Claps in Capitol Hill, Heads High in India!

Modi Ji’s full speech in US.. Mr. Speaker, Mr. Vice President, Distinguished Members of the U.S. Congress Ladies and Gentlemen. I am deeply honoured by the invitation to address this Joint Meeting of the U.S. Congress. Thank you, Mr. Speaker for opening the doors of this magnificent Capitol. This temple of democracy has encouraged and empowered other democracies the world over. It manifests the spirit of this great nation, which in Abraham Lincoln’s words, “was conceived in liberty and dedicated to the proposition that all men are created equal.” In granting me this opportunity, you have honoured the world’s largest democracy and its 1.25 billion people. As a representative…

Socho agar sinhasth na hota to!

Post navigation

← PreviousNext →

सोचो अगर सिंहस्थ ना होता तो !

भारतीय भूमि आस्था की भूमि कही जाती है। हम भारतीयों की मान्यता है की इस मिट्टी के कण-कण में भगवान हैं। कई देश आये विश्व भर में अपना परचम फहराया और जल्द ही उनका विजय पताका काल की गोद में समा गया। आज वे महज एक कहानी बनकर ही रह गयें हैं। किन्तु भारत ही एक मात्र ऐसा राष्ट्र है, जो विश्व के मानचित्र पर जस का तस सदियों से खड़ा है। क्योंकि हमने हमेशा अपने अंदर अपनी संस्कृति अपनी आस्था को जीवित रखा।

किन्तु आज हम “शस्त्रों के अभाव में नहीं शास्त्रों के अभाव में पराजित हो रहे हैं”। आने वाली पीढ़ी सिंहस्थ को महज एक त्यौहार मान रही है। क्योंकि वे आस्था के इस महापर्व का सही अर्थ नहीं समझ पा रहे हैं। पहले ही हमारी ना जाने कितनी ही महत्वपूर्ण परम्परा सिर्फ इसलिए विलुप्त हो चुकीं हैं, क्योंकि शायद हम उनका उचित अर्थ हमारी भावी पीढ़ी को नहीं समझा सके।

विश्व प्रसिद्ध सिंहस्थ महाकुंभ एक धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महापर्व है।

ऋग्वेद में कहा गया है-
“जधानवृतं स्वधितिर्वनेव स्वरोज पुरो अरदन्न सिन्धून्।
विभेद गिरी नव वभिन्न कुम्भभा गा इन्द्रो अकृणुत स्वयुग्भिः”।।

कुंभ पर्व में जाने वाला मनुष्य स्वयं दान-होमादि सत्कर्मों के फलस्वरूप अपने पापों को वैसे ही नष्ट करता है, जैसे कुठार वन को काट देता है। जैसे गंगा अपने तटों को काटती हुई प्रवाहित होती है, उसी प्रकार कुंभ पर्व मनुष्य के पूर्व संचित कर्मों से प्राप्त शारीरिक पापों को नष्ट करता है और नूतन (कच्चे) घड़े की तरह बादल को नष्ट-भ्रष्ट कर संसार में सुवृष्टि प्रदान करता है। वस्तुतः वेदों में वर्णित महाकुम्भ की यह सनातनता ही हमारी संस्कृति से जुड़ा अमृत महापर्व है, जो आकाश में ग्रह-राशि आदि के संयोग से ……………………….. की अवधि में उज्जैन में क्षिप्रा के किनारे मनाया जा रहा है।

जब ज्ञान और विज्ञान का इस तरह अद्भुत संगम हो तो, अमृत अपने आप छलक पड़ता है। किसी के बारे में जानने के बाद उसका महत्व उसका उत्साह और दुगुना हो जाता है।
सिंहस्थ शब्द का अर्थ होता है – “सिंह राशी में स्थित कोई गृह”

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अमृत कलश की रक्षा में सूर्य, गुरु और चंद्रमा की महत्वपूर्ण भूमिका थी, इसी कारण वश जब यह तीनों गृह एक साथ मिलते हैं, तब ही सिंहस्थ महा पर्व का आयोजन किया जाता है। उज्जैन सिंहस्थ में भी यही स्थति निर्मित हो रही है।

