Clean India, Best India

स्वच्छ भारत, श्रेष्ठ भारत

कल लाल बहादुर शास्त्री जी और महात्मा गाँधी जी की जयंती थी, इन दोनों महापुरुषों के विचार एक दिन तक सीमित नहीं हैं।

स्वच्छ भारत के प्रणेता महात्मा गाँधी और श्रेष्ठ भारत के उपासक लाल बहादुर शास्त्री जी के मूल्यों को उठाकर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने जो शुरुआत की है, उसके लिए हमे एक नहीं 365 दिन भारत को स्वच्छ और श्रेष्ठ बनाने हेतु निरंतर प्रयासरत रहना होगा।

गीता में कहा गया है, जैसा आचरण हमारे श्रेष्ठ लोग करते हैं, उनकी प्रेरणा से वैसा आचरण अन्य लोग करते हैं। गांधीजी और शास्त्री जी दोनों श्रेष्ठ आचरण का उत्कृष्ट आदर्श रहे हैं। उनके व्यवहार के छोटे-छोटे उदाहरण दृष्टव्य हैं।

स्वच्छता के लिए ज़रूरी है जागरूकता –

सन् 1936 की बात है। गांधीजी वर्धा में सेवाग्राम चले गए। वहां रहकर उन्होंने आसपास के ग्रामीण लोगों से संपर्क साधना शुरू किया। वे नियमित रूप से निकटवर्ती गांवों में जाते रहते, लोगों को स्वच्छता का महत्व समझाते, स्वयं झाड़ू लेकर गली-कुचों की सफाई करते तथा गरीब गंदे बच्चों को स्नान कराते। ग्रामीणों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने का यह क्रम महीनों तक नियमित रूप से चलता रहा।

बापू के इस प्रयास का कोई विशेष परिणाम निकलता न देख, एक कार्यकर्ता ने कहा- बापू, इन लोगों को समझाने एवं आपके स्वयं सफाई करने से भी इन पर कोई प्रभाव तो पड़ता नहीं, फिर भी आप क्यों तन्मय होकर इस कार्य में लगे रहते हैं?

बापू ने कहा- बस, इतने में ही धैर्य खो दिया। सदियों के गहरे संस्कार इतनी जल्दी थोड़े ही दूर हो जाएंगे। लंबे काल तक इनके मध्य रहकर इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई के प्रति अभिरूचि एवं जागरूकता पैदा करनी होगी।

हमारे प्रधानमंत्री श्री मोदी जी भी गांधी जी के स्वच्छ भारत-अभियान को आगे बढ़ाते हुए, देशवासियों को प्रेरित कर रहे हैं। यह अभियान केवल मोदी जी का नहीं, हम सब का है। देश हमारा है, इसे स्वच्छ हमें ही रखना है। मोदी जी हमें स्वच्छता के संस्कारों से भरना चाहते हैं। अतः देशहित में मोदीजी से कदम मिलाते हुए आओ! गांधीजी के जन्मदिन पर स्वच्छ भारत का संकल्प दोहराएँ। खुद श्रमदान करें, दूसरों को भी प्रेरित करें। बापू के सपनों के स्वच्छ, सुन्दर भारत का निर्माण करें।

शास्त्री जी के दोस्त ने अपनी पत्नी के इलाज के लिये उनसे पचास रूपये उधार मांगे। शास्त्री जी के पास इतने रूपये थे नहीं। उनकी पत्नी ललिता जी को यह स्थिति ज्ञात हुई। उन्होंने पचास रूपये शास्त्री जी को दिये ताकि वे अपने जरूंरतमंद दोस्त को सहयोग कर सकें। शास्त्री जी ने रुपए दोस्त को दे दिये। पर ललिताजी से पूछा इतने रूपये कहां से आए।

