धार्मिक भावना का सम्मान करना सभी धर्मों में सर्वोच्च स्थान पर
मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि सभी धर्मों में धार्मिक भावना का सम्मान करना सर्वोपरि माना गया है फिर चाहे वो जिस भी धर्म की बात हो.
आज ईद के अवसर पर मैं सभी मुस्लिम भाइयों को ईद की मुबारकबाद देते हुए उनसे यह अनुरोध करना चाहूँगा कि गाय की कुर्बानी ना दी जाए क्यूंकि उससे न सिर्फ हिन्दू भाइयों की भावना आहात होगी बल्कि इस्लाम का भी अपमान होगा. इस्लाम में भी धार्मिक भावना का आदर करना महत्वपूर्ण माना गया है और इसके साथ ही जिस देश में रहते हैं उस देश के क़ानून का अनुसरण करना भी ज़रूरी है. भारत अनेकता में एकता के लिए जाना जाता है और यह सभी धर्मों और समाजों की भावना का सम्मान करके ही संभव हो पाया है. गाय सिर्फ हिन्दू नहीं बल्कि कई धर्मों जैसे जैन, बुद्ध, पारसी एवं प्राचीन सभ्यताओं जैसे ग्रीस, इजिप्ट व रोम में भी पवित्र तथा पूज्यनीय मानी गई है. और जहाँ इतने सारे लोगों की धार्मिक भावना किसी मान्यता से जुड़ी हैं तो मुझे लगता है कि इस्लाम भी उस भावना को आहात करने की स्वीकृति नहीं देता.
गाय सिर्फ पूज्यनीय ही नहीं बल्कि कई मायनों में लाभदायक भी है. उसके दूध से होने वाले फायदों को ध्यान में रखकर और हजारोंशाकाहारी भाइयों के पोषण के बारे में सोचकर भी यह निर्णय लिया जा सकता है कि ‘गाय की कुर्बानी को त्याग दिया जाए’.
हाल ही में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कालबे सादिक ने मुसलमानों से ईद-उल-ज़ुहा के मौके पर गाय की कुर्बानी न देने की अपील की है. उन्होंने कहा कि ‘हिन्दुस्तान के हर मुस्लिम का फ़र्ज़ है कि वह हिन्दू भाइयों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करे.’ मैं सादिक साहब की इस प्रशंसनीय पहल को खुले दिल से सराहना चाहता हूँ. और मुझे विश्वास है कि सभी मुस्लिम भाई भी उनकी इस पहल का सम्मान करेंगे.
ईद-उल-ज़ुहा की सभी देशवासियों को मुबारकबाद !!