सिंह राशी में गुरु,
मेष राशी का सूर्य
तुला का चंद्रमा

अपनी संस्कृति अपनी आस्था को जानना चाहते हो तो, कुछ समय अपने बुजुर्गो के साथ बिताया करो, क्यों की हर चीज़ गूगल के पास नहीं होती।

Bharat maa kee jay Kahana

भारत माँ की जय कहना, मातृभूमि की वन्दना है !  वन्दना से मिलती है शक्ति, यही है देश की पूजा, यही है देशभक्ति। ”भारत माता की जय” भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला यह नारा, हर भारतीय के जीवन का पोषण करने वाली भारत भूमि की मुक्ति के लिए की गई कोशिशों में उसकी संतानों के हृदय से किया गया एक उद्घोष था। उत्साह का संचार करने वाली भारत माता की वंदना करती यह उक्ति, स्वाधीनता संग्राम के सिपाहियों में नयी उर्जा और साहस का दम भर देती थी। यह केवल नारा नहीं है, यह राष्ट्रप्रेम से जुड़ी एक भावना है, जिसे…

भारत माँ की जय कहना,
मातृभूमि की वन्दना है ! 
वन्दना से मिलती है शक्ति,
यही है देश की पूजा, यही है देशभक्ति।

”भारत माता की जय”
भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला यह नारा, हर भारतीय के जीवन का पोषण करने वाली भारत भूमि की मुक्ति के लिए की गई कोशिशों में उसकी संतानों के हृदय से किया गया एक उद्घोष था।

उत्साह का संचार करने वाली भारत माता की वंदना करती यह उक्ति, स्वाधीनता संग्राम के सिपाहियों में नयी उर्जा और साहस का दम भर देती थी। यह केवल नारा नहीं है, यह राष्ट्रप्रेम से जुड़ी एक भावना है, जिसे राष्ट्र निर्माण से जुड़े अवसरों, कार्यक्रमों, आंदोलनों में उद्घोषित करने से मन को अदभुत शक्ति और शांति मिलती है, मानों हमने अपनी धरती माँ की वन्दना की हो और प्रतिफल में हमे एक आत्मबल मिला हो, जो हमे विश्व से प्रतिस्पर्धा के लिए प्रेरित कर, हमारा विजय मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

भारत एक नारी की प्रतिमा मात्र नहीं है, न ही यह कोई मूर्ति है जो किसी देवी-देवता की परिचायक होकर किसी धार्मिक भावना को प्रकट करती हो। वास्तव में भारत का हर कोना हर भाग मिलकर ही भारत माता के स्वरुप को दर्शाता है।

इसलिए जब आप “भारत माता की जय” कहते हैं, तो याद रखिए कि आप भारत के हर किसानों, मजदूरों, दूकानदारों, उद्योगपतियों, संतों, खिलाड़ियों, कलाकारों, वैज्ञानिकों, सेना के जवानों, जनसेवकों, महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों सभी की जय कहते हो, जिन्होंने इस देश को अतुल्य, संवृद्ध और शक्तिशाली बनाने में अपना अमूल्य योगदान दिया है।

हमारे पहाड़, नदियाँ, जंगल, जमीन, वन संपदा, खनिज.. हमारे प्राकृतिक संसाधन यही तो है भारत माता। हम जिस धरती पर रहते हैं, जिस देश ने हमें इतना कुछ दिया है, जिस धरती पर हमारी आने वाली पीढ़ी जन्म लेंगी, उस धरती माँ की वन्दना करने में हम सब को गर्व होना चाहिए इसके लिए हमें किसी त्यौहार या अवसर की आवश्यकता नहीं है।