उन्होंने बताया हर माह दस रूपये की बचत करती हूँ। शास्त्री जी ने तुरंत अपने पार्टी कार्यालय को सूचित किया, मुझे वेतन पचास रू. प्रतिमाह के बजाय 40 रू. ही देवें। मेरी पत्नी ने चालीस रूपये में घर चलाना सीख लिया है। यह होता है देश व कर्तव्य के प्रति समर्पण। यही है कर्म को मात्र स्वार्थ साधन नहीं, इसे साधना बनाना। कर्म को पूजा बनाना।

आइये, ‘गांधीजी’ की स्वच्छता और ‘शास्त्री जी’ की श्रेष्ठता के आदर्शों पर मोदी जी के साथ चल, हम हमारे सपनों का स्वच्छ व श्रेष्ठ भारत बनाएँ।

Pak kee har chaal ka javaab hamaare tarakash mein hai.

जयहिन्द।

देश को हमारी सेना और सरकार ने सफल “सर्जिकल ऑपरेशन” से गर्व करने का जो अनुपम अवसर दिया है, उसके जोश की स्वाभाविक प्रतिक्रिया-स्वरूप ब्लाॅग की शुरूआत, जयहिन्द से।

हमारी सेना के जांबाज़ो ने LOC के पार जाकर सात आंतकी कैम्प व लगभग 40 आंतकियों का सफाया कर दिया। उसके बाद सुखद रूप से सभी जांबांज सुरक्षित अपने कैम्पों में लौट भी आये। संपूर्ण देश की दिली भावनाओं का ऐसा अप्रतिम प्रत्युत्तर देकर हमारी सेना व सरकार ने हमें उत्साह, आत्मविश्वास और स्वाभिमान से ओत-प्रोत कर, आनंद के बुलंद शिखर पर चढ़ा दिया।

पाकिस्तानी आंतकी करतूतों को लेकर जब हमारा धैर्य जवाब दे रहा था, तब ब्लाॅग के जरिए मैंने आग्रह किया था कि हम सरकार के शब्दों पर विश्वास रखें। सेना के इस कथन का सम्मान करे कि “एक्शन लेंगे, समय व स्थान हम तय करेंगे”।

पड़ोसी देशों से सुमधुर संबंध बनाने के प्रयासों का ही सुपरिणाम है कि, हाल ही के सार्क सम्मेलन का बहिष्कार कर, सभी प्रमुख सदस्य देशों ने भारत का पक्ष मजबूत किया। कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि प्रधानमंत्री जी का विजन स्पष्ट और संकल्प दृढ़ हैं। इसी का नतीजा है “सफल सर्जिकल आॅपरेशन”।

विशेष बात यह है कि कैसा माहौल बना कर इसे अंजाम दिया गया? जब विश्व के प्रमुख देश (अमेरिका, ब्रिटेन आदि) भी मानसिक रूप से तैयार हो गये कि भारत का सब्र यदि अब टूटता है, तो यह स्वाभावविक है। भारत कोई एक्शन लेता है, तो यह न्यायसंगत है।

भारत हमेशा से शांति का समर्थक रहा है। हमारे प्रधानमंत्री जी ने इसी भाव को घनीभूत करते हुए हमारी विश्वसनीयता को बढ़ाया है। यही कारण है कि आज विश्व का मीड़िया व प्रमुख देशों की सरकारें हमें जिम्मेदार परमाणु संपन्न राष्ट्र के रूप में स्वीकारते हैं।

महाभारत (कौरव पाण्डवों) का युद्ध टालने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने भी शन्ति के प्रयास जारी रखे थे। पर दुर्योधन झूठी ताकत व अभिमान से अंधा बना रहा। पिता धृतराष्ट्र भी मोहांध, विवकेशून्य रहे। श्रीकृष्ण के प्रस्ताव की महत्ता न समझकर, उसे नकार दिया। पाकिस्तान भी दुर्योधन मन वाला है। अपने अहम् के मद में अंधा, सच्चाई से विमुख, एटम बम का नशा, बेहोशी में विवेकहीन, उचित अनुचित के निर्णय में अक्षम। ऐसे नशे में पकिस्तान ने पठानकोट, उरी जैसी आंतकी घटनाओं को अंजाम दिया। और अब भी हमें लगातार खरोंच और घाव देने से बाज नहीं आ रहा। यह आपरेशन भी मात्र संकेत भर है कि अब पाक की बंदराना हरकतें कतई बर्दाश्त नहीं होंगी। शेर का धैर्य अब जवाब दे चुका है। अब ईंट का जवाब पत्थर से मिलेगा।

