Today will be the beginning of the Jan bhagat yatra!

आज से होगा जन आशीर्वाद यात्रा का आगाज़!

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान ने हमेशा जन-साधारण के द्रष्टिकोण को महत्व दिया है और इसलिए वे उनकी समस्याओं को दूर करने में कामयाब हो पाए. अब ‘जन-आशीर्वाद यात्रा’ के माध्यम से एक बार फिर यही कोशिश है कि लोगों से मिलें, अपने वादों को पूरा करने पर लोगों की प्रतिक्रया जानें, उनकी नई समस्याओं को सुनें, उनके सपनों व इच्छाओं को जानें और उनके अनुसार अपना अगला लक्ष्य निर्धारित करें!
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान एवं समस्त बीजेपी टीम हेतु आप सभी की शुभकामनाएं अभिलाषित हैं!

Friendship Day

करें इंसानियत से दोस्ती!

इंसानों से दोस्ती तो हम सभी करते हैं और हमेशा से करते आए हैं लेकिन जीवन की आपा-धापी में कहीं इंसानियत से दोस्ती करना भूल गए हैं. आज फ्रेंडशिप डे के दिन एक बार फिर इंसानियत से दोस्ती करने की कोशिश कीजिये. कृष्ण-सुदामा की दोस्ती का उदहारण सभी देते हैं पर आपने कभी सोचा कि उनकी दोस्ती की ख़ास बात क्या थी…? कृष्ण जी सिर्फ सुदामा के अच्छे दोस्त ही नहीं थे बल्कि एक अच्छे इंसान भी थे और इसलिए उन्होंने सुदामा को न सिर्फ दोस्त की तरह मदद करने की कोशिश की बल्कि उसके साथ अच्छा व्यवहार करके उसे ख़ास एहसास भी दिया. इंसानियत से दोस्ती हो तभी हम इंसानों से दोस्ती निभा सकते हैं.

इंसानियत से ही निःस्वार्थ भावना का जन्म होता है और किसी अनजाने इंसान को अपना बनाने व उसके सुख-दुःख को अपना समझने की प्रेरणा मिलती है. हर पल ‘इंसानियत’ को अपने ज़हन में सर्वोपरि रखने की आवश्यकता है तभी किसी अनजान इंसान को सच्चे दिल से दोस्त के रूप में अपनाया जा सकता है. आज के ज़माने में फेसबुक, ट्विटर, वाट्स-एप, मोबाइल आदि के माध्यम से दोस्त बनाना और उनसे संपर्क रखना तो बेहद आसान हो गया है लेकिन सम्बन्ध सिर्फ बातों तक ही सीमित हो गए हैं उन्हें व्यवहार में लाने के लिए न किसी के पास समय है और नाही किसी के मन में वो अपनत्व का भाव. परन्तु हम क्यूँ ये भूल जाते हैं कि इस दुनिया से हमें वही मिलता है जो हम इसे देते हैं…

आज वो दिन है जो हमें यह याद दिलाता है कि इंसानियत से दोस्ती ही ‘दोस्ती के रिश्ते’ को सार्थक कर सकती है. कृपया अपने अन्दर की इंसानियत कभी न मरने दें!

फ्रेंडशिप डे की हार्दिक शुभकामनाएं!

Yuva Mahotsav- On the occasion of TCS Bhoomi Pujan

मांग और खपत एक साइक्लिक प्रोसेस है…पिछले कुछ वर्षों में मध्यप्रदेश सरकार ने लगभग हर शहर में इंजीनियरिंग, मेडिकल व अन्य कॉलेजेस एवं शैक्षणिक संस्थानों तथा प्राइवेट यूनिवर्सिटीज की शुरुआत कर बहुत समय से जो आवश्यकता थी उसे पूरा किया. इन संस्थानों की स्थापना से पहले मध्यप्रदेश के युवाओं को पढ़ाई के लिए पूना, दिल्ली, बैंगलोर और मुंबई जैसे शहरों में जाकर मोटी फीस भरना पड़ती थी. और इसके साथ ही अपने घर को छोड़कर किसी अन्य शहर में रहने का अतिरिक्त खर्चा भी वहन करना पड़ता था. इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में संस्थानों की स्थापना और विकास का ज़िम्मा उठाया और मध्यप्रदेश के छात्र-छात्राओं को शिक्षा के बेहतरीन अवसर उपलब्ध कराए.