भारत माता की जय हम हमेशा कह सकते हैं, हर स्थान पर, हर व्यक्ति से। हर भारतीय से मेरा अनुरोध है, आज से जब भी किसी से मिलें तो “नमस्कार” की जगह “भारत माता की जय” बोलें, जब किसी को विदा करें तो “बाय-बाय” की जगह “भारत माता की जय” बोलें और जब भी कोई खुशी व्यक्त करनी हो तो “हिप-हिप हुर्रे” की बजाय “भारत माता की जय” का उद्घोष करें।

आप यदि मेरी बात से सहमत हो तो टिप्पणी में “भारत माता की जय” कहें और इस विचार को अधिक से अधिक भारतीयों के साथ साझा करें।

अब जोर से बोलो – “भारत माता की जय”
प्रेम से बोलो – “भारत माता की जय”
सारे बोलो – “भारत माता की जय”

“भारत माता की जय” जय हिंद !

Holi Dhoom, fun is uncountable, wonderful is the festival of Indore’s Rangpanchami festival.

ब्रह्मांड के तेजमय सगुण रंगों की अनुभूति लेकर उन रंगों की ओर आकृष्ट हुए देवता के स्पर्श की अनुभूति लेना ही रंगपंचमी का उद्देश्य है। वैसे तो सम्पूर्ण भारतवर्ष में ही रंगपंचमी धूमधाम से मनाई जाती है। महाराष्ट्र में इस मौके पर कुछ जगहों पर दही-हांडी फोड़ने के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। वहीँ मेरे अपना इंदौर शहर अपने दामन में रंगपंचमी की कुछ अलग ही विशेषताओं को संजोए हुए है। इतने वर्षों में भारत के कई हिस्सों की रंगपंचमी देखी, पर बचपन से रंगपंचमी की जिस गैर (रंगारंग जुलूस) को देखकर मैं बड़ा हुआ, वो आनंद कहीं नहीं मिल…

Bhaarat maata kee jay to bolana hee hoga

भारत माता की जय तो बोलना ही होगा”भारत माता की जय” और “वन्दे मातरम” के नारे ने अंग्रेजों को भगाकर देश को आजादी दिलाई। आज ऐसे ही नारों को लेकर कुछ फिरकापरस्ती ताकतें देश के माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहीं हैं। भारत माता की जय न बोलने को लेकर ही पाकिस्तान की मांग की नींव रखी गई थी। मुसलमानों के लिए अलग देश बनाने की मांग करने वाले मोहम्मद अली जिन्ना ने भारत माता की जय न बोलने की बात कह के देश की आजादी के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाले स्वतंत्रता सैनानियों का मनोबल तोड़ने की कोशिश की थी। जिन्ना अपनी राजनीति से देश…

Mahaamahim ke khilaaph galat tippanee sahee nahin

भारतीय परम्पराओं में मर्यादाओं का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इसका उल्लेख हमारे संविधान निर्माताओं ने अनेक बार अलग.अलग स्थानों पर किया है। इसी बात का उल्लेख महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भोपाल में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के समारोह में किया। महामहिम राष्ट्रपति ने न्यायाधीशों को न्यायिक सक्रियता के जोखिमों के प्रति सचेत करते हुए कहा था कि “अधिकारों का उपयोग करते हुए हर समय सामंजस्य स्थापित करना चाहिए और ऐसी स्थिति सामने आने पर आत्मसंयम का परिचय देना चाहिए”। संविधान को सर्वोच्च बताते हुए उनका कहना था कि “लोकतंत्र के हर अंग को अपने दायरे में रहकर काम करना चाहिए…

Central India preserves Forest Area as well!

मध्यप्रदेश वन क्षेत्रफल में सभी प्रदेशों में अग्रण… 

हाल ही में RTI द्वारा पूछने पर पर्यावरण और वन मंत्रालय ने वन क्षेत्रफल की जानकारी देते हुए रिपोर्ट (इंडिया स्टेट ऑफ़ फोरेस्ट रिपोर्ट, 2011) जारी की जिसके अनुसार देश में कुल 6, 90, 899 किलोमीटर्स वन क्षेत्रफल है जिसमें से 77, 700 किलोमीटर्स यानी 11.24 प्रतिशत वन क्षेत्रफल मध्यप्रदेश में है. चाहे बात टाईगर्स की हो या हिरण की मध्यप्रदेश वन्य-जीवन को बहुत खूबसूरती से संजोए है.

