ऐतिहासिक! एक गजब का आर्थिक सुधार… #GST
शनिवार की रात भारत की संसद ने एक नया इतिहास रचा।
One Nation, One Tax प्रणाली हेतु देश में 1 जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू हो गया। आधी रात को संसद के विशेष सत्र में GST लागू करने की घोषणा के साथ ही देश में नई आर्थिक आजादी के अध्याय का प्रारम्भ हुआ।
यह चौथा ऐसा अवसर रहा… जब संसद के केंद्रीय कक्ष में अर्ध रात्रि को विशेष सत्र का आयोजन किया गया…
- 14 अगस्त 1947 में केंद्रीय कक्ष में देश की आजादी से पहले आधी रात को पहला विशेष सत्र बुलाया गया था।
- दूसरा सत्र 14 अगस्त 1972 को आजादी की रजत जयंती पर आयोजित किया।
- भारत की आजादी की 50 वीं वर्षगांठ पर 14 अगस्त 1997 को विशेष सत्र का आयोजन किया गया।
- विशेष सत्र का चौथा आयोजन देश में आर्थिक आजादी के लिए जाना जाएगा।
30 जून की मध्य रात्रि को आयोजित संसद के विशेष सत्र में महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी एवं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने एक बटन दबाया, और देश ने एक नए आर्थिक युग में प्रवेश किया।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि GST लंबी चर्चा के बाद लागू हुआ है। सम्मिलित व सतत प्रयास का ही परिणाम है, कि हम आज GST को सपने से साकार होता हुआ देख रहे हैं। 2009 में वित्तमंत्री के तौर पर GST के मूल ढांचे की घोषणा करने वाले श्री मुखर्जी ने आगे कहा कि आज GST एक प्रकार से सभी राज्यों के मोतियों को एक धागे में पिरोने का काम कर रहा है।
माननीय प्रधानमंत्री जी ने सभी राजनीतिक दलों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा…
GST… GOOD & SIMPLE TAX है।
GST की 18 बैठकों की तुलना, उन्होंने गीता के 18 अध्यायों से करते हुए कहा…
सरदार पटेल 1947 में 500 रियायतों को मिलाकर एक किया था और आज GST से देश के 29 राज्यों व 7 केंद्र शासित प्रदेशों के 500 से ज्यादा टैक्सों का विलय हो जाएगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने GST पर बनी उच्चाधिकार समिति GST Council के अध्यक्ष व पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री रहे कम्युनिस्ट नेता असीम दासगुप्ता की चर्चा करते हुए कहा, कि अब 17 करों की जगह एक कर लगेगा।
कांग्रेस (INC), तृणमूल कांग्रेस (TMC), वामदलों (CP) ने विशेष सत्र में हिस्सा नहीं लिया। राजनीतिक कारणों से कांग्रेस व अन्य विरोधी दलों ने विशेष सत्र का बहिष्कार कर कोई अच्छा संदेश नहीं दिया। UPA शासन में प्रधानमंत्री रहे डॉ.मनमोहन सिंह जी को इस मौके पर खासतौर पर बुलाया गया था।
जिन मनमोहन जी को लेकर कांग्रेस देश में आर्थिक सुधार लागू करने की दावा करती रही है, उनकी गैरहाजिरी भी लोगों को अखरी है। विरोधी दलों का विरोध केवल विरोध करने के लिए ही है। संसद में बुलाए गए मध्यरात्रि सत्र का बहिष्कार करने का कांग्रेस का फैसला, एक दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है।
जब देश एक ऐतिहासिक कर सुधार की तरफ आगे बढ़ रहा है, ऐसे में बहिष्कार करने से कांग्रेस की मंशा पर ही सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस को बहिष्कार के फैसले पर भविष्य में जनता को जवाब भी देना होगा। माननीय प्रधानमंत्री जी ने खुले मन से GST के लिए सभी दलों की तारीफ की।
उनका यह कहना, कि किसी की भी या कहीं की भी सरकार हो, लेकिन सभी ने GST में आम लोगों के हितों का ध्यान रखा है, जिन-जिन लोगों ने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया, मैं उन सभी को बधाई देता हूं। प्रधानमंत्री जी ने सभी दलों को GST के लिए श्रेय दिया… किन्तु लगता है… कांग्रेस को लग रहा है कि आर्थिक क्रांति का श्रेय केवल मोदी सरकार को जा रहा है।
GST 70 साल में सबसे बड़ा कर सुधार है।
जीएसटी को लेकर जो लोग विरोध कर रहे हैं, उनकी आशंकाएं निराधार हैं। कहा जा रहा है कि इससे वस्तुएं और सेवाएं महंगी हो जाएंगी। लोगों का बजट बिगड़ जाएगा। GST से किसी को डरने की कोई जरूरत नहीं है। इस नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के लागू होने पर शुरुआत में आने वाली दिक्कतों से बचाने के लिए सरकार की तरफ से कदम उठाए गए हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि उद्योग, व्यापार और आम लोगों को इससे फायदा ही होगा। GST का मकसद ‘कर पर कर’ को खत्म करना है। करों का बोझ धीरे-धीरे कम ही होगा। GST के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान टैक्स लगाया जाएगा।
