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मतदान अवश्य करें

अपना विचार प्रकट करने के लिए मतदान श्रेष्ठ तरीका है। मतदान की व्यवस्था किसी वर्ग या समाज के सदस्य के अलावा लोकसभा या विधानसभा में अपना प्रतिनिधि चुनने या किसी अधिकारी के निर्वाचन में अपनी इच्छा या किसी प्रस्ताव पर अपना निर्णय प्रकट करने के लिए की जाती है। इस दृष्टि से यह व्यवस्था सभी चुनावों तथा सभी संसदीय या प्रत्यक्ष विधि निर्माण में प्रयुक्त होती है। अधिनायकवादी सरकार में अधिनायक द्वारा पहले से लिए गए निर्णयों पर व्यक्ति को अपना मत प्रकट करने के लिए कहा जाता था। है। लोकतंत्र में तो मतदान से चुनी सरकार को ही मान्यता है। लेकिन, इसके लिए जरुरी है, कि सभी मतदाता अपना पक्ष जाहिर करें! क्योंकि, जितने ज्यादा मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, नतीजा उतना ही स्पष्ट और लोकतांत्रिक नजरिए से सही माना जाएगा।
प्राचीन समय में धार्मिक संस्थाओं में, विशेषत: बौद्ध संघों में भी निर्वाचन के नियमों का पालन होने के प्रमाण हैं। यूरोप में प्राचीन यूनान तथा इटली में मतदान की व्यवस्था विद्यमान थी। प्राचीन राजतंत्रों में यह प्रचलन था कि कुछ गंभीर विषयों पर स्वयं निर्णय लेने के पूर्व राजा अपनी प्रजा की सहमति प्राप्त करने के लिए उन्हें आमंत्रित करता था। ऐसी सभाओं में मत प्रकट करने का ढंग मौखिक था। एथेंस में जहाँ मतदान की व्यवस्था थी, वहाँ हाथ उठाकर मत प्रकट करने की प्रथा थी। परंतु किसी व्यक्ति के सामाजिक स्तर पर प्रभाव डालने वाले विषयों पर गुप्त मतदान की व्यवस्था थी। आज भी अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए हम मतदान का ही प्रयोग करते हैं!
हम एक लोकतांत्रिक देश के स्वतंत्र और विचारवान नागरिक है। लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत नागरिकों को जो अधिकार मिलते हैं, उनमें वोट देने का अधिकार प्रमुख है। इस अधिकार को पाकर ही हम मतदाता कहलाते हैं। मतदाता के पास ही वह ताकत है, जिसके जरिए वह सरकार बना भी सकता है और गिरा भी सकता है। भारत युवा देश है, जिसकी 65% आबादी 35 साल से कम उम्र के मतदाताओं की है। इसलिए युवाओं का दायित्व है कि वे स्वयं तो वोट दें ही, अशिक्षित लोगों को भी वोट का महत्व बताकर उनको वोट देने के लिए प्रेरित करें। लेकिन, हमारे देश में मतदान वाले दिन लोगों को उससे भी ज्यादा जरूरी काम याद आने लगते हैं। ऐसे में गैर-जागरूक, उदासीन व आलसी मतदाताओं के भरोसे चुनावों में सभी की भागीदारी कैसे सुनिश्चित होगी? समाज में एक तबका ऐसा भी है, जो राजनीतिक पार्टी और उम्मीदवार के गुण और उसके वादे न देखकर धर्म, मजहब व जाति देखकर वोट करता हैं। ऐसे लोग अपना वोट संकीर्ण स्वार्थ के वशीभूत होकर दे देते हैं, जो उचित नहीं है।
एक बार फिर हमारे सामने लोकतांत्रिक भारत की 17वीं लोकसभा गठन का दायित्व है। हमें अपने क्षेत्र से सही नेतृत्व का चुनाव करना है, जो निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार ही होगा। भारत को विश्वशक्ति, विश्वगुरू और विकास के हर क्षेत्र में विकसित देश के रूप में आगे लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों को मजबूत बनाना है। बीते 5 सालों में देश ने बहुत विकास किया और कई प्रतिमान गढ़े, लेकिन अभी भी बहुत से काम अभी बाकी हैं। यदि हर मतदाता ठान ले कि उसे 19 मई को अपने मताधिकार का सही उपयोग करना है तो भाजपा के नरेंद्र मोदी के फिर से मौका देना होगा!
… 19 मई रविवार को छुट्टी मत मनाइए! दिन की शुरुआत अपने मताधिकार से करें और देश को समृद्धशाली बनाने के लिए भाजपा के ‘कमल’ निशान के सामने का बटन दबाते हुए नरेंद्र मोदी को चुनें।