तुष्टिकरण छोड़ सबकी पीड़ा समझें ममता जी
संवेदनहीन एवं भद्दी रीति-नीति है, बंगाल के शासन-प्रशासन की जिस पर अनेक बार अनेक स्तरों पर प्रश्न उठते रहे हैं।
विडम्बना है कि अनेक प्रतिकूल प्रतिक्रियाओं के बावजूद रोम के असंवेदनशील शासक नीरो की तर्ज पर, बंगाल की ममता सरकार अपनी ही धुन पर मदमस्त, आमजन की पीड़ा से बेखबर है। वह अपने स्वार्थ में डूबी, संवेदनहीन बनी हुई हैं।
वरना क्या कारण है कि (इंडिया टुडे की रिपोर्ट अनुसार) अलुबेरिया के तेहत्ता के हाई स्कूल में कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम समूह, अपने वर्ग के छात्रों को साथ लेकर जबरन घुस गए। वहीं पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्म-दिवस के रूप में नबी दिवस मनाने का नाटक किया। इसके लिए सक्षम अधिकारियों से कोई अनुमति नहीं ली गई।
नगर के हिन्दुओं को बसंत पंचमी पर तेहत्ता हाई स्कूल में सरस्वती पूजा के लिए जब अनुमति दी गई तब मुस्लिम कट्टरपंथियों ने धमकी दी थी कि, 13 दिसम्बर 2016 के दिन स्कूल परिसर में जबरन विश्व नबी दिवस मनाएंगे। इतना ही नहीं वे नारेबाज़ी के साथ गुंडागर्दी भी करने लगे।
स्कूल अधिकारियों ने इन लोगों से होने वाले ख़तरों संबंधी चेतावनी देते हुए 16, दिसम्बर 2016 और 27 जनवरी 2017 को दो पत्र भी लिखे। इनकी कॉपी बी.डी.ओ, एस.डी.ओ, एस.डी.ओ.पी को भेजी गई। इसके बाद 29 जनवरी 2017 के डिस्ट्रिक्ट इंस्पेक्टर ऑफ़ स्कूल सेकंडरी एज्युकेशन, हावड़ा के आदेश से तेहत्ता स्कूल अगले आदेश तक बंद किया गया है।
अब इस सम्पूर्ण मामले में दो प्रश्न ज़हन में उभर रहे हैं:-
कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम सांप्रदायिक-सौहार्द्र दूषित करने को हरदम आमादा रहते हैं, क्यों? (स्पष्ट कर दूँ कि आम मुस्लिम इस प्रश्न का हिस्सा नहीं है)
ज्यादा महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि बंगाल की ममता बनर्जी सरकार असंवेदनशील, पक्षपाती होकर बंगाल का परिवेश आमजन के लिए क्यों अशांत एवं पीड़ादायक बना रही हैं?…..
शायद ये इनकी आदत में ही है।
ज्यादा भयावह असलियत यह है कि बंगाल में ऐसी घटनाएँ पहली बार नहीं हो रही हैं।
विगत अरसे में घटी कुछ ह्रदय विदारक घटनाएं भी यहाँ अवश्य ही चिंतन योग्य हैं:-
11 अक्टूबर 2016 को हावड़ा जिले के अर्गोरी गाँव में दुर्गा-पूजा पंडाल में कुछ मुस्लिमों ने व्यवधान डाला। रैपिड एक्शन फ़ोर्स तैनात करना पड़ा, अन्य कई जगह से हत्या आदि के भी समाचार थे।
अक्टूबर 12 को, खड़गपुर गोल-बाजार में और मुर्शिदाबाद में हिन्दुओं की दुकानें लूटी गई।
अक्टूबर 13 को, नहाती उत्तर 24 परगना में, 100 हिन्दू घर और दुकानें लूटी व तोड़ी फोड़ी गई। वीडियो सोशल मीडिया पर देखे गए।
गत विजयादशमी के दिन माताजी की प्रतिमा न विसर्जित करने का सरकारी आदेश दिया गया। कुछ लोग कोर्ट गए, कोलकाता हाई कोर्ट के जस्टिस ने विजयादशमी को 8:30 बजे शाम तक और फिर एक दिन बाद से मूर्ति विसर्जन की अनुमति दी।
ज्यादा आँखें खोलने वाला था मा.जस्टिस का यह कथन :- बंगाल सरकार का आचरण अनुत्तरदायी होकर एक वर्ग के तुष्टिकरण वाला है, और अन्य वर्ग हेतु, माँ दुर्गा की पूजा करने के मौलिक अधिकार को रोकने वाला है। मा .जस्टिस का कथन अक्षरशः सत्य था. ममता जी की असलियत समझने के लिए यह कथन प्रासंगिक है। और इस पर ज़रूर मनन करें। इस हेतु मैं यहाँ कुछ प्रश्न छोड़ना जरूरी समझता हूँ।
इनका जायजा लेवें:-
क्यों ममता जी ने अपना गत चुनाव अभियान मालदा से शुरू किया जो उपद्रव के लिए कुख्यात रहा है, और कुछ समय पहले ही वहां पुलिस गाड़ियाँ ,पुलिस स्टेशन जलाए गए थे।
क्यों उनके भतीजे जनसभा में कट्टरपंथियों के सामने कलमा पढ़ते हैं?
क्यों तेहत्ता के स्कूल में सरस्वती पूजा में व्यवधान करने वालों को जबरन वहां नबी दिवस मानाने दिया गया?
क्यों मुख्यमंत्री, इस घटना का विद्यार्थियों पर दुष्प्रभाव व व्यापक मीडिया के चलते देश में गलत संकेत जाने और तदनुसार इसके प्रभाव को नहीं समझ रही?