राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रबल समर्थक, शोषितों की बुलंद आवाज तथा सबको बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए लड़ने वाले योद्धा बाबासाहेब डा.भीमराव अम्बेडकर के नाम और काम को देश के कई राजनीतिक दल लंबे समय से इस्तेमाल कर रहे हैं। चुनाव के समय कई दलों के नेताओं में बाबासाहेब का अनुयायी होने का दावा जताने की होड़ मच जाती है। यह तो जगजाहिर है कि कांग्रेस ने बाबासाहेब को जीवित रहते और उनके महापरिनिर्वाण के बाद भी उचित सम्मान नहीं दिया। वोटों के लिए बाबासाहेब के नाम पर खोखली राजनीति करने वाले कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दलों की असलियत जनता जान चुकी है। बाबासाहेब के विचारों, उनके कार्यों, उनसे जुड़े स्मारकों को सहेजने और आगे बढ़ाने के साथ ही गरीबों, दलितों, शोषितों और कमजोर वर्ग को मजबूत बनाने का जितना कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, उतना किसी ने नहीं किया। विचारों से और कार्यों से बाबासाहेब के वास्तविक अनुयायी आज हमारे प्रधानमंत्री मोदी ही हैं।
बाबासाहेब पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार में विधि मंत्री थे। नेहरू के विचारों से असहमति होने के कारण बाबासाहेब को मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देना पड़ा। बाबासाहेब की कांग्रेस और नेहरू के प्रति पीड़ा उनके बयानों से स्पष्ट दिखाई देती है। देश की स्वतंत्रता के बाद बाबासाहेब संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष नियुक्त किए गए। सितंबर 1947 में नेहरू मंत्रिमंडल में विधि मंत्री बने बाबासाहेब ने 27 सितंबर 1951 को मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया। भारत के संविधान को अंतिम रूप देने में बाबासाहेब के विचारों, उनके तर्कों और भाषणों ने उन्हें महान विचारक, दार्शनिक और संविधान विशेषज्ञ सिद्ध किया। राजनीतिक फायदे के लिए बाबासाहेब को कुछ राजनीतिक दल केवल दलितों के नेता के तौर पर भुनाने की कोशिश करते रहे। क्षुद्र राजनीति के कारण बाबासाहेब के सम्पूर्ण व्यक्तित्व, विचारधारा और कार्यों को सम्मान नहीं दिया गया।
देश में लंबे समय तक सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस ने तो बाबासाहेब को कभी सम्मान ही नहीं दिया। बाबासाहेब के महापरिनिर्वाण के 34 वर्ष बाद भारतीय जनता पार्टी के कारण उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया। कांग्रेस, कम्युनिस्ट और पिछले कुछ वर्षों में दलितों के नाम पर राजनीति करने वाले कुछ दलों ने बाबासाहेब के विचारों को सही तरीके से सामने नहीं दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बाबासाहेब के विचार कई मुद्दों पर समान थे। विचारों में समानता होने के बावजूद संघ और भाजपा को बाबासाहेब का विरोधी बताने की साजिशें रची गई। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त करने के लिए 2019 में संसद से पारित प्रस्ताव के बाद लोगों ने जाना कि बाबासाहेब इस अनुच्छेद के विरोधी थे। नेहरू सरकार के दौरान बाबासाहेब ने संसद में अनुच्छेद पर हुई बहस में हिस्सा भी नहीं लिया था। अनुच्छेद 370 के बारे में शेख अब्दुल्ला को लिखे पत्र में उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि भारत का विधि मंत्री होने के नाते मुझे यह मंजूर नहीं है।
बाबासाहेब की जन्मस्थली महू में मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने 2008 में स्मारक बनवाया था। 14 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां जाकर बाबासाहेब को श्रद्धांजलि दी थी। मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं, जो उनकी जन्मस्थली पर गए। उस समय मोदीजी ने कहा था कि बाबासाहेब अम्बेडकर एक व्यक्ति नहीं थे, वो एक संकल्प का नाम थे। मोदीजी की पहल पर बाबासाहेब के जीवन से जुड़े पांच प्रमुख स्थलों जन्मस्थली महू, मुंबई में इन्दु मिल चैतन्य भूमि पर स्मारक, नागपुर में दीक्षास्थल, दिल्ली में बाबासाहेब के महापरिनिर्वाण स्थल और 15 जनपथ पर स्मारक को पंचतीर्थ योजना के तहत स्थापित किया गया। 30 दिसंबर, 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी के बाद भीम एप देश को समर्पित किया। मोदीजी की पहल पर ही 14 अप्रैल 2016 को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारत रत्न बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंती मनाई गई। 1920 में लंदन में पढ़ाई के दौरान बाबासाहेब जिस बंगले में रहे, वह भी मोदीजी की पहल पर महाराष्ट्र की पड़नवीस सरकार ने खरीदा और वहां अंतरराष्ट्रीय स्मारक बनवाया। मोदीजी ने कई अवसरों पर बाबासाहेब को श्रद्धांजलि देते हुए कहते भी हैं अगर बाबासाहेब अम्बेडकर नहीं होते तो मैं यहां तक नहीं पहुंचता। ये उनके संविधान की ही ताकत है जो देश के सभी लोगों को विकास के समान अवसर देता। भेदभाव से ग्रसित बाबासाहेब ने संविधान में सभी के विकास का ध्यान रखा। बाबासाहेब अम्बेडकर परमात्मा के रूप थे। उनकी आलोचना करने वाले उन्हें नहीं समझते हैं। भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार बाबासाहेब को उनके कार्यों के लिए पूरा सम्मान दिलाने के लिए कृत संकल्प हैं। मध्यप्रदेश में महू सीट से विधायक रहते हुए मुझे भी बाबासाहेब की जन्मस्थली सजाने-संवारने और वहां आकर श्रद्धाजंलि देने वालों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने का मुझे भी सौभाग्य मिला है। बाबासाहेब के महापरिनिर्वाण दिवस पर कोटिश: नमन।
(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं। मध्यप्रदेश के महू विधानसभा सीट से विधायक रहे कैलाश विजयवर्गीय की बाबासाहेब की जन्मस्थली के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है।)