पहले राज्य और केंद्र सरकारें अलग-अलग टैक्स लगाती थीं। अब उपभोक्ताओं को सिर्फ एक टैक्स देना होगा। इस टैक्स में राज्य और केंद्र सरकार का अपना-अपना हिस्सा होगा। GST हर सेवा पर नहीं लागू होगा। माना जा रहा है, कि GST से केवल उन लोगों को ज्यादा परेशानी होगी जो कर देने से बचते रहे हैं।
वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली जी ने भी कहा है,
पहले भी कर नहीं देते और अब भी नहीं देंगे का चलन अब पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।
कर चोरी रोकने के लिए फ्रांस ने 1954 में सबसे पहले GST लागू किया था। GST में कर चोरी पर सबसे ज्यादा रोक लगेगी। यही कारण है कि कर चोरी रोकने के लिए 160 से ज्यादा देशों में जीएसटी/ वैट लागू है।
Goods & Services Tax के तहत खुले अनाज, गुड़, दूध, अंडे और नमक जैसी बहुत-सी आवश्यक वस्तुओं पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। GST प्रणाली के तहत देशभर में एक वस्तु पर एक ही दर से कर लगेगा। इस नई व्यवस्था में उत्पाद शुल्क, सेवाकर, मूल्य वर्धित कर (वैट) सहित केंद्र और राज्यों में लगाए जाने वाले 17 विभिन्न कर समाहित कर दिए गए हैं।
पेट्रोल,डीजल, रसोई गैस और शराब पर कर से राज्यों को ज्यादा राजस्व मिलता है। इनको अभी GST के दायरे से बाहर रखा गया है। इन उत्पादों पर पहले की तरह ही टैक्स लगेंगे। शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं जीएसटी से पूरी तरह बाहर रखा गया हैं।
जिन व्यापारियों का सालाना कारोबार 20 लाख रुपए तक का है वह GST के दायरे में नहीं आएंगे। पूर्वोत्तर और विशेष दर्जा वाले राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर,उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में यह सीमा 10 लाख रुपए है। ऐसे व्यापारियों को GST का पंजीकरण करने पर इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी रिफंड का फायदा मिलेगा।
एक से दूसरे राज्य में कारोबार करने वालों को जीएसटी का पंजीकरण कराना होगा। GST से किसी को डरने की जरूरत नहीं है। मोदी सरकार का मकसद करों का बोझ कम कर ज्यादा से ज्यादा राजस्व जुटाना है। बिना आर्थिक मजबूती के कोई देश सुरक्षित नहीं रह सकता है। जब देश सुरक्षित नहीं होगा तो विकास में तेजी से आगे नहीं बढ़ सकता है।
देश की सुरक्षा के लिए सेना को मजबूत करना बहुत जरूरी है। हमारे देश का पड़ोसी देशों से लगातार टकराव चल रहा है। चीन और पाकिस्तान से हमें लगातार धमकियां मिल रही हैं। चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को रोकते हुए 1965 के युद्ध की याद दिलाई है। केंद्र सरकार ने रक्षा के महत्व को देखते हुए ही पिछले बजट में 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ोतरी की। कुल बजट का 12.78 प्रतिशत रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित किया गया। बजट में रक्षा क्षेत्र में 2.74 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए। यह कुल बजटीय राशि 21.47 लाख करोड़ रुपये का 12.78 प्रतिशत है।
सेनाओं के आधुनिकीकरण की मांगों और जरूरतों के हिसाब से इस क्षेत्र के बजटीय आवंटन में बढ़ोतरी की गई। UPA सरकार के दस सालों में सेनाओं के लिए इतना बजट नहीं दिया गया। यूपीए के राज में तो रक्षा सौदे घपलों के कारण विवादों में ही रहे। अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टरों की खरीद को लेकर CAG की रिपोर्ट कई गड़बड़ियों का खुलासा किया गया था।
3 साल के दौरान मोदी सरकार पर किसी तरह का कोई दाग नहीं लगा है। सरकार की कोशिश है कि देश की सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित रहें। कई वर्षों की देरी के बाद भारत सरकार ने सेनाओं की मजबूती के लिए काम शुरु किया है। थल सेना, वायु सेना और नौसेना के लिए तमाम अत्याधुनिक उपकरण और हथियारों की खरीद प्रक्रिया शुरु हो गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से उनकी पहली मुलाकात से ठीक पहले अमेरिका ने भारत को 22 गार्जियन मानवरहित ड्रोन की बिक्री को मंज़ूरी दी है। सेना की सभी जरूरतें, तभी पूरी हो पाएंगी, जब हमारे देश का खजाना भरा हो।
तो, जैसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि…