Kailash Vijayvargiya blogs Shubho Nobo Borso: Wishing a Happy New Year - Kailash Vijayvargiya
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Shubho Nobo Borso

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शुभो नोबो बोरसो’

कैलाश विजयवर्गीय

सभी बंगाली बंधु और बहनों को शुभो नोबो बोरसो। नव वर्ष बंगाल के लोगों के लिए लोकतंत्र की खुली बयार लेकर आए। बंगाल के लोग नव वर्ष में खुली हवा में सांस लें। बंगाल के लिए नव वर्ष नई-नई खुशियां लाएं। पिछले कुछ वर्षों से राज्य में रुकी हुई विकास की गति में तेजी जाए। भ्रष्टाचार कम हो और लोगों को राहत मिले। ऐसी शुभकामनाओं के साथ नव वर्ष का स्वागत करते हैं, अभिनंदन करते हैं।

मेरा बंगाल और बंगाली संस्कृति से बहुत नजदीक का संबंध रहा है। मुझ पर बंगाल के महान संतों, क्रांतिकारियों, साहित्यकारों, कलाकारों और लोगों का बहुत असर रहा है। जनसंघ के संस्थापक डा.श्यामाप्रसाद मुखर्जी के कश्मीर में हुए बलिदान ने मुझे झकझोर दिया था। उनके बलिदान से मुझे देश के लिए कार्य करने की प्रेरणा मिली। उनकी प्रेरणा से ही मैं राजनीति में आया। बंगाल के समाज सुधारकों का मुझ पर बचपन से प्रभाव रहा। मैंने बंगाली साहित्य भी खूब पढ़ा। सबसे बड़ी बात यह है कि मेरी पत्नी बंगाल की है। इस कारण हमारे घर में मालवा के साथ बंगाल के उत्सव भी लगातार मनते रहते हैं।

बंगाल में नववर्ष को पोहला बोईशाख भी कहा जाता है। इसका अर्थ है बैशाख का पहला दिन। पोएला यानी पहला और बोइशाख यानी बैशाख महीना। बंगाली कलैंडर हिन्दू सौर मास पर ही आधारित है। बंगाली नववर्ष के साथ ही केरल में विशु मनाया जाता है। विशु मलयाली नववर्ष होता है। अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों में इनके आसपास ही नव वर्ष की शुरुआत होती है। उत्तर भारत में चैत्र बैशाख शुक्ल प्रतिपदा से भारतीय नववर्ष प्रारम्भ होता है। पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, औडिशा, असम और आसपास के राज्यों में पहला बोइशाखा पर बहुत धूमधाम होती है। असम में इससे एक दिन पहले बिहू की मस्ती रहती है।

बोइशाखा का शुभ माह बंगाल के लिए शुभ हो। जिस तरह पोइला बोइशाख पर हम अपने घरों की सफाई करते हैं। रंग-रोगन करते हैं। सकाले जागते हैं, नहाते हैं, नए-नए वस्त्र पहनते हैं। पूजापाठ करते हैं। रिश्तेदारों और बंधुओं से मिलते हैं। घरों में उत्सव मनाते हैं, पकवान बनाते हैं और आपस में वितरित करते हैं। पोइला बोइशाख परिवार की समृद्धि और कल्याण के लिए मां काली की आराधना का पर्व है। इस अवसर पर सभी को कोशिश होती है कालीघाट मंदिर में जाकर मां काली का आशीर्वाद लिया जाए। पोइला बोइशाखा पर हम बंगाल में लोकतंत्र की अलख जगाने के लिए मां काली से प्रार्थना करें। हे मां काली हम पर नोबों बोरसों में कृपा बरसाएं। हमें राज्य में आतंक से मुक्ति मिले। बोइशाखा के पोइला दिन सूर्य की उपासना का दिन भी है। प्रातकाल उठकर सूर्य को देखने से परिवार में शुभ कार्य होते हैं। भगवान श्री गणेश और देवी लक्ष्मी की उपासना की जाती है। पोइला बोइशाखा के दिन बंगाल में हर जगह में पूरे वर्ष अच्छी बारिश हो, इसके लिए बादलों की पूजा की जाती है। यह प्रकृति की उपासना का दिन भी है। पोइला बोइशाख व्यापारियों के लिए नई बहीखाते शुरु करने का दिन होता है। बंगाल में इसे हालखाता कहा जाता है। यह दिन बंगाल की महान परम्पराओं का हिसाब किताब याद रखने का दिन भी हैं। बंगाल में दूर्गा पूजा पर रोक, रामजन्मोत्सव मनाने पर रोक, हनुमान जयंती पर प्रतिबंध, सरस्वती पूजा की मनाही, हिन्दुओं के त्योहारों पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए जाते हैं। वोट बैंक के लालच में हमारी समृद्ध परम्पराओं को धराशायी किया जा रहा है।

एक समय राज्य में बैशाली मेलों की धूम होती थी। आज भी जगह-जगह मेले लगते हैं। इन मेलों में आतंक के कारण मस्ती खत्म होती जा रही है। पोइला बोइशाख पर जगह-जगह रवीन्द्रनाथ टैगोर का गीत एशो है बोइशाख एशो एशो गाते हुए लोग दिखाई देते थे। यह परम्परा कम होती जा रही है। आइये नोबो बोरसों पर हम संस्कृति का बढ़ाने के लिए संकल्प लेते हैं। मां काली से प्रार्थना करते हैं कि पूरे वर्ष हम पर कृपा बरसाएं। बंगाल में धन-धान्य की वृद्धि हो। साथ ही बंगाल के लोगों को राजनीतिक आतंक से मुक्ति से मिले।