राष्ट्रीय भावना व राष्ट्रीय गौरव का प्रसार करते हैं- खेल।
वर्तमान दौर में दुनिया भर में खेलों को लेकर आकर्षण बढ़ा है, क्योंकि खेल अब सिर्फ खिलाड़ी और दर्शक तक सीमित न होकर एक व्यवसाय का रूप ले चुके हैं। अब खेल के मैदान में अकूत धनवर्षा होती है और इससे सबसे ज्यादा खेल व खिलाड़ी दोनों को लाभ मिला है। भारत के इतिहास में प्राचीन काल से ही खेल आकर्षण का केंद्र रहे हैं। महाभारत काल से लेकर आधुनिक काल तक हमेशा खेल प्रतियोगिताओं को प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जाता रहा है। यही कारण है कि खेलों से राष्ट्रीय भावना का विकास होता है। विश्व पटल पर खेलों के माध्यम से देश का नाम तो रोशन होता ही है, खिलाड़ियों को भी भरपूर नाम और शोहरत मिलती है।
विश्व स्तर पर खेलों को लेकर कई प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं। क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, टेनिस, कबड्डी सहित कई विश्वकप आयोजित किये जाते हैं। इनके अलावा ओलंपिक का आयोजन वृहद स्तर पर होता है, जिसमें कई खेल समाहित होते हैं। ओलंपिक में पदक हांसिल करना किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है। पदक प्राप्त कर न सिर्फ खिलाड़ी बल्कि सारा देश गौरवान्वित होता है। भारत देश में क्रिकेट सर्वाधिक लोकप्रिय खेल है। हम देखते हैं कि जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट होता है,सारे देश में उत्साह का माहौल होता है व सम्पूर्ण देशवासियों की एक ही भावना रहती है कि भारत की टीम जीतना चाहिए। इसप्रकार से हम खेल के दौरान राष्ट्रीयता की भावना से भर जाते हैं,जिससे हमेशा के लिए राष्ट्र प्रेम की भावना बलवती होती है।
वर्तमान सरकार द्वारा देश में खेलों को बढ़ावा देने और नयी प्रतिभाओं को तलाशने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए ‘खेलो इंडिया’ योजना पेश की गई है। ओलंपिक की तैयारियों के लिए ‘ओलंपिक पोडियम’ कार्यक्रम शुरू किया गया है, साथ ही पर्याप्त धन का प्रावधान रखा गया है। मेडल जीतने की संभावना वाले खिलाड़ियों को विदेशों में प्रशिक्षण देने की व्यवस्था भी की गयी है। कई निजी संस्थान व एनजीओ भी प्रतिभावान खिलाड़ियों को सहायता प्रदान करते हैं।
एक प्रकार से देखा जाये तो मौजूदा दौर भारतीय खिलाड़ियों के लिए एक अवसर भरा दौर है। पिछले कुछ सालों से कई खेलों में लीग प्रतियोगिताएँ शुरू हुई हैं और पहले से चली आ रही लीग प्रतियोगिताओं का व्यापक स्तर पर आयोजन हुआ है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की सफलता के बाद, भारत में कबड्डी, हॉकी, फुटबॉल, बैडमिंटन और टेनिस जैसे कई खेल लीग फॉर्मेट सामने आ गए हैं। स्पोर्ट्स ब्रॉडकास्ट सीधे प्रसारण के ज़रिए इन लीगों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रहे हैं, भारतीय खेल लीग ने उद्यमशीलता, इवेंट मैनेजमेंट और खिलाड़ी प्रबंधन सेवाओं को पैदा किया है। “अच्छी खबर यह है कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कबड्डी पर प्रशिक्षण तेज़ हो गया है। स्थानीय चैनलों पर कबड्डी लीग के प्रसारण से प्रभावी रणनीति को छुआ है। इससे खेलों की पहुंच बढ़ी है। जहाँ खिलाड़ी पहले आजीविका के खातिर नौकरी की तलाश में रहते थे, अब उनके लिए खेल लीगों के माध्यम से आय हेतु नए द्वार खुले हैं।
भारत में अभी भी व्यापक तौर पर खेलों को एक कॅरियर के रूप में नहीं देखा जाता है, जबकि इसमें अब अपार संभावनाएं नजर आ रही हैं। सरकारी स्तर पर भी खेल व खिलाड़ियों के विकास हेतु पर्याप्त प्रयास किये जा रहे हैं। वास्तव में खेल को सिर्फ कॅरियर के लिहाज से नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि खेल मनुष्य के जीवन के सर्वांगीण विकास हेतु मुख्य भूमिका भी निभाते हैं। खेल मनुष्य के शारीरिक विकास के साथ-साथ उसका मानसिक विकास भी करते हैं। आज हर खेल में पर्याप्त अवसर विद्दमान हैं।
भारत का एक ऐतिहासिक खेल कुश्ती, जिसकी लोकप्रियता अभी भी लोगों के बीच बरक़रार है। वर्तमान में कुश्ती ने भी लीग युग में प्रवेश कर लिया है। भारत की मिट्टी से जुड़े इस पारंपरिक खेल के लीग टूर्नामेंट को दर्शक भी पर्याप्त मात्रा में मिल रहे हैं। देशी पहलवानों को विदेशी ओलम्पिक पदक विजेता पहलवानों व विश्व चैम्पियन पहलवानों के साथ दो – दो हाथ करते देखने का अवसर दर्शकों के लिए अद्भुत रोमांचक रहा है। इसप्रकार लीग के चलते खेलों के प्रति भारतीय नागरिकों की रूचि भी बढ़ रही है व खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का भरपूर अवसर मिल रहा है।
खेल लीगों के होने से खिलाड़ी आर्थिक रूप से संपन्न तो हुए ही हैं, पर इससे सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि देश को हुनरमंद खिलाड़ी मिले। इस प्रकार से लीग प्रतियोगिताएँ भारत में खेल व खिलाड़ियों के लिए एक अवसर बनकर आई हैं। भारत में लीग स्पर्धाओं ने कई खेलों में जान फूंकी है, साथ ही भारतीय खिलाड़ियों को अवसर व पैसा भी दिया है। इससे आने वाले समय में कई युवा प्रतिभाओं को भरपूर अवसर प्राप्त होगा। हम पूरी तरह से आशान्वित हैं कि भविष्य में अन्य खेलों में भी इस तरह की लीग प्रतियोगिताएँ आयोजित की जायेंगी, जिससे उन खेलों से जुड़े हुनरमंदो को भी अवसर मिलेगा। इस प्रकार से खेल आज के दौर में एक ऐसा क्षेत्र है,जिसमें सम्मान के साथ-साथ पैसा भी भरपूर है।
आइये हम सब खेलों से खुद को जोड़ें व दूसरों को भी प्रेरित करें। खेल ऐसा होना चाहिए जिसमें शारीरिक श्रम हो,ताकि स्वास्थ्य लाभ भी मिले। कंप्युटर पर बैठकर गेम न खेलने लगें, आज बच्चों में कंप्युटर पर गेम खेलने की लत सी लग रही है। इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं, माता-पिता को इस बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। बच्चों को ऑउटडोर खेलों के प्रति प्रेरित करें व खुद खेलने लेकर जाएँ। इससे उनमे टीम भावना का विकास होगा व आपस में अच्छे दोस्त भी बनेंगे, जो कि जीवन के हर क्षेत्र में सहायक होगा। इस प्रकार एक स्वस्थ और सुद्रढ़ भारत के खातिर खुद को खेलों से जोड़ने का संकल्प लें व राष्ट्र के गौरव में भागीदार बनें।