Kailash Vijayvargiya blogs Maa Pranaam: A Tribute to the Power of Motherhood | Kailash Vijayvargiya
kailash vijayvargiya kailash vijayvargiya
Nadda ji

माँ (काकी जी) प्रणाम

आज आदरणीय माँ जिन्हें हम सब काकीजी कहते थे की पुण्यतिथि है। वैसे तो मैं जो कुछ भी हूँ, जैसा भी हूँ, उसका सम्पूर्ण श्रेय काकीजी को ही है। पर एक बात जो उन्होंने मुझे सिखाई वो कभी भूले न भूलती है और वह है रामचरित्र मानस पढ़ना। वे कहती थीं तुलसी बाबा के ग्रंथ से बड़ा कोई ग्रंथ नहीं है। रामचरित मानस में हर समस्या का समाधान है। ये रामचरित्र मानस की सीख और काकीजी के संस्कार ही हैं कि आज भी मुझसे झूठ, फरेब ,जुल्म और अत्याचार बर्दास्त नहीं होते। वे कहती थीं कि सत्य की प्रतिस्थापना के लिए तब तक संघर्ष करो जब तक न्याय न मिल जाये। राष्ट्रधर्म हो, राजनीतिक कर्म हों या पारिवारिक दायित्व, सभी मोर्चो पर मेरी भूमिका में स्वर्गीय काकीजी की सीख, और रामचरित्र मानस का ज्ञान परिलक्षित होता है। जब कुछ न था तब भी काकी जी ने खुश रहना, संतुष्ट रहना सिखाया। जब सब कुछ मिल गया तो काकी जी ने अहंकारमुक्त होना सिखाया। वे सिर्फ़ मेरी माँ ही नहीं थीं ,वे मेरी सब कुछ थीं -एक शिक्षक, एक मित्र, एक प्रेरणा, एक पालनहार, एक सलाहकार ,एक आलोचक, एक समीक्षक और सबसे बढ़कर मुझे सही और ग़लत का भान कराने वाली मेरी भगवान वही तो थीं।

काकी जी आपने सब कुछ सिखाया, बस अपने बिना कैसे जीना ये नहीं सिखाया। बहुत याद आती हो आप। अपने कैलाश का प्रणाम स्वीकार करो मां।