मगर मध्यप्रदेश के युवाओं को सुनहरा भविष्य देने का उद्देश्य यहीं पूरा नहीं होता. अच्छे रोज़गार के बिना जैसे सारी मेहनत व्यर्थ है. छात्र-छात्राओं को बड़े संस्थानों में नौकरी की चाह में प्रदेश छोड़कर जाना पड़ता था इसलिए मुख्यमंत्री जी ने इस तरह की उद्योग नीतियाँ बनाई जिनसे छोटे-बड़े सभी उद्योग मध्यप्रदेश में आकर्षित हों और युवाओं को मध्यप्रदेश में ही अधिक से अधिक रोज़गार उपलब्ध हो सकें. नीतियों में इस बात का ध्यान रखा गया कि सरकार किसी उद्योग की स्थापना हेतु ज़मीन, बिजली या अन्य संसाधनों में छूट उस अनुसार देगी जिस अनुपात में मध्यप्रदेश के युवाओं को रोज़गार उपलब्ध कराया जाएगा. शिवराज सिंह जी की अपने प्रदेश के युवाओं के लिए इस स्तर की संवेदनशीलता और जागरूकता वास्तव में प्रशंसनीय है. मैं इस बात का साक्ष हूँ कि उन्होंने हर मीटिंग में हर जगह इस बात का उल्लेख किया है कि उद्योग को फायदा तभी दो जब मध्यप्रदेश के युवाओं को उससे फायदा हो…उद्योग छात्र-छात्राओं को जितना फायदा देंगे उतना ही फायदा उन्हें सरकार की ओर से दिया जाए! मध्यप्रदेश के चिंतनशील मुख्यमंत्री जी की यह सोच वाकई प्रशंसनीय है!

आज TCS के भूमि पूजन के साथ इस अनूठी पहल का आगाज़ होने जा रहा है. इंदौर और मध्यप्रदेश के छात्र-छात्राओं के लिए यह बड़ी खबर है कि इंदौर में जल्द ही आईटी हब स्थापित होगा और आईटी के साथ-साथ अन्य क्षेत्र के भी कई छात्रों को इससे नेशनल-मल्टी नेशनल कंपनियों में रोज़गार के अवसर मिलेंगे. अब दूसरे शहरों में जाने की ज़रुरत नहीं. इंदौर आईटी शहर के रूप में जल्द ही जाना जायेगा.

जॉब्स के प्रति निराशा का दौर यहीं समाप्त होता है और एक नए युग की शुरुआत होती है…युवा-महोत्सव में आप सभी आमंत्रित हैं!

Political Freedom, Democratic Slavery

राजनैतिक स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक गुलामी

पिछले 10 वर्षों में देश ने जो कुछ भी जिया है उसे देखते हुए मुझे बड़े अफ़सोस के साथ यह कहना पड़ रहा है कि “आज देश में सिर्फ राजनेताओं की स्वतंत्रता कायम है जिसके चलते वे लगातार मनमानी कर रहे हैं. यूपीए सरकार ने कहीं न कहीं लोकतंत्र में जनता को ही नीतियों का गुलाम बना दिया है.”

बढती महंगाई, रूपये का अवमूल्यन, गरीबी रेखा का स्तर गिराना, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना और लोकपाल बिल के नाम पर एक घटिया दर्जे का परचा जारी करना जैसी यूपीए सरकार की सभी हरकतों ने लगातार देशवासियों को न सिर्फ गुलाम की ज़िदगी जीने पर मजबूर किया है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को एक मज़ाक बनाकर रख दिया है. आज तक कभी किसी देश के प्रधानमंत्री की खुले आम किसी पत्रिका या अखबार में विश्व स्तर पर निंदा नहीं हुई होगी परन्तु माननीय प्रधानमन्त्री श्री मनमोहन सिंह जी के कारण भारत को इस शर्मनाक परिस्थिति का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं बल्कि इन १० वर्षों की समयावधि में नागरिकों को कई बार अपने हक़ के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा. यहाँ तक कि आज़ादी के बाद पहली बार देश में प्रत्येक जन की आँखों में भारत सरकार के खिलाफ क्रान्ति और आक्रोश देखा.

