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Nadda ji

Vivaadon se nahin vikalpon se honge masale hal

विवादों से नहीं विकल्पों से होंगे मसले हल

हाल ही में दो भारतीय सैनिकों की भारत-पाकिस्तान सीमा पर बर्बर हत्या हुई जो कि वाकई बहुत दुखद घटना है और पूरा देश इस घटना से आक्रोश में है. हमें हर घटना से सीख लेनी चाहिए और उपाय ढूँढना चाहिए ना कि समस्या पर लगातार बहस करना चाहिए. भारत-पाक सीमा 678 किलोमीटर लम्बी है और अगर पूरी सीमा पर होटल, मॉल्स, हॉस्पिटल या बिज़नस सेंटर्स की तरह CCTV कैमरालगा दिया जाए तो लगभग 2000 कैमरा में पूरी सीमा पर निगाह राखी जा सकती है और ऐसी घटनाओं से भविष्य में बचा जा सकता है या इनसे बेहतर रूप से निपटा जा सकता है.

जिन दो सैनिकों की जान गयी हम उन्हें वापस नहीं पा सकते परन्तु आगे ऐसा न हो उसके लिए प्रयास कर सकते हैं और वो हमें तुरंत करना चाहिए. आज पाकिस्तान सरकार, पाकिस्तानी सैनिक या आतंकवादी कौन था इसके पीछे यह एक रहस्य है परन्तु आगे इस रहस्य को रहस्य नहीं रहने देना है.

मैं केन्द्रीय सरकार से CCTV कैमरा लगाने की दिशा में तुरंत कार्य करने की अपील करता हूँ. भारतीय सेना के साहसी-निडर वीरों को मेरा सलाम!

Finale of Global Investors Summit (30.10.12)

Finale of Global Investors Summit (30.10.12)
It’s the Finale of Global Investors Summit ’12. Lots of esteemed delegates are here to propose & sign MOUs. Everything is set to make it Real Big!

Respecting religious sentiments in the highest place in all religions

धार्मिक भावना का सम्मान करना सभी धर्मों में सर्वोच्च स्थान पर

मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि सभी धर्मों में धार्मिक भावना का सम्मान करना सर्वोपरि माना गया है फिर चाहे वो जिस भी धर्म की बात हो.

आज ईद के अवसर पर मैं सभी मुस्लिम भाइयों को ईद की मुबारकबाद देते हुए उनसे यह अनुरोध करना चाहूँगा कि गाय की कुर्बानी ना दी जाए क्यूंकि उससे न सिर्फ हिन्दू भाइयों की भावना आहात होगी बल्कि इस्लाम का भी अपमान होगा. इस्लाम में भी धार्मिक भावना का आदर करना महत्वपूर्ण माना गया है और इसके साथ ही जिस देश में रहते हैं उस देश के क़ानून का अनुसरण करना भी ज़रूरी है. भारत अनेकता में एकता के लिए जाना जाता है और यह सभी धर्मों और समाजों की भावना का सम्मान करके ही संभव हो पाया है. गाय सिर्फ हिन्दू नहीं बल्कि कई धर्मों जैसे जैन, बुद्ध, पारसी एवं प्राचीन सभ्यताओं जैसे ग्रीस, इजिप्ट व रोम में भी पवित्र तथा पूज्यनीय मानी गई है. और जहाँ इतने सारे लोगों की धार्मिक भावना किसी मान्यता से जुड़ी हैं तो मुझे लगता है कि इस्लाम भी उस भावना को आहात करने की स्वीकृति नहीं देता.

गाय सिर्फ पूज्यनीय ही नहीं बल्कि कई मायनों में लाभदायक भी है. उसके दूध से होने वाले फायदों को ध्यान में रखकर और हजारोंशाकाहारी भाइयों के पोषण के बारे में सोचकर भी यह निर्णय लिया जा सकता है कि ‘गाय की कुर्बानी को त्याग दिया जाए’.

हाल ही में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कालबे सादिक ने मुसलमानों से ईद-उल-ज़ुहा के मौके पर गाय की कुर्बानी न देने की अपील की है. उन्होंने कहा कि ‘हिन्दुस्तान के हर मुस्लिम का फ़र्ज़ है कि वह हिन्दू भाइयों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करे.’ मैं सादिक साहब की इस प्रशंसनीय पहल को खुले दिल से सराहना चाहता हूँ. और मुझे विश्वास है कि सभी मुस्लिम भाई भी उनकी इस पहल का सम्मान करेंगे.

