कैलाश विजयवर्गीय
यह तो जगजाहिर हो गया है कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में एक बार फिर से बुरा दौरा लाने में चीन और पाकिस्तान की भूमिका रही है। बगावत के कारण शेख हसीना के देश छोड़ने और अंतरिम सरकार बनने के बाद बांग्लादेश के हालत जल्दी ही ठीक होने के आसार भी नहीं दिखाई दे रहे हैं। खासतौर पर जिस पर तरह हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा है, वह बहुत चिंताजनक है। चीनी शिकंजे में जकड़ने और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और उसकी सहायता पर पलने वाला जमायत-ए-इस्लामी का असर बढ़ने के बाद बांग्लादेश में शांति स्थापित होने में बहुत समय लग सकता है। जमयात-ए- इस्लामी की छात्र शाखा ने ही बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन करके हालात बिगाड़े थे। यह भी सामने आया है कि आईएसआई जमायत-ए-इस्लामी को आर्थिक सहायता करता रहा है। आईएसआई जमायत-ए-इस्लामी के जरिये बांग्लादेश को भारत विरोधी केंद्र यानी चीन का अड्डा बनाने में लगी है। जिस तरह से अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी सहित कई देशों ने बांग्लादेश की हालत पर चिंता जताई है, चीन पूरी तरह खामोश बैठा है।
कुछ दिनों में यह भी खुलासा हो जाएगा कि आखिर चीन ने बांग्लादेश में ऐसे हालत क्यों पैदा कराए। चीन पिछले लंबे से चुपचाप अपने छात्रों को बांग्लादेश में पढ़ाई के नाम भेज रहा था। चीन के छात्र लंबे समय से पढ़ाई के नाम पर सक्रिय होकर शेख हसीना की सरकार के खिलाफ काम कर रहे थे। छात्रों के विरोधी आंदोलन को चीन और पाकिस्तान ने लगातार बढ़ावा दिया। बांग्लादेश की सेना पर भी चीन और पाकिस्तान का असर दिखाई दिया। चीन ने बांग्लादेश के छात्रों को भी अपने यहां बुलाकर प्रशिक्षण दिया। खबरों में बताया गया है कि पिछले छह वर्षों में लगभग 47 हजार छात्र बांग्लादेश से चीन पढ़ने गए। इन सबके माध्यम से ही बांग्लादेश में अराजकता फैलाई गई। 15 वर्ष से सत्ता संभाल रही पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना मिशन एजुकेशन और स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोगाम के पीछे चीन के इरादों को नहीं भांप सकी। इस दौरान भारत की तरफ से कई बार चिंता भी जताई गई। बांग्लादेश में चीन ने इतना शिकंजा कस दिया था कि वहां के ज्यादातर छात्रों की चीन में पढ़ने और नौकरी करने की दिलचस्पी बढ़ गई थी। चीन ने अपनी शिक्षा नीति को बांग्लादेश के लिए आसान बना दिया था। मेडिकल की पढ़ाई को भी बांग्लादेशी छात्रों के लिए आसान बना दिया गया। भारत के नजदीकी इलाकों में चीन ने निवेश भी खूब किया। इस काम में बांग्लादेश की बैंक ने भी छात्रों की भी पूरी सहायता की। बांग्लादेश बैंक ने चीन में पढ़ने वालों छात्रों की फीस भी चुकाई।
इससे पहले पाकिस्तान और श्रीलंका में भी चीन ने ऐसे हालात पैदा किए थे। पाकिस्तान को भी चीन ने महंगाई के विरोध प्रदर्शन करके हालात बिगाड़े थे। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी चीन के कारण बिगड़ी थी। इसी तरह श्रीलंका में भी चीन ने विरोध प्रदर्शन कराए। श्रीलंका में भी प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन में घुस गए थे। पाकिस्तान और श्रीलंका को भी चीन ने कर्ज देकर फंसाया था। इसी तरह का खेल बांग्लादेश में खेला गया। चीन द्वारा श्रीलंका को आर्थिक मदद से मना करने पर भारत ने सहायता की।
शेख हसीना की 10 जुलाई को चीन यात्रा से पहले बांग्लादेश में सबकुछ ठीक था। शेख हसीना ने चीन यात्रा के दौरान 21 समझौतों पर दस्तखत किए। निवेश के अलावा रोहिंग्या मसले पर भी बातचीत हुई। शेख हसीना को 14 जुलाई को तय वापसी एक दिन देश लौटना पड़ा। चीन ने शेख हसीना को 20 बिलियन डॉलर मदद का वायदा किया था पर केवल एक बिलियन डॉलर मदद देने की घोषणा की। चीन की यात्रा से पहले हसीना की पार्टी के महासचिव ने भारत को राजनीतिक मित्र और चीन को विकास में भागीदार बताया था। तत्कालीन विदेश मंत्री ने कहा था कि भारत को इस यात्रा पर कोई एतराज नहीं है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने इस बयानों की आलोचना की और कहा कि यह भारत का असर है। चीन की चिढ़ने की यह बड़ी वजह बताई गई।
भारत और बांग्लादेश के बीच स्थिति सामान्य होने के बाद व्यापार फिर से शुरु होने की बात कही गई है। दो साल पहले भारत का निर्यात बांग्लादेश को 12.21 अरब अमेरिकी डॉलर था। यह पिछले साल 11 अरब डॉलर हो गया था। भारत बांग्लादेश को पेट्रोलियम तेल, रसायन, कपास, लोहा, वाहन, इस्पात के अलावा सब्जियां, कॉफी और चाय भेजता है। भारत में बांग्लादेश से वस्त्र आते हैं। बांग्लादेश का 56 फीसदी वस्त्र भारत आते हैं। बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोग भारत में इलाज कराने आते हैं। अब भारत से व्यापार पर भी असर पड़ेगा। चीन और पाकिस्तान के हालत बिगाड़ने के बावजूद बांग्लादेश को भारत से ही सहायता की उम्मीद होगी