देश में आज़ादी के बाद कई बार आतंकवादी हमले हुए और पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर को हथियाने की कोशिश में लगा रहा परन्तु देश और सेना ने हमेशा मुह तोड़ जवाब देने की कोशिश की लेकिन अब यूपीए सरकार के ढीले रवैये ने चीन को भी घुसपैठ करने की हिम्मत दे दी. कई महीनों से चीन के सैनिक भारतीय सीमा में डेरा डाले हैं और यूपीए सरकार उनके खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठा रही है ऐसे में देश की आजादी को खतरा साफ़ दिखाई दे रहा है. आंतरिक राजनीति और कुर्सी संभालने की कोशिश में जुटी यूपीए सरकार चीनी घुसपैठ को पूरी तरह से अनदेखा कर रही है. मुझे इन हालातों में देशवासियों के साथ-साथ दश की आजादी भी असुरक्षित दिखाई दे रही है.

आज स्वतंत्रता दिवस के दिन मैं भगवान से राजनैतिक लगाम और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता की कामना करता हूँ. इन परिस्थितियों में अब सिर्फ 2014 के चुनाव ही रौशनी की किरण के रूप में दिखाई दे रहे हैं. भगवान प्रत्येक देशवासी को सही चुनाव करने में मदद करें!

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

Extremely Overwhelmed with the Warmth and Love bestowed upon Us; Feeling Fortunate.

आप सभी की मेहमान-नवाज़ी का सौभाग्य प्राप्त कर मन को परम आनंद की अनुभूति हुई…

परमात्मा की असीम कृपा से आकाश तथा सोनम की गोद में भगवती स्वरूपा पुत्री के आगमन पर हमारी माताजी ‘अयोध्या देवी’ को स्वर्ण सीढ़ी का सौभाग्य प्राप्त हुआ है !!

Delay in Pension can cost them Votes!

एक बार फिर पेंशन बिल विलम्बित !! 

यू.पी.ए. सरकार द्वारा एक बार फिर अपना बहुमत बचाने के प्रयास में ‘पेंशन बिल’ को विलम्बित कर दिया गया. ममता बेनर्जी को खुश रखने के लिए आखिर सरकार कब तक देश और नागरिकों का नुक्सान करेगी.. यह विषय चिंतनीय है..

क्या आप यू.पी.ए. सरकार की इस कार्यप्रणाली से सहमत हैं? पिछले तीन सालों में इस यू.पी.ए. सरकार ने एक भी ऐसा निर्णय नहीं लिया है जिससे देश की आर्थिक स्थिति व आम ज़िन्दगी में सुधार हो और महंगाई में कमी आए! जो भी अच्छे बदलाव किए जाने थे वह सहयोगी दलों के असहयोग से नहीं किए जा सके और सरकार को अपनी सत्ता बचाने के लिए घुटने टेकने पड़े..

क्या देश की जनता अगले 2 सालों तक ऐसी निष्क्रिय सरकार को झेलने के लिए मजबूर है? क्या ऐसी सरकार को चले नहीं जाना चाहिए ??