हमारे प्रधानमंत्री जी के विवेक, दूरदृष्टि, स्थितियों-परिणामों के पूर्व आंकलन की अद्भूत क्षमता की भूमिका को हम अब समझते जा रहे हैं। आज संपूर्ण देश एकजूट होकर, हर स्थिति के मुकाबले को तत्पर है। यह अत्यंत सौभाग्य व संतोष की बात है कि पाकिस्तान की हर चाल का जवाब हम देश वासियों के तरकाश में मौजूद है।

Place of terror, Pakistan

आतंक का स्थान, पाकिस्तान

मोदी सरकार द्वारा उठाए गए अहम कदमों की बदौलत Global Competitiveness Index में भारत की रैंकिंग में, 16 रैंकिंग का जबरदस्त सुधार हुआ है। इस सुधार के साथ ही अब भारत की रैंकिंग 39 हो गई है।

वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम की ओर से प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशियाई देशों की बात करें तो भारत के बाद श्रीलंका 71वें, भूटान 97वें, नेपाल 98वें और बांग्लादेश 106वें स्थान पर आया है। वहीँ पाकिस्तान इस लिस्ट में 122वें नंबर पर है, और साउथ एशिया में सबसे पिछड़ा हुआ है।

अभी कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री परवेज़ मुशर्रफ ने कहा था कि “पकिस्तान को भूटान समझने की ज़ुर्रत ना करे भारत.”… सही बात है, यह गलती हम कर भी नहीं सकते, क्योंकि अर्थिक विकास हो या खुशहाली भूटान भी पाकिस्तान से कहीं आगे है। भूटान वह देश है जिसने अपनी 50% ज़मीन जंगली जानवरों के संरक्षण के लिए सुरक्षित रखी है। वहीँ पाकिस्तान वह देश है, जिसने अपनी शत-प्रतिशत ज़मीन आतंकियों के लिए सुरक्षित रखी है। फर्क बहुत बड़ा है, भूटान मानव-वादियों की धरती है, और पकिस्तान आतंकवादियों की।

पकिस्तान चाहे लाख कोशिशें कर ले, पर उसका सच अब सबके सामने हैं। विदेशों से लाखों करोड़ों का क़र्ज़ लेकर पकिस्तान, अपने देश वासियों की आम ज़रूरतें पूरी करने की बजाय परमाणू बम बनाने में लगा है, आतंक को बचाने में लगा है। पकिस्तान का असली चेहरा तो उस दिन ही उजागर हो गया था, जिस दिन संसार का सबसे खतरनाक आतंकी लादेन पाकिस्तान में मारा गया था। यही नहीं, आज भी संयुक्त राज संघ द्वारा चिंहित, “हाफ़िज़ सईद” जैसे आतंकी वहाँ खुले-आम घूम रहे हैं, आतंक का ज़हर उगल रहे हैं। बेशर्म पाकिस्तान उन पर कार्रवाही करने की बजाय, उन्हें समाजसेवी संगठन बताकर उनकी करतूत पर पर्दा डालने में लगा है।

आतंक को पनाह देने वाले पकिस्तान के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मोर्चा खोल दिया है। अपने दामन पर आतंकवादी मुल्क होने का दाग पकिस्तान छुपा ज़रूर सकता है, लेकिन मिटा नही सकता। पाकिस्तान चाहे कितनी भी सफाई दे, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मंच से आए यह परिणाम साफ़ दिखाते हैं की, पकिस्तान अपने देश में केवल आतंक का विकास कर रहा है। पूरा विश्व एक स्वर में आतंक के पनाहगार पाकिस्तान के खिलाफ खड़ा हो रहा है, और वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान को विश्व से अलग थलग कर दिया जाएगा।

