Kailash Vijayvargiya blogs पश्चिम बंगाल में आतंकवाद की दस्तक  - Kailash Vijayvargiya Blog
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पश्चिम बंगाल में आतंकवाद की दस्तक 

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले से आतंकवादी संगठन ‘अलकायदा’ के एक और आतंकवादी को गिरफ्तार कर ममता सरकार की ढील-पोल को उजागर कर दिया। ये आतंकवादी अलकायदा मॉडयूल से जुड़ा 32 साल का अब्दुल मोमिन मंडल है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की पश्चिम बंगाल यात्रा से पहले मुर्शिदाबाद से फिर अलकायदा के संदिग्ध आतंकवादी का गिरफ्तार होना बड़ी घटना है। पहले भी यहाँ से संदिग्ध आतंकवादियों को पकड़ा गया था। पश्चिम बंगाल में आतंकवादी गतिविधियां पनपने को लेकर भाजपा ने हमेशा ही राज्य सरकार को सचेत किया है, पर ममता बैनर्जी ने घुसपैठ को प्रश्रय देकर आतंकवाद को पोषित ही किया है। वास्तव में ये ममता बैनर्जी की मुस्लिम तुष्टिकरण नीति का नतीजा है! रोहिंग्या शरणार्थियों को संरक्षण देकर राज्य सरकार ने आतंकवाद को पोषित किया है, जो भविष्य में एक बड़ा खतरा बन सकता है। राज्य की पुलिस भी मुख्यमंत्री का इशारा समझकर संदिग्धों की अनदेखी करती है।

इस संदिग्ध आतंकवादी को एनआईए ने रानी नगर इलाके से दबोचा। अब एनआइए की टीम उसे पूछताछ के लिए दिल्ली ले जाएगी। पकड़ा गया संदिग्ध आतंकवादी मुर्शिदाबाद के रायपुर दारूर हुदा इस्लामिया मदरसा का शिक्षक है। वह पहले पकड़े गए ‘अलकायदा’ के आतंकवादियों के साथ कई बार बैठक कर चुका है। घटनाओं को अंजाम देने की साजिश रचने में उसकी अहम भूमिका रही है। पकड़े गए आतंकवादी के ठिकाने से एनआईए ने कई तरह के डिजिटल डिवाइस जब्त किए हैं। उसके पास महत्वपूर्ण नक़्शे और दस्तावेज भी जब्त किए गए। उसके मोबाइल फोन की कॉल लिस्ट की जांच की जा रही है। उसके साथियों का भी पता लगाया जा रहा है।

एनआईए के अधिकारियों ने बताया कि अब्दुल मोमिन मंडल युवाओं को ‘अलकायदा’ से जोड़ने की कोशिश कर रहा था। इसके लिए वह सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहता था। वह युवाओं को आतंकवाद की राह पर चलने के लिए प्रेरित करता था। मदरसे में पढ़ाने की वजह से वह स्थानीय युवाओं के भी संपर्क में था और उन्हें बरगलाने में जुटा था। एनआईए ने 19 सितंबर को भी मुर्शिदाबाद और केरल के एर्नाकुलम से 9 संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद ये एक और आतंकवादी की गिरफ्तारी हुई! पकडे गए संदिग्ध आतंकवादियों पर आरोप है कि वे नई दिल्ली समेत देश के महत्वपूर्ण शहरों में हमला करने की साजिश रच रहे थे। यह भी जानकारी मिली कि ये आतंकवादी पटाखों को ‘इम्प्रोवाइस्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस’ (IED) में बदलने की कोशिश कर रहे थे। छापेमारी के दौरान एनआईए ने पकडे गए आतंकवादियों के ठिकाने से स्विच और बैटरी भी बरामद की है! ये कश्मीर जाने की योजना बना रहा था! उसका इरादा निर्दोष लोगों की हत्या के मकसद से प्रमुख प्रतिष्ठानों पर हमला करना था।

इनसे पूछताछ में पता चला था, कि पाकिस्तान में बैठे कमांडरों के आदेश पर ये लोग दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और देश के अन्य शहरों में आतंकी वारदातों को अंजाम देने वाले थे। यह भी पता चला है कि ये ‘टेरर फंडिंग’ के लिए पैसे इकठ्ठा करने से लेकर आतंकियों की भर्ती तक कर रहे थे, जिन्हें ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भेजा जाता था। पश्चिम बंगाल से ‘अलकायदा’ आतंकियों की गिरफ्तारी कारण राज्यपाल महामहीम जगदीप धनखड़ और भाजपा  इकाई राज्य सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर लगातार दबाव बना रहे हैं।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री जगदीप धनखड़ ने भी ममता सरकार की निष्क्रियता पर आपत्ति उठाई। उन्होंने कहा था कि राज्य अवैध बम बनाने का अड्डा बन चुका है। उन्होंने राज्य की कानून व्यवस्था के हालात पर भी चिंता जाहिर की। क्योंकि, राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वो राज्य में कानून व्यवस्था को मजबूत करे। लेकिन, राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने से हमेशा बचती रही है।

भाजपा नेता अरविंद मेनन ने भी कहा कि राज्य में कई आतंकवादी संगठनों ने टीएमसी के शासन के दौरान अपना नेटवर्क स्थापित किया है। पश्चिम बंगाल इस्लामिक आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल बन गया है। ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की राजनीति ने न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि पूरे देश के लिए खतरा पैदा कर दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो इस बात मानने को ही तैयार नहीं कि रोहिंग्या मुस्लिम आतंकवादी हैं। जबकि, केंद्र सरकार इस रुख पर कायम है कि इनमें से कुछ रोहिंग्या पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों से भी जुड़े हो सकते हैं, इन सभी को वापस भेजा जाएगा। जबकि, मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी का कहना है कि सभी लोग आतंकवादी नहीं हो सकते! कुछ आतंकवादी हो सकते हैं और उन्हें आतंकवादी ही माना जाएगा। आतंकवादियों और आम लोगों के बीच में एक अंतर है! जबकि, केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से भी कहा है कि वह रोहिंग्या के मुद्दे पर हस्तक्षेप न करे! उन्हें निर्वासित करना एक नीतिगत निर्णय है और उनमें से कुछ पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों से जुड़े हो सकते हैं। केंद्र सरकार का रोहिंग्या शरणार्थियों को निकालना देश के हित में है।