SEX sambandhon kee umr ghataane par savaal – der aae durust aae

ये कैसी बदकिस्मती है इस मुल्क की कि हमारे हुकमरान वतन की तमाम दुश्वारियों से दूर देश के बच्चों को सेक्स सिखाने पर आमादा हैं। हमारे वजीर-ए-आज़म डॉ. मनमोहन सिंह और उनकी सियासी आका मोहतरमा सोनिया गांधी को आवाम के पेट की भूख से ज्यादा बच्चों की जिस्मानी भूख की चिंता है। क्या मुल्क से गरीबी, मजलूमियत, दीनता-हीनता, बेरोजगारी-बेकारी, अशिक्षा-तालीम, और नासूर बन चुके भ्रष्टाचार की परेशानियां दूर हो चुकी हैं, जो हम इस बात को लेकर रूबरू हैं कि देश में सेक्स की उम्र क्या हो? आखिर ऐसा कौन सा पहाड़ टूट रहा था जो हम अपने बच्चों को दो साल पहले बड़ा बना देने की बात पर विचार भी कर रहे थे? कोई तो वाजिब वज़ह होना चाहिए।मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि इस सरकार का और कांग्रेस का संस्कारों से कोई नाता क्यों नहीं बचा। क्या यही महात्मा गांधी की कांग्रेस है? उन महात्मा गांधी की जो नैतिकता, मूल्यों, धर्म आधारित संस्कारों के पैरोकार थे और आज उन्हीं के नाम पर सियासी वोटों की फ़सल काटने वाले गांधी-नेहरू परिवार के नुमाइंदे भारतीय संस्कारों से इतर देश पर इतालवी संस्कृति लादने पर आमादा हैं। पश्चिम में 13-14 साल की बच्चियां अपनी मां के बायफ्रेंड के शोषण का शिकार होकर बिन ब्याही मां बनती रहती हैं। क्या मादाम सोनिया उस खतरनाक अपसंस्कृतिकरण को भारत में लाने की तैयारी कर रही हैं? सवाल यह है कि 16 वर्ष के नासमझ बच्चों को सेक्स का अधिकार देने से देश का क्या भला होता? क्या देश से दुष्कर्म की घटनाएं समाप्त हो जाती? क्या पुलिस थानों में दर्ज होने वाले बलात्कार के आंकड़े कम हो जाते? क्या देश के नौजवान सेक्स का अधिकार पाकर स्वामी विवेकानंद के उस सपने को साकार कर देते कि भारत विश्व गुरू है? फिर इस अधिकार को देने से हमारे देश के सिस्टम में कौन सा आमूलचूल परिवर्तन आने वाला था, जो हमारे प्रधानमंत्री सेक्स की उम्र घटाने के लिए इतने लालायित थे? आखिर क्यों? ये ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब आने वाली पीढि़यों को नहीं हमें और आपको देना पड़ता।यदि हम चाहते हैं कि मुल्क में महिलाएं सुरक्षित हों, बच्चियों को सम्मान मिले, उनकी दैहिक अस्मिता हमारी गरिमा की प्रतीक हो तो हमें अपने बच्चों को सेक्स का अधिकार देने की नहीं संस्कार देने की जरूरत है। यदि हम अपने बच्चों को खासकर बेटों को पारिवारिक संस्कार दें, घर की ही नहीं बाहर की मां-बहनों की इज्जत करना भी सिखाएं, तो यकीनन देश में महिला दुष्कर्म और छेड़छाड़ की घटनाओं में कमी आएगी। जब हमारे बेटे देखते हैं कि अपने ही परिवार में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, उन्हें वह सम्मान नहीं मिल रहा है जिसकी वे हकदार हैं तो स्वभाविक रूप से उनके मन में यह भाव घर कर जाता है कि स्त्रियां पुरूषों से दोयम हैं और यहीं से वह समस्या शुरू होती है जिसे हम लिंग भेद के रूप में जानते हैं। देश में स्त्री-पुरूष की समानता परिवार में संस्कारों की स्थापना और आर्थिक अवसरों में बराबरी की अवधारणा से आएगी, सेक्स के अधिकार से नहीं। यदि हमें अपने बच्चों को अधिकार ही देना हैं तो हम उन्हें रोजगार का अधिकार दें, शिक्षा का अधिकार दें, विकास में भागीदारी का अधिकार दें, प्राकृतिक साधनों के सदुपयोग का अधिकार दें, अगर हम उन्हें ये सब अधिकार नहीं देना चाहते। ना दीजिए। मगर कम से कम 16 साल के नादान बच्चे को सेक्स का अधिकार भी तो मत दो। अरे उसे थोड़ा बड़ा तो होने दो। समझने-बूझने तो दो। अपने शरीर में उम्र के साथ होने वाले हार्मोंस के परिवर्तन के साथ तादात्मय और तालमेल स्थापित करने का अवसर तो दो। सरकार को क्या जल्दी है बच्चों को समय से पहले बड़ा करने की? क्यों छीनना चाहते हैं आप उनका बचपन?