आज विश्व, भारत द्वारा पकिस्तान पर की गई कार्रवाही का समर्थन कर रहा है। अगर पाकिस्तान अब भी बाज़ नही आया तो वह दिन दूर नहीं, जब विश्व के मानचित्र से पकिस्तान गायब होगा। “एशिया पैसिफिक, डिफेन्स एंड एनालिसिस” के मुताबिक, अगर युद्ध की स्थिति आती है, तो पकिस्तान के हथियार और ताकत महज डेढ़ माह में ख़त्म हो जाएँगे। वहीँ भारत चार माह तक लगातार प्रभावी ढंग से युद्ध लड़ सकता है। भारत एक सक्षम, शक्तिशाली और ज़िम्मेदार देश है, जिसके लिए देशवासियों की खुशहाली और विकास ही सर्वोपरि है, और देश की मोदी सरकार का पक्ष साफ़ है,

अगर पाकिस्तान भारत के विकास में अवरोध बनने की कोशिश करेगा, तो मिटा दिया जाएगा।

Instead of comment commentary, cooperate in full country

टीका टिप्पणी के बजाय समाधान में सहयोग करे पूरा देश

रविवार को उरी में, हुए पाक-आतंकी हमले में 18 भारतीय जवान शहीद हो गये, जिसका अत्यंत दुःखद है। मैं सह्रदय सभी शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। मैं उनके परिवारों के प्रति संवेदना अभिव्यक्त करते हुए उनके बुलंद हौसले और उनके बच्चों के बहादुरी पूर्ण जज्बे को तहेदिल से नमन करता हूँ।

इस दुःखद घटना से सम्पूर्ण देश को आघात पहुँचा है। एक सर्वे के मुताबिक करीब 60 फीसदी देशवासी पाक-आतंकवाद से निपटने में सेना का इस्तेमाल करना चाहते हैं। इनका उत्साहपूर्ण सुझाव सर-आँखों पर, इस मामले में हम, हमारे देश की सरकार और माननीय प्रधानमंत्री जी की बहुआयामी सक्रियता को देख रहें हैं।

जैसे आहत शेर पूरी क्षमता से प्रत्याक्रमण करता है, वैसा ही कुछ अब होना तय है। जैसे शेर अपने शिकार पर ध्यान केन्द्रित कर, पहले उसे अलग-थलग करता है, फिर आकस्मात हमला करता है। देश की सरकार भी ठीक ऐसी ही रणनीति अपनाती नज़र आ रही है। अंतरार्ष्ट्रीय स्तर पर कूटनीति से पाक को अलग-थलग करना, उसके पश्चात सेना को उचित अवसर पर आक्रमण की स्वतंत्रता देना।

भारत-अमेरिका संबंधों के विशेषज्ञ श्री नरेश चंद्राजी जैसे अनुभवियों ने भी ऐसी नीति का पक्ष लिया है। उनका भी मानना है कि, ऐसी समस्याओं को बिना सोचे समझे जल्दबाजी में निपटने हेतु कूद पड़ना बुद्धिमानी नहीं होगी। आवेश में लिए गये, ऐसे निर्णयों में प्रायः सफलता संदिग्ध होती है।

इधर हमारे सैन्य अभियान के महानिदेशक ने सेना का इरादा स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने दृढ संकल्प व्यक्त करते हुए कहा कि आतंकी हमले का जवाब अब सेना जरुर देगी। इसके स्थान और समय का फैसला भी सेना स्वयं लेगी। ऐसे में हमसे अपेक्षा है कि, हम हमारी सेना व सरकार के इरादों पर धैर्यपूर्वक विश्वास अवश्य करें।

यह राष्ट्रहित व राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी समस्या है। अतः हमारे प्रधानमंत्री जी ने इस संदर्भ में सर्वमत से पुख्ता निर्णय लेने हेतु सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, यह लोकतंत्र के अनुकूल भी है।