हम मध्यप्रदेशवासियों के लिए यह वाकई गर्व की बात है और आशा है हम आगे भी अपने पर्यावरण के प्रति सजग रहेंगे और मानव जाती के साथ-साथ वन्य-जीवों को भी सुरक्षित रखेंगे.

Welfare of the Indians should be Prime in every Decision Making

इस बात को भी ध्यान में रखना बहुत ज़रूरी है…

पहले फौरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI)
और बाद में कई प्रकार के अलग-अलग कानून, जो कि थोपे हुए करों के रूप में छोटे-छोटे खुदरा व्यापारियों पर लगाए गए, उनसे कहीं न कहीं ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ये जो कानून बनाए जा रहे हैं वो भारतवासियों के बजाय विदेशियों को ध्यान में रख कर बनाए जा रहे हैं और मल्टी-नेशनल कम्पनीस को भारत में नींव मज़बूत करने के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा आधार उपलब्ध करवाया जा रहा है !!

मैं ऐसा मानता हूँ कि भारत में यदि किसी भी प्रकार के कानून बनाए जाएँ तो न सिर्फ ‘अर्थ व्यवस्था’ बल्कि भारत की सेकड़ों वर्षों से स्थापित ‘सामाजिक अर्थ व्यवस्था’ को ध्यान में रखकर बनाए जाना चाहिए क्यूंकि भारत में छोटे-बड़े कई प्रकार के व्यवसायी न्यूनतम से न्यूनतम पूँजी के आधार पर अपना व्यवसाय करते आ रहे हैं और ऐसे में उनके भविष्य के साथ क्या होगा और क्या वे जीवित रह पाएंगे, इस बात को भी ध्यान में रखना बहुत ज़रूरी है…

Election 2014 – Historical Victory

अबकी बार एक तरफा सरकार

आज की तारीख देश के इतिहास में हमेशा के लिए स्वर्णिम अक्षरों से लिखी जाएगी. 2014 में देश के प्रधानमन्त्री को पूरे देश ने एक तरफ़ा भारी मतों से चुना है…और वे और कोई नहीं नरेन्द्र मोदी हैं जिनकी सुनामी देश में इस कदर चली कि हर व्यक्ति के मुंह पर सिर्फ एक नारा था ‘अबकी बार मोदी सरकार’. चाहे सोशल नेटवर्किंग साइट्स हों या मोहल्ले के नुक्कड़ पर चाय वाले की दुकान, नरेन्द्र मोदीजी हर जगह विचार विमर्श का हिस्सा बन चुके थे और उसही के फल स्वरुप उन्हें देश ने अपना पूर्ण समर्थन दिया.

पिछले कई वर्षों से देश में गठबंधन सरकार ही देखने को मिल रही थी परन्तु इस बार जैसे जनता ने पूर्ण अधिकार और देश की कमान एक व्यक्ति के हाथों में थमाने का सोच लिया था. भारतीय जनता पार्टी ने अपने विकास कार्यों से हर प्रदेश में जनता के दिलों में जगह बना ली है और विधानसभा चुनावों में यह साफ़ तौर पर देखने को मिला था. नरेन्द्र मोदी के सुदृढ़ नेतृत्व में अब देश विकास की नयी इबारत लिखने को तैयार है.

इस अविस्मरणीय अवसर पर मैं देश की जनता को लोकतंत्र की इस शानदार जीत पर हार्दिक बधाई देता हूँ और नरेन्द्र मोदीजी को दिल से शुभकामनाएं देता हूँ कि वो देश की अपेक्षाओं पर खरे उतरें!

Strong Will Power

Strong Will Power

सोच को रूप देने के लिए दृढ इच्छाशक्ति अति-आवश्यक है!