क्या संप्रग सरकार परिवार नामक संस्था का विघटन करना चाहती है? पहले सब्सिडी वाली रसोई गैस की टंकियों की संख्या घटाकर इस सरकार ने परिवार का विघटन कर दिया। बाप-बेटे-भाइयों के बीच रसोई का बंटवारा कर दिया। और अब 16 साल की उम्र में सेक्स का अधिकार। क्या सरकार की कोई जवाबदेही नहीं बनती कि वो राष्ट्रीय संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों के बारे में चिंतन-मनन करे? क्या सरकार सिर्फ भ्रष्टाचार के लिए होती है? क्या सरकार सिर्फ शासन करने के लिए होती है? क्या सरकार किसी गंभीर समस्या का सतही हल ढूंढने का नाम है? क्या मनमोहनसिंह सरकार ने दामिनी दुष्कर्म कांड का यह हल निकाला है कि सेक्स की उम्र 16 साल कर दी जाए? यदि यही हल है तो मुझे मुल्क के हुकमरानों की बुद्धि पर तरस आता है। सवाल बहुत सारे हैं। सवाल यह भी है कि क्या कोई मानव शिशु 16 वर्ष की उम्र में परिपक्व हो जाता है? सवाल यह भी है कि क्या 16 वर्ष की उम्र में किसी बच्चे में इतनी समझ आ जाती है कि वह यह समझ सके कि उसके लिए बेहतर क्या है? सवाल यह भी है कि क्या 16 साल की उम्र में शारीरिक संसर्ग मानव स्वास्थ्य के लिए अनुकूल होता है? सवाल यह भी है कि यदि 16 साल की कोई बच्ची गर्भवती हो गई तो क्या उसे इस नादान उम्र में मां बनने का अधिकार भी दिया जाएगा? सवाल यह भी है कि जब शादी की उम्र लड़की के लिए 18 साल और लड़के के लिए 21 साल है तो सेक्स की उम्र 16 क्यों? सवाल यह भी है कि क्या कोई जोड़ा विवाह की निर्धारित उम्र यानी 18-21 प्राप्त करने तक जो शारीरिक संसर्ग करेगा उसे कानूनी माना जाएगा और क्या इसे भारतीय समाज स्वीकार करेगा? सवाल यह भी है कि जब वोट देने का अधिकार 18 साल में मिलता है, गाड़ी चलाने का अधिकार 18 साल में मिलता है, वयस्क फिल्म देखने का अधिकार 18 साल में मिलता है, शराब की दुकान पर जाकर शराब खरीदने और पीने का अधिकार 18 साल में मिलता है तो फिर सेक्स करने का अधिकार 16 में क्यों दिया जा रहा था ? जब तक ये सवाल अनुतरित हैं तब तक सरकार को सेक्स की उम्र घटाने के बिल को कतई मंजूरी नहीं देनी चाहिए।देश के नौजवान रोजगार मांग रहे हैं, सरकार नहीं देती। देश के नौजवान शिक्षा की बेहतरीन व्यवस्था की मांग कर रहे हैं, सरकार नहीं देती। देष के नौजवान भ्रष्टाचार मुक्त शासन-प्रशासन मांग रहे हैं, सरकार नहीं देती। देश के नौजवानों ने सेक्स की उम्र घटाने की कहीं कोई मांग नहीं की। कहीं कोई ऐसा आंदोलन नहीं किया कि सेक्स करने की उम्र 16 साल की जाए। फिर सरकार की ऐसी क्या अटक रही थी जो वो बच्चों को जल्दी और कम उम्र में सेक्स कराने पर उतारू थी। दरअसल मौजूदा दौर अपसंस्कृतिकरण का दौर है। सांस्कृतिक प्रदूषण की आवोहवा ने हमारी परंपराओं, मान्यताओं, रीति-रिवाजों और सभ्यता को अपने शिकंजे में लेना शुरू कर दिया है। सेटेलाइट चैनल की तरंगों के जरिए सांस्कृतिक प्रदूषण की जो हवा हमारे ड्राइंगरूम में पहुंची उसने अब हमारी सरकार की मानसिकता को भी प्रदूषित कर दिया है। नेट पर डली नाना प्रकार की गंदी साइट्स फिल्म और फैशन के नाम पर परोसी जा रही अश्लीलता को विचार एवं अभिव्यक्ति और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर सरकार भले ही ना रोक पाए, मगर उसे कम से कम अपनी ओर से पहल करते हुए नाबालिग सेक्स को कानूनी अमलीजामा पहनाने की सोच भी कैसे उत्पन्न हुई? सरकार सांस्कृतिक अपदूषण को नहीं रोक सकती, ना रोके। मगर कम से कम खुद तो उस अपदूषण में भागीदार ना बने।मीडिया में जो आया है अगर वह सही है तो कई केन्द्रीय मंत्री सेक्स की उम्र नहीं घटना चाहते थे। कई कांग्रेस सांसद भी इसके विरोध में थे। मगर हमारे विद्वान प्रधानमंत्री ने कह दिया इट्स ओके। क्या सच में यह इतनी साधारण बात थी? क्या यह सच में ओके था? क्या इतने महत्वपूर्ण अहम मुद्दे पर प्रधानमंत्री की इतनी संक्षिप्ततम टिप्पणी विवेकशील मानी जा सकती है? मनमोहनसिंह जी ने अपना लम्बा कार्यकाल विश्व बैंक और पश्चिमी विश्व विद्यालयों में बिताया है, मगर भारत पश्चिमी नहीं है। भारत की अपनी सभ्यता और संस्कृति है। पश्चिमी के यौन पिपासु मस्तिष्कों को भारत वर्ष की वैचारिक भूमि पर मानसिक बलात्कार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। याद रखिए ये स्वामी विवेकानंद का देश है, फ्रायड का नहीं। भारत जैसे देश में वात्सायन जैसे ऋषि हुए हैं और कामसूत्र जैसी वैज्ञानिक रचनाएं भी रची गई हैं, लेकिन ये देश आज भी गौतम, महावीर, विश्वामित्र वशिष्ठ, अगस्त्य, दाधिची और गौस्वामी तुलसीदास जैसे ऋषि मुनियों के नाम से पहचाना जाता है, वात्सायन के नाम से नहीं।अंततः सभी बहसों के बाद सरकार देर आई दुरुस्त आई!