स्वामी विवेकानंद ने भी “संघे शक्ति: कलयुगे” (कलियुग में संघटन में ही शक्ति है) का सिद्धांत वाक्य स्वीकारा था।

लेकिन उन्होंने इस सिद्धांत के प्रति भारतियों की बेरुखी भी बताई थी। उनका कथन था, “हम समाज व देशहित के लिए संगठित और अनुशासित कार्य करने के बजाय व्यक्तिगत स्वतंत्रता व हित के कार्य में रुचि लेते हैं। हम झूठे आत्माभिमान की दुहाई देकर संगठित-अनुशासित कार्य का तिरस्कार करते हैं।”

ऐसे में स्वामी जी का आग्रह था, कि हमें देशहित में संगठित और अनुशासित कार्य करने की प्रवृति, भारतीयों के खून में लाना चाहिए, जिसका अभाव उन्होंने बताया था। शायद यह सही भी है। देश के समक्ष खड़ी वर्तमान पाक-आतंकी समस्या के संदर्भ में, जनता को और खासकर सभी राजनैतिक दलों को मिलजुल कर आगे की रणनीति बनाना चाहिए। एकजुट होकर समरसता से उसे अंजाम तक पहुँचाना उपयुक्त होगा। जैसे एक बड़ी मशीन के सभी पुर्जे समरसता से कार्य करते हैं, तभी सोचा गया फल मिलता है। अगर एक छोटा सा पुर्जा भी अकड़ जाए तो मशीन सुचारू रूप से नहीं चलती।

उम्मीद है पूरा देश इस समस्या के समाधान में सहयोग करेगा, बजाय एक दूसरे पर टीका टिप्पणी कर ऊर्जा का अपव्यय करने के।

जय हिन्द!
भारत माता की जय।

Swaraj will change in Suraj

सूराज में बदलेगा स्वराज

लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सफल भारत के निर्माण का एक ही मंत्र दिया, एकता, जाति और धर्मं के नाम पर बंटा समाज, कभी उचाईयों को नहीं छु सकता। प्रगतिशील भारत, उन्नत तभी बन पाएगा जब पूरा देश एक होकर राष्ट्र उत्थान के लिए काम करे। सारे भेद-भाव मिटाकर राष्ट्र हित के बारे में सोचे।

केंद्र की मोदी सरकार देश के अंतिम नागरिक तक के लिए काम कर रही है, जो सूराज का मूल मंत्र हैं। देश को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकी ताकतें देश को तोड़ने में लगी हैं, और यही वजह है जिन नौजवानों के हाथ देश की रक्षा के लिए उठने चाहिए, वही नौजवान देश विरोधी ताकतों के बहकावे में आकर उन्हीं हाथों से देश के रक्षकों पर पत्थर फेंक रहे हैं।

जब तक देश का हर नौजवान देश की उन्नति में भागिदार नहीं बनेगा, स्वराज का सूराज में बदलना असंभव है।
स्वामी विवेकानंद ने कहा है- “अगर किसी देश को ख़त्म करना हो तो वहां बम बरसाने की ज़रूरत नहीं है, वहां की युवा पीड़ी को बिगाड़ दो, वह देश अपने आप समाप्त हो जाएगा”; और यही बाहरी ताकतें हमारे देश में करने की कोशिश कर रही है।

प्रधानमंत्री का संबोधन चेतावनी है, उन लोगों के लिए जो आतंक फैला कर देश को बाँटने में लगे हैं। “भारत देश” आतंक के सामने न कभी झुका था, न कभी झुकेगा। बलुचिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों को धन्यवाद कर, प्रधानमंत्री ने यह भी दिखा दिया, कि भारत आज भी “सर्व जन हिताय, सर्व जन सुखाय” की पद्धति पर चलने वाला देश है।

असंख्य जाति, भाषा और धर्म से सुसज्जित धरा पर, मानव धर्म में विश्वास रखने वाले देश के प्रधान-सेवक ने सभी देशों से आपस में ना लड़कर, आतंक और हिंसा के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री जी का यह ऐतिहासिक भाषण हर देशवासी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। जो हर देशवासी को देश हित में काम करने के लिए प्रोत्साहित करने वाला है।