ईद-उल-ज़ुहा की सभी देशवासियों को मुबारकबाद !!

Dhaarmik bhaavana ka sammaan karana sabhee dharmon mein sarvochch sthaan par

धार्मिक भावना का सम्मान करना सभी धर्मों में सर्वोच्च स्थान पर

मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि सभी धर्मों में धार्मिक भावना का सम्मान करना सर्वोपरि माना गया है फिर चाहे वो जिस भी धर्म की बात हो.

आज ईद के अवसर पर मैं सभी मुस्लिम भाइयों को ईद की मुबारकबाद देते हुए उनसे यह अनुरोध करना चाहूँगा कि गाय की कुर्बानी ना दी जाए क्यूंकि उससे न सिर्फ हिन्दू भाइयों की भावना आहात होगी बल्कि इस्लाम का भी अपमान होगा. इस्लाम में भी धार्मिक भावना का आदर करना महत्वपूर्ण माना गया है और इसके साथ ही जिस देश में रहते हैं उस देश के क़ानून का अनुसरण करना भी ज़रूरी है. भारत अनेकता में एकता के लिए जाना जाता है और यह सभी धर्मों और समाजों की भावना का सम्मान करके ही संभव हो पाया है. गाय सिर्फ हिन्दू नहीं बल्कि कई धर्मों जैसे जैन, बुद्ध, पारसी एवं प्राचीन सभ्यताओं जैसे ग्रीस, इजिप्ट व रोम में भी पवित्र तथा पूज्यनीय मानी गई है. और जहाँ इतने सारे लोगों की धार्मिक भावना किसी मान्यता से जुड़ी हैं तो मुझे लगता है कि इस्लाम भी उस भावना को आहात करने की स्वीकृति नहीं देता.

गाय सिर्फ पूज्यनीय ही नहीं बल्कि कई मायनों में लाभदायक भी है. उसके दूध से होने वाले फायदों को ध्यान में रखकर और हजारोंशाकाहारी भाइयों के पोषण के बारे में सोचकर भी यह निर्णय लिया जा सकता है कि ‘गाय की कुर्बानी को त्याग दिया जाए’.

हाल ही में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कालबे सादिक ने मुसलमानों से ईद-उल-ज़ुहा के मौके पर गाय की कुर्बानी न देने की अपील की है. उन्होंने कहा कि ‘हिन्दुस्तान के हर मुस्लिम का फ़र्ज़ है कि वह हिन्दू भाइयों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करे.’ मैं सादिक साहब की इस प्रशंसनीय पहल को खुले दिल से सराहना चाहता हूँ. और मुझे विश्वास है कि सभी मुस्लिम भाई भी उनकी इस पहल का सम्मान करेंगे.

ईद-उल-ज़ुहा की सभी देशवासियों को मुबारकबाद !!

Happy Birthday Amitabh Bachchan

जिनके अभिनय का सिक्का देश में ही नहीं विश्व में माना गया है उस महानायक के जन्मदिन की आप सभी को बहुत-बहुत बधाइयां! अमिताभ बच्चन सिर्फ देश के लिए ही नहीं हम सभी के लिए गौरव का विषय हैं! अमिताभ जी ने पर्दे पर जो भी किरदार निभाया उसे जीवंत कर दिया. आज उनके जन्मदिन पर मैं जानना चाहूँगा कि उनका कौन सा किरदार आपका सबसे पसंदीदा है?

Importance of today

आज के दिन का महत्व

आज का दिन वाकई बहुत महान है और इस तारीख का इतिहास में ही नहीं भविष्य में भी महत्व बरक़रार रहेगा. इस तारीख को महान बनाया है लोकनायक जयप्रकाश नारायण, सामाजिकनायक नानाजी देशमुख और महानायक अमिताभ बच्चन ने. आज इन सभी महान हस्तियों का जन्मदिन है और इन्होंने अपनी अलग सोच, अथक प्रयासों और नवीन शैली से समाज में बदलाव की पहल की और इसही के परिणाम स्वरुप आज की तारिख अमर हो गई.

जे.पी. नारायण के सामर्थ्य से ही पहली बार देशवासी गैर कांग्रेसी सरकार के बारे में सोच पाए और यह उनके दृढ़ संकल्प का ही नतीजा है कि देश को बेहतर राजनीतिक पार्टियों का नेतृत्व मिल पाया.नानाजी देशमुख एक कुशल और सक्रीय सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण क्षेत्रों की आत्मनिर्भरता के लिए सराहनीय कार्य किए हैं और वे पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित भी हैं.