Care to Share

She shares her love as mother,

She shares her stories as grandmother,

She shares her secrets as sister,

She shares her life as life partner,

She shares her feelings as friend,

She shares her knowledge as teacher,

She shares her dedication as citizen,

She shares everything as she cares,

Do you care to share equality, enterprise and esteem with her…?

On this Women’s Day, every man must ask this question to himself…Seeing the increasing crime rate against women in the society, I am really hurt or rather shocked. In country like India where women is worshiped in form of motherlanddurgasaraswati and laxmi, how can man get so inhuman and brutal with her…? It is not acceptable to my heart at all. If you are ‘the man’ then please change your attitude towards women and give them equal stature and respect in society which they deserve and if you are ‘the woman’, don’t let pitrasatta belief rule you or your coming generations.

Increasing crimes is not the only disgusting factor to think about, the reason behind it is even more horrendous. Here in India, boys grow with the belief that women are weak and powerless, and girls grow with the fear of being tortured and abandoned without boys. With these beliefs somehow boys develop that criminal psychology of dominating women at all levels be it in home or office which turns out in domestic violence or harassment at work place at times. According to National Crime Records Bureau there were 2,13,585 cases registered in 2010 under crime against women which includes cases of kidnapping & abduction, sexual harassment, dowry death, rape, torture, molestation, importation of girls, trafficking, indecent representation of women, etc. These statistics are extremely terrifying. And no one can improve this condition expect you and me. Each one of us has to take steps at individual level for improving the status of women. Do you know according to Unicef’s Global Report Card on Adolescents 2012, 57% boys in India think a husband is justified in hitting or beating his wife while around 53% girls think that a husband is justified in beating his wife. With this pitrasatta mentality, women can never progress and get the equal love, care, respect and dedication in the family & society.

