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Challenges to the Constitution in West Bengal

पश्चिम बंगाल में संविधान को चुनौती

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी के साथ उनके मंत्री और पार्टी नेता लोकतांत्रिक अधिकारों का गला घोटते हुए संघीय व्यवस्था पर कुठाराघात करने में लगे हुए हैं। एक समुदाय को खुश करने के लिए हिन्दुओं पर अत्याचार किए जा रहे हैं। ममता शायद यह दिखाने की कोशिश कर रही हैं कि एक समुदाय के लिए वह संविधान और लोकतंत्र से भी टकराने का दम रखती हैं। बात-बात पर संविधान और लोकतंत्र की दुहाई देने वाली सीधी-सादी होने का दिखावा करने वाली मां,माटी और मानुष की बातें कर सत्ता हासिल करने वाली ममता आज मैं, माफिया और मुसलमान के नारे के साथ खड़ी है। पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के बढ़ते जनाधार से बौखला कर ममता, उनके मंत्री, पार्टी के नेता, तृणमूल के गुंडे सब मिलकर जनता और विरोधी राजनीतिक दलों पर हमला कर रहे हैं। पुलिस तमाशबीन नहीं बल्कि अब तो जो थाने में शिकायत करने जाता है, उसी को आरोपी बना दिया जाता है। पश्चिम बंगाल में पुलिस व्यवस्था आईपीएस अधिकारियों के हाथ में नहीं बल्कि तृणमूल के दबंगों के हाथों में हैं। तृणमूल के दबंग ही नवान्न में काबिज हैं, पुलिस मुख्यालय में दादागीरी कर रहे हैं और थानों में बैठकर जुल्म ढहा रहे हैं तथा रंगदारी वसूलने में लगे हुए हैं।

पश्चिम बंगाल के लाइब्रेरी व जन शिक्षा मंत्री और जमायत उलेमा हिन्द के अध्यक्ष सिद्दीकुल्ला चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक को लेकर दिए गए फैसले को ही चुनौती दे दी। यह पहला मौका नहीं है जब ममता सरकार या तृणमूल के नेता अदालती आदेशों को ही खुलेआम चुनौती दे रहे हैं, इससे पहले भी इस तरह की चुनौतिया अदालतों को देते रहे हैं। ममता बनर्जी ने तो केंद्र सरकार के स्वतंत्रता दिवस पर सरकारी स्कूलों में कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश मानने से इंकार कर दिया था। यह कार्यक्रम नई पीढ़ी में जोश जगाने के लिए पूरे देश में मनाया गया। 9 अगस्त को देशभर में ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मनाई गई। संसद में विशेष सत्र का आयोजन हुआ। पूरे देश में शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई पर ममता बनर्जी ने राज्य के 23 जिलों के जिला अधिकारियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक कार्यक्रम में शरीक होने से रोक दिया। ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री ने देश के 700 जिलों के जिलाधिकारियों से बातचीत की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये प्रधानमंत्री ने जिलाधिकारियों के साथ ‘विजन2022’ पर चर्चा की। उन्होंने ‘मंथन’ के दौरान नया भारत गढ़ने में जिलाधिकारियों की भूमिका पर चर्चा की। पश्चिम बंगाल के अधिकारी भी जानते हैं कि देश का राजकाज चलाने में प्रधानमंत्री कार्यालय की बड़ी भूमिका होती है, ममता के होने वाले जुल्मों के कारण राज्य के आईएएस अफसर भी मजबूर नजर आ रहे हैं।