Historical steps on the small minority of Narendra Modi

नरेन्द्र मोदी जी के कुछ छोटे पर ऐतिहासिक कदम

विकास पुरुष श्री नरेन्द्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री के तौर पर यूँ तो 2 वर्ष के छोटे से कार्यकाल में देश को कई बड़ी-बड़ी उपलब्धियाँ प्राप्त करवाई हैं,
चाहे GST बिल पास करवाना हो, MTCR की सदस्यता पाना हो, G-20 में पहली पंक्ति में पहुँचना हो, FDI में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हो, SAARC देशों में भारत का बढ़ा प्रभाव हो, ऐसी अनेकानेक उपलब्धियाँ हैं, जिनके कारण पूरा विश्व भारत को और भी सम्मान भरी नज़र से देख रहा है।

पर इन बड़ी-बड़ी उपलब्धियों के बीच ऐसे छोटे-छोटे लेकिन कई ऐतिहासिकद कम भी हैं, जिनके कारण मोदी जी एक आम नेता से ख़ास हो जाते हैं। सभी तो नहीं, कुछ कदम आपके सामने रख रहा हूँ, अगर आपकी नज़र में भी प्रधानमंत्री जी के ऐसे छोटे-बड़े कदम हैं, जिनके बारे में सभी को जानना चाहिए, तो Comment सेक्शन में ज़रूर बताएं…

  1. स्वच्छ और स्वस्थ भारत की उड़ान।
  2. ऐसा व्यक्तित्व जो ना रुकता है न थकता है।
  3. देश में बह रही विकास की गंगा।
  4. जड़ों से जुड़ा प्रधान सेवक।
  5. आधुनिक भारत का निर्माण।
  6. गोरख-धंधे हुए मंदे।
  7. यहाँ न देर है न ही अंधेर।
  8. युवाओं की शक्ति से भारत बनेगा विश्व में सबसे शक्तिशाली।
  9. प्रधानमंत्री नहीं, “प्रधान सेवक” कहिये।
  10. सबका साथ, सबका विकास।
  11. सेवा परम धर्म है, और माँ के चरण सबसे बड़ा स्वर्ग हैं।

करोड़ों भारतीय मोदी जी को अपना आदर्श मानते हैं और उनके कायल हैं, इसका कारण यही है, कि मोदी जी ने बड़े-बड़े बदलावों के बीच, छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा है, और इन छोटी-बड़ी उपलब्धियों का कुल जोड़ ही है, कि मोदी जी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने हर भारतीय के जीवन को छुआ है।

यह चंद बातें तो केवल तस्वीर का एक छोटा सा हिस्सा मात्र हैं, पूरी तस्वीर तो बहुत बड़ी है, जिसे हम-सब मिलकर ही देख सकते हैं, मोदी जी के नेतृत्व में ऐसे क्या छोटे-बड़े बदलाव हैं, जो आपने सुने, देखे या महसूस किये हैं, COMMENTS में बताएं और इस ब्लॉग को अधिकाधिक शेयर करें, जिससे कि अधिक से अधिक लोग अपना अनुभव बाँट सकें और दूसरों के अनुभव जान सकें।

सच बात तो यह है, कि चाहे उनके चाहने वाले हों या चाहे उनके विरोधी, मोदी जी के अद्भुत व्यक्तित्व से हर कोई प्रभावित है। और ये तो केवल शुरुआत है, मोदी जी के नेतृत्व में भारत को शीघ्र “विश्वगुरु” बनना है।

जय हिन्द!