महानायक अमिताभ बच्चन ने अपनी अभिनय शैली से बॉलीवुड को नई दिशा दिखाई और हर पीढ़ी के दिल में अपनी एक अलग जगह बनाई. वे विश्व स्तर पर अपने हुनर से भारत का नाम रोशन कर रहे हैं.

हम सभी अगर अपनी जन्मतिथि को महान बनाना चाहते हैं तो ज़रूरी है कि अपने क्षेत्र में लगातार बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रयासरत रहें! युवा पीढ़ी से भी हम सभी को यही आशा है!

Hindi divas kyoon manaaya jaata hai?

हिन्दी दिवस क्यूँ मनाया जाता है?

हिन्दी दिवस के दिन पिछले कुछ सालों से सभी इस बात पर बात नहीं कर रहे हैं कि हम इसे क्यूँ मनाते हैं बल्कि इस विषय को उठाया जा रहा है कि हिन्दी का ‘अस्तित्व’ लुप्त होता जा रहा है. क्या एक हिन्दुस्तानी की ज़िन्दगी में कभी भी ‘हिन्दी का अस्तित्व’ लुप्त हो सकता है?

आज मैंने फेसबुक पर हिन्दी दिवस मनाने का कारण जब पूछा तो जाना कि अधिकाँश लोगों को तो हिन्दी दिवस मनाने का कारण ‘हिन्दी का अस्तित्व’ बचाना लगता है. मीडिया और समाज की प्रसिद्ध शख्सियतों ने ‘हिन्दी के अस्तित्व’ को बचाने के मुद्दे को इस दिन से इस कदर जोड़ दिया है कि लोग वाकई ‘हिन्दी दिवस के महत्व’ को भूल गए हैं.

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी (देवनागरी लिपि में लिखी हुई) ही भारत की राजभाषा होगी और इस ख़ुशी को प्रति वर्ष मनाने के लिए ‘हिन्दी दिवस’ मनाया जाता है.” यह बात आज बहुत कम लोगों को याद है और अगर इस ही तरह हिन्दी के अस्तित्व पर शक करते रहेंगे तो शायद आने वाली पीढ़ियों को यह दिन वास्तव में ‘हिन्दी के अस्तित्व’ को बचाने के लिए ही मनाना पड़ेगा.

वर्तमान में वैश्वीकरण के चलते अंग्रेजी का उपयोग अधिक बढ़ गया है और सभी जगहों पर औपचारिक रूप से अंग्रेजी ही प्रचलन में है परन्तु इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि हिन्दी अपना अस्तित्व खो रही है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि युवा पीढ़ी में अंग्रेजी का प्रयोग ज़्यादा किया जाता है और वे हिन्दी में वार्तालाप करना तुच्छ समझते हैं लेकिन क्या SMS पर OMG, Please, Sorry, Thank you लिखने से हम उनकी भाषा को अंग्रेजी मान सकते हैं? उम्र जो भी हो, क्या किसी भी व्यक्ति को आपने भगवान सेमात्रभाषा को छोड़कर किसी और भाषा में बात करते देखा है…? नहीं ना…तो फिर हिन्दी कभी लुप्त नहीं हो सकती और उसके अस्तित्व पर सवाल उठाना यानी उसका अपमान करने के बराबर है.

मैं यह मानता हूँ कि इंसान स्वयं से, भगवान से और अपनों से हमेशा अपनी भाषा में ही बात करता है और हिन्दी का अस्तित्व न आज खतरे में है न कल होगा. आज भी दूर देश में अगर हमें कोई हिन्दीभाषी मिल जाए तो अनजान होने के बाद भी अपना सा लगता है और उससे एक अलग ही अपनत्व का रिश्ता बन जाता है. हिन्दी भाषा वो डोर है जो हम हिन्दुस्तानियों को अनेकता में भी बांधे रखने का काम कर रही है.

मैं आज के दिन सिर्फ इनता कहना चाहूँगा कि ‘हिन्दी के अस्तित्व’ को बचाने के लिए नहीं बल्कि हिन्दी के अस्तित्व को मनाने के लिए ‘हिन्दी दिवस’ मनाइए और हम अगर वाकई हिन्दी को सम्मान देना चाहते हैं तो सभी अपने घर में सिर्फ हिन्दी का ही प्रयोग करें!