Never forget the rule of life ‘we get what we give and we give what we get’. So, whatever you don’t want to receive never think of giving it to anyone. Give respect to women and you will get it. Woman is always more dedicated towards family, society and nation, so respect her for her contribution.

And at last, as I always say Paad Pooja is an age-old Hindu tradition which we must follow to respect women and give them the respect they deserve. This tradition can help in breaking this ‘pitrasatta’ mentality.

Today, on the occasion of International Women’s Day, all I want to say is ‘all men take a vow to share equality, enterprise and esteem with woman’, and ‘I request all women to promise themselves to stand for self respect & rights.

Happy Women’s Day!

Bharat-Pakistan hokey seereej radd

5 दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज़ अशरफ भारत आते हैं, अजमेर शरीफ की दरगाह में दुआ करते हैं और आतंकवाद के सभी मुद्दों को जैसे अनदेखा करते हुए भारत के विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद उनके सम्मान में भोज आयोजित करते हैं. और फिर आज अचानक ही खुर्शीदजी भारत-पाकिस्तान हॉकी सीरीज की बात पर पाकिस्तान के खिलाफ रवैय्या दिखाते हैं जबकि खेल तो सौहार्द भाव को बढाता है. यूपीए सरकार का यह दोगला व्यवहार किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं होना चाहिए. यूपीए को अब तो पाकिस्तान के प्रति किसी एक भाव की खुलकर अभिव्यक्ति करनी ही चाहिए.

आतंकवाद को पनाह देने वाले व्यक्ति के साथ सद्व्यवहार और सद्भावना बढाने वाले खेल के साथ दुर्व्यवहार, क्या यह उचित है?

Visarjan of 7 Sins in Kumbh

Visarjan of 7 Sins in Kumbh

India is a land of spiritual people where all the festivals, days, events, business beliefs, lifestyle adaptations and major activities of life revolve around religious beliefs. Kumbh Mela is one such belief which results in the biggest gathering of people on Earth.

Kumbh Mela is organized every third year at one of the four pilgrimages by rotation: Haridwar, Allahabad (Prayag), Nasik and Ujjain. With a mass faith of Hindus to gather at a sacred river for a bath and purification of the soul from all the sins, this meal became the biggest event of the country too. It is believed in Hinduism that drops of nectar fell from the Kumbh carried by gods after the sea was churned at these four places and people gather to get rid of effects of sins which happened intentionally or unintentionally. For making the Soul pure & pious, people travel thousands of kilometres to take a bath in Kumbh.

It is believed in every religion that wrath, greed, sloth, pride, lust, envy and gluttony are the 7 sins that are a hindrance in the path to salvation. These are the sins which bring the evil characteristics in human and take them away from god. Kumbh Mela is a place to wash out all sins and get time to devote to worshipping god.

This year (2013), Kumbh Mela is organized at Allahabad and up to 100 million pilgrims are about to visit in this duration. This meal is organized for one and a half months and Indian Government arranges and manages all the functions from travelling, boarding, food and security for millions. It is not only a religious celebration in the country but a huge business affair too. It’s an opportunity for almost every big brand to advertise their product in masses and in fact it’s a chance to make people experience. Business is at its peak in these months. Allahabad is the centre of attraction for every brand. And apart from pilgrims, there are reporters, advertisers, guards, administration team, workers, management team, etc. for their respective tasks. Even celebrities and biggies visit Kumbh and maintaining their security is another challenge. Managing this gigantic facility and a massive crowd is a big responsibility. This year somehow stampede and fire turned off the spirit of many pilgrims and people decided to stay safe at home rather than visiting Kumbh and get stuck in commotion.

Seeing the present scenario I am getting even more concerned about the next Kumbh Mela in Ujjain (2016). Preparations are going well but we will make sure for more security arrangements and better facilities to avoid such mishaps. Our team is now more focused on safety measures.

Visarjan of 7sins in Kumbh gives great relief to mind and soul. Have a Happy path to salvation. Shubh Kumbh Yatra to everyone!