– Kailash Vijayvargiya

Dedicated members of the country

देश को समर्पित प्रधान सेवक

सच ही कहा गया है –किसी कार्य से केवल जुड़ना भर ही पर्याप्त नहीं है। बल्कि इसके प्रति समर्पण का भाव होना ज़्यादा ज़रूरी है। समर्पण भाव का अर्थ है कार्य के प्रति श्रध्दा भाव होना। सरल शब्दों में कहे तो कार्य को पूजनीय बना लेना। ऐसा करके हम ईश्वर से जुड़ जाते हैं, और तब इसके सुपरिणाम प्रकट होने लग जाते हैं।

हमारे प्रधानमंत्री के कार्यों और उनके परिणामों से इस संपूर्ण कथन को जोड़ने का प्रयास कर रहा हूं। इससे संभवतः उनके व्यक्तित्व और कार्य के प्रति उनके समर्पण के भाव को बेहतर तरीके से समझा जा सके । इस सन्दर्भ में अभी केवल विगत सप्ताह भर में अख़बारों में छपे प्रमुख समाचारों और उन पर विशेषज्ञों की राय पर नजर डालना भर पर्याप्त होगा।

दुनिया की २० ताकतवर अर्थव्यवस्था के मंच, जी 20 के सम्मलेन का जो ग्रुप फोटो सेशन हुआ उसमें भारत को विगत 14 वर्षों में पहली बार प्रथम पंक्ति में स्थान मिला। विशेषज्ञ इसे चीन और विश्व की नजर में भारत के बड़ते रुत्बे के रुप में देखते हैं।

विगत दो वर्षों से प्रधानमंत्री जी के अथक प्रयासों का सुपरिणाम है की जी २० सम्मलेन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा सभी मेहमानों को दरकिनार करते हुए, भारत के प्रधानमंत्री से मिलने उनके पास पहुंच गये। प्रधानमंत्री का चुम्बकीय व्यक्तित्व अचम्भित करने वाला है, जिन देशों में मोदी जी ने यात्राएँ की, वहां से आने वाले सेलानियों की संख्या में 14-16 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है।

चीन की धरती पर प्रधानमंत्री जी ने पाकिस्तान और चीन का नाम लिये बिना आतंकवाद पर दोहरा मापदंड न अपनाने की और ऐसा करने वाले देशों को अलग थलग करने की अपील की| यहां तक की ऐसे देशों पर पाबंदी लगाने की वकालत की। ऐसा करना प्रधानमंत्री जी का विल पावर, सच उजागर करने का उनका साहस व देश के बढ़ते प्रभाव का परिचायक है।

डी जी सूचना विभाग चीन के ला कांग ने कहा – “पिछले दो वर्षो में (कुछ छोटे मोटे तनावों को छोड़कर) भारत चीन संबंधो में सुधार हुआ है। ऐसा भारतीय पीएम व चीनी राष्ट्रपति के चमत्कारिक व्यक्तित्व के करण संभव हो सका है।”

अमेरिका से सामरिक समझोतों को विश्व, भारत की ताकत में इजाफे के रूप में देख रहा है। अमेरिका से सामरिक समझोतों के विषय पर अमेरिका विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री के कथन से सहमत होते हुए माना की भारत और अमेरिका ने इतिहास की हिचकिचाहट से पीड छुड़ा लिया है।

जहां चाह, वहां राह, प्रधानमंत्री जी ने इस कथन को सत्य कर दिखाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सानिध्य में देश नई उचाईयों को छु रहा है, और यह आगे भी यह सतत जरी रहेगा।

Desh ko samarpit pradhaan sevak

सच ही कहा गया है –किसी कार्य से केवल जुड़ना भर ही पर्याप्त नहीं है। बल्कि इसके प्रति समर्पण का भाव होना ज़्यादा ज़रूरी है। समर्पण भाव का अर्थ है कार्य के प्रति श्रध्दा भाव होना। सरल शब्दों में कहे तो कार्य को पूजनीय बना लेना। ऐसा करके हम ईश्वर से जुड़ जाते हैं, और तब इसके सुपरिणाम प्रकट होने लग जाते हैं।

हमारे प्रधानमंत्री के कार्यों और उनके परिणामों से इस संपूर्ण कथन को जोड़ने का प्रयास कर रहा हूं। इससे संभवतः उनके व्यक्तित्व और कार्य के प्रति उनके समर्पण के भाव को बेहतर तरीके से समझा जा सके । इस सन्दर्भ में अभी केवल विगत सप्ताह भर में अख़बारों में छपे प्रमुख समाचारों और उन पर विशेषज्ञों की राय पर नजर डालना भर पर्याप्त होगा।

दुनिया की २० ताकतवर अर्थव्यवस्था के मंच, जी 20 के सम्मलेन का जो ग्रुप फोटो सेशन हुआ उसमें भारत को विगत 14 वर्षों में पहली बार प्रथम पंक्ति में स्थान मिला। विशेषज्ञ इसे चीन और विश्व की नजर में भारत के बड़ते रुत्बे के रुप में देखते हैं।

विगत दो वर्षों से प्रधानमंत्री जी के अथक प्रयासों का सुपरिणाम है की जी २० सम्मलेन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा सभी मेहमानों को दरकिनार करते हुए, भारत के प्रधानमंत्री से मिलने उनके पास पहुंच गये। प्रधानमंत्री का चुम्बकीय व्यक्तित्व अचम्भित करने वाला है, जिन देशों में मोदी जी ने यात्राएँ की, वहां से आने वाले सेलानियों की संख्या में 14-16 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है।

चीन की धरती पर प्रधानमंत्री जी ने पाकिस्तान और चीन का नाम लिये बिना आतंकवाद पर दोहरा मापदंड न अपनाने की और ऐसा करने वाले देशों को अलग थलग करने की अपील की| यहां तक की ऐसे देशों पर पाबंदी लगाने की वकालत की। ऐसा करना प्रधानमंत्री जी का विल पावर, सच उजागर करने का उनका साहस व देश के बढ़ते प्रभाव का परिचायक है।

डी जी सूचना विभाग चीन के ला कांग ने कहा – “पिछले दो वर्षो में (कुछ छोटे मोटे तनावों को छोड़कर) भारत चीन संबंधो में सुधार हुआ है। ऐसा भारतीय पीएम व चीनी राष्ट्रपति के चमत्कारिक व्यक्तित्व के करण संभव हो सका है।”

अमेरिका से सामरिक समझोतों को विश्व, भारत की ताकत में इजाफे के रूप में देख रहा है। अमेरिका से सामरिक समझोतों के विषय पर अमेरिका विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री के कथन से सहमत होते हुए माना की भारत और अमेरिका ने इतिहास की हिचकिचाहट से पीड छुड़ा लिया है।

जहां चाह, वहां राह, प्रधानमंत्री जी ने इस कथन को सत्य कर दिखाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सानिध्य में देश नई उचाईयों को छु रहा है, और यह आगे भी यह सतत जरी रहेगा।

Perfect Performance; Sterling Success

अद्भुत प्रदर्शन, शानदार जीत

महेश भूपति और सानिया मिर्ज़ा की जोड़ी ने अपना पहला फ्रेंच ओपन टेनिस खिताब जीत कर देश को एक बार फिर गौरवान्वित किया. इस जोड़ी ने मैक्सिको के सेंटियागो गोंजालेज और पोलैंड की क्लॉडिया जांस लेगनेक की गैर वरीय जोड़ी को 7-6, 6-1 से हराकर अद्भुत प्रदर्शन दिया..

आशा है महेश भूपति और सानिया मिर्ज़ा जैसे खिलाड़ियों की वजह से हमारी वर्तमान एवं आने वाली पीढ़ियों की क्रिकेट की तरह दूसरे खेलों में भी रूचि जाग्रत हो और भारत का नाम खेल के क्षेत्र में भी सर्वोच्च स्थान पर हो व आने वाले सालों में विश्वस्तर पर हमें कई पदक हासिल करने का सौभाग्य प्राप्त हो !!

मैं इन दोनों ही खिलाड़ियों के अथक प्रयासों, दृढ इच्छाशक्ति, समर्पण भाव और उत्कृष्टता हासिल करने की लगन को सलाम करता हूँ !!