पश्चिम बंगाल के मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी ने तो संविधान और संघीय व्यवस्था को धता बताते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार को इस्लाम के आंतरिक मामलों में दखल देने का हक नहीं है। जिस सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक की प्रथा को गैर इस्लामी और असंवैधानिक करार दिया है, हमारे देश की उसी सर्वोच्च अदालत को उन्होंने असंवैधानिक बता दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने से इंकार करते हुए चौधरी ने माननीय न्यायाधीशों को एक तरह से कानून और इस्लाम की जानकारी न होने का तमगा भी दे दिया। इस तरह सिद्दीकुल्ला ने न केवल सुप्रीम कोर्ट का अपमान किया बल्कि संवैधानिक व्यवस्था को ही चुनौती दी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ऐसे बयानों पर चुप्पी साध रखी है। इसकी एक बड़ी वजह है कि पश्चिम बंगाल में मुसलमानों को खुश करने के लिए अपराध करने की छूट दे रखी है। सत्ता बनाये रखने के लालच में मुसलमानों को छूट देने के साथ ही हिन्दुओं पर अत्याचार किए जा रहे हैं। उनके त्योहार मनाने पर भी रोक लगाई जाती है। भाजपा पर साम्प्रदायिक होने का आरोप लगाने वाली ममता ने एक बार फिर दुर्गा प्रतिमा विसर्जन पर रोक लगा दी है। पिछले साल भी ममता बनर्जी ने विजयदशमी के मौके पर मूर्ति विसर्जन करने पर रोक लगाने का आदेश दिया था। 2016 में दशहरा 11 अक्टूबर को था, जबकि उसके अगले दिन यानी 12 अक्टूबर को मुहर्रम था। इस बार 1 अक्टूबर को मुहर्रम है। ममता बनर्जी दुर्गा पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन को लेकर 30 सितंबर की शाम 6 बजे से लेकर 1अक्टूबर तक रोक का आदेश दिया है। ममता बनर्जी ने कहा है कि मुहर्रम के जुलूसों के चलते दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन पर यह रोक रहेगी। श्रद्धालु विजयदशमी को शाम 6 बजे तक ही दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन कर सकेंगे। ममता बनर्जी ने यह आदेश पिछली बार कोलकाता हाई कोर्ट से फटकार लगने के बावजूद दिए हैं। ममता बनर्जी सरकार के फैसले के खिलाफ कोलकाता हाई कोर्ट ने साफतौर पर कहा था कि यह फैसला एक समुदाय को रिझाने जैसा है। अदालत ने 1982 और 1983 का भी उदाहरण देते हुए कहा था कि उस समय दशहरे के अगले दिन ही मुहर्रम मनाया गया था, लेकिन मूर्तियों के विसर्जन पर रोक नहीं लगी थी।

भाजपा को अपने लिए चुनौती मानते हुए ममता बनर्जी के इशारे पर तृणमूल के गुंडे पूरे राज्य में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर कातिलाना हमले कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने हाल ही में सिलीगुडी की पार्षद और दलित नेता मालती राय पर कातिलाना हमला किया। उन्हें बाल खींचते हुए घर से बाहर निकाला गया और तलवार से गला काटने की कोशिश की गई। कातिलाना हमले के विरोध में भाजपा कार्यकर्ताओं ने थाने पर प्रदर्शन किया। एक दिन पहले जलपाईगुड़ी सदर ब्लाक के बहादुर, गड़ालबाड़ी, पहाड़पुर, नंदनपुर बोआलमारी समेत आसपास के इलाकों में भाजपा कर्मियों पर हमले किए गए। पुलिस के रवैये के खिलाफ भाजपा कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह प्रदर्शन किए। इस साल लालबाजार में भाजपा के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पुलिस और तृणमूल के गुंडों ने बमों से हमला किया, फायरिंग की, लाठियां भांजी, महिलाओं को पीटा। हमारे कार्यकर्ताओं को ही जेल में बंद कर दिया गया। हमारे 200 से ज्यादा कार्यकर्ता घायल हुए। अप्रैल में दिनाजपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं के घरों पर और दुकानों पर हमले किए गए। पीड़ित कार्यकर्ताओं को देखने के लिए जब पार्टी का प्रतिनिधिमंडल वहां गया तो उन पर पुलिस की मौजूदगी में हमला किया गया। वाहन फूंक दिए गए। घरों को आग लगा दी गई। दुकानों को लूट लिया गया। पुलिस महज तमाशा देखती रही है। राज्य में कई जगह पर भाजपा के कार्यकर्ताओं को पुलिस के पक्षपात रवैये के खिलाफ प्रदर्शन करने पड़ रहे हैं। भाजपा नेताओं पर कातिलाना हमले ही नहीं किए जा रहे हैं बल्कि उन्हें झूठे मामलों में फंसाकर जेलों में बन्द किया जा रहा है। ममता बनर्जी को यह याद रखना चाहिए कि अन्याय, लूटमार और अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले पश्चिम बंगाल के लोगों ने लंबे समय राज करने वाली कांग्रेस तथा वामदलों को उखाड़ फेंका था तो आप तो बिना किसी विचारधारा के सत्ता में आई हो, ज्यादा दिन नहीं टिक पाओगी।

कैलाश विजयवर्गीय भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं और पश्चिम बंगाल के प्रभारी हैं। सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक विषयों पर टिप्पणी के लिए